Today Betul Mandi Bhav : कृषि उपज मंडी बैतूल में आज दिनांक 21 नवंबर, 2022 को विभिन्न जिंसों के भाव इस तरह रहे –
Kisan Success Story: टाटा की नौकरी छोड़ युवक ने शुरु कर खेती तो सबने उड़ाया मजाक, पिता भी बोले-संपत्ति से करूंगा बेेदखल, अब बेटा कमा रहा 40 लाख रुपए
Kisan Success Story: आज के समय में लोग सरकारी नौकरी के लिए क्या कुछ करने को तैयार नहीं है, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो अपनी भारी भरकम सैलरी वाली नौकरी से खुश नहीं था और खेती करना चाहता था। उसके इस निर्णय का गांव वालों ने पहले तो खूब मजाक उड़ाया, उसके पिता ने भी उसे संपत्ति से बेदखल करने की धमकी दे दी, लेकिन इसके बावजूद यह शख्स हार नहीं मानता है और अब हर साल 40 से 50 लाख रुपए सालाना की कमाई करता है।
हम बात कर रहे हैं बिहार के समस्तीपुर जिले के नया नगर गांव के सुधांशु कुमार (sudhanshu kumar success story) के बारे में। सुधांशु कुमार के पिता ने उन्हें बचपन से ही देश के नामी स्कूलों में शिक्षा दी । दिल्ली के हंसराज कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद सुधांशु केरल के मुन्नार में टाटा टी गार्डन में 1988 नौकरी करने लगे। अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद सुधांशु अपनी नौकरी से खुश नहीं थे और उन्होंने नौकरी छोड़ी और अपने गांव बिहार पहुंच गए।
नौकरी छोड़ी तो प्रॉपर्टी से बेदखल कर दूंगा
उन्होंने अपने पिता के सामने खेती करने का प्रस्ताव रखा। पिता को लगा कि मन की स्थिति ठीक नहीं है, समझाने की लगातार कोशिश की, लेकिन सुधांशु ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। उन्होंने पिता से कहा मुझे एक मौका तो दीजिए पिताजी बोले कि गांव वाले मुझे क्या बोलेंगे एक बेटे को उच्च शिक्षा दी और अब वह गांव में खेती करेगा, इसलिए मैं तुम्हें जमीन जायदाद से बेदखल कर दूंगा। सुधांशु ने खेती की शुरुआत की तो आस-पास के गांव में भी काफी मजाक उड़ाया गया। वे परम्परागत खेती को आधुनिक तरीके से कर रहे हैं।
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सालाना कमाते हैं 50 लाख रुपये
अपने पेशे से खुश सुधांशु कुमार 31 साल से खेती में लगे हैं। बिहार सरकार के साथ-साथ सुधांशु कुमार को केंद्र सरकार भी कई बार सम्मानित कर चुकी हैं।
खेती की परिभाषा बदलने वाले किसान की कमाई 40 से 50 लाख सालाना हो रही है। किसान और खेती से जुड़े कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन में अपनी खेती के तरीकों के बारे में संबोधन कर चुके हैं।
किसानों के प्रति लोगों का नजरिया बदलना जरुरी है तभी देश का सही विकास हो सकेगा. मौजूदा समय में INDIAN FARMERS NETWORK के महासचिव हैं।
लीची की खेती ने चौंका दिया
लीची के लिए उत्तर बिहार सबसे अधिक चर्चा में रहता है लेकिन इनके खेती के करने के तरीके ने सबको चौंका दिया सबसे अधिक कमाई करके दिखाते हैं।
सुधांशु जी के पास 1100 पेड़ है उसके फल पकने से पहले ही देश बड़ी कंपनियां बूक कर लेती हैं। या फिर मेट्रो सिटीज में आनलाईन बूक करके घर तक भेंज दिया जाता है।
आम की खेती करने का तरीका बदल कर कई किस्म के आम पर रिसर्च कर चुके हैं इसके लिए डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्व विद्यालय के साथ मिलकर कई तरह की फसल तैयार कर चुके हैं।
शुरू की नए जमाने की खेती
सुधांशु कुमार कहते हैं कि अगर किसान तरीके से खेती करे तो उनकी कमाई दो गुना नहीं बल्कि चार गुना हो सकती है। मक्का को लेकर बिहार के किसान परेशान रहते हैं लेकिन हमने कान्सेप्ट ही चेंज कर दिया 1 रुपया लगाता हूं तो 2 रुपये कमाता हूं।
अभी हमारे यहां केले की खेती हो रही है। एक सीजन में एक सप्ताह में 7 लाख रुपये का बेच देता हूं। अभी हमारे पास ड्रेगेन फ्रूट के पौधे लगे हैं अगले साल तक वो भी निकलने लगेगा। सेब लगाने की भी तैयारी चल रही है उसके लिए खेत से लेकर तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है।
सुधांशु बताते हैं कि किसानों को गेहूं मक्का और धान को छोड़कर फलों और सब्जियों पर आना पड़ेगा और एक व्यावसायिक सोच के साथ खेती करना पड़ेगा।
जो गांव और आसपास के लोग कभी मजाक उड़ाया करते थे आज वहीं अपने बच्चों से कहते हैं खेती भी करना हो तो पढ़ाई लिखाई के बाद ही करों
सुधांशु कुमार बताते हैं कि अब तक 2000 से ज्यादा किसानों को अपनी खेती के बारे में प्रशिक्षण दे चुके हैं। मैं जब भी किसानों से मिलता हूं तो उन्हें एक ही बात कहता हूं कि आपकी कमाई दो गुनी नहीं तीन गुनी हो जाएगी लेकिन सोच बदलिए और पारंपरिक खेती के तरीके बदलिए. फलों की खेती में हमने सिंचाई के लिए स्पींकलर से लेकर अत्याधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल किया है जिसमें घर बैठे पौधे और पेड़़ों की सिंचाई कर सकते हैं।
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माइक्रो इरिगेशन 10 साल पहले शुरू किया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो कई बार देखने आ चुके हैं। उनके अलावा लगभग सभी बड़े लोग आकर हमारे खेती को देख चुके हैं गांव और आसपास की कहानी यह है कि लगातार 20 साल से हम अपने गांव के मुखिया है।
ईमानदारी से सरकारी योजनाओं को लागू किया हमारे गांव में आपको सौ फीसदी घरों में शौचालय है। 90 फीसदी से अधिक 45 से अधिक उम्र के लोगों को टीका दिला चुका हूं।
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