Manvata Sharmshar : हद है… आधी रात को नवजात और प्रसूता को सड़क पर छोड़ कर भागा एंबुलेंस चालक

Manvata Sharmshar : बैतूल। सुरक्षित प्रसव और जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखने सरकार कई योजनाएं चला रही है। लेकिन, इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर कितना लाभ मिल रहा है, इसका उदाहरण बीती रात देखने को मिला। यह मामला न केवल व्यवस्थाओं को ठेंगा दिखाता है बल्कि मानवता को भी शर्मसार करने वाला है।

मामला यह है कि रात्रि 2 बजे एक प्रसूता और नवजात शिशु को एम्बुलेंस चालक सड़क पर ही छोड़कर चला गया। वहीं अस्पताल के गार्ड और वार्ड बाय सोते रहे। करीब आधे घंटे तक प्रसूता और नवजात शिशु सड़क पर पड़े रहे। इसके बाद लोग उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक चिचोली से एक नवजात और प्रसूता मीना सुरजाय पत्नी विजय सुरजाय निवासी माडंवदा चिरापाटला को बैतूल जिला चिकित्सालय रेफर किया था। एंबुलेंस चालक रात 2 बजे उन्हें लेकर बैतूल जिला चिकित्सालय पहुंचा। यहां उसे नियम से गेट तक उन्हें लाना था और फिर वार्ड बॉय के माध्यम से वार्ड में भिजवाना था। लेकिन, ऐसा नहीं किया।

Manvata Sharmshar : हद है... आधी रात को नवजात और प्रसूता को सड़क पर छोड़ कर भागा एंबुलेंस चालक
नवजात को गोद में लिए प्रसूता की सास

आधा घंटे पड़े रहे दोनों

एम्बुलेंस चालक प्रसूता और नवजात शिशु को सड़क पर ही छोड़कर भाग खड़ा हुआ। ऐसे में प्रसूता की हालत गंभीर होने के बावजूद वह सड़क पर पड़ी रही और तड़पती रही। वहीं नवजात बच्चे की भी हालत खराब होती रही। इधर इतना होने पर अस्पताल के किसी स्टाफ या सिक्योरिटी गार्ड की निगाह उन पर नहीं पड़ी।

लोग पहुंचे वार्ड में लेकर

इधर जब लोगों की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने प्रसूता को बमुश्किल व्हीलचेयर के माध्यम से वार्ड तक पहुंचाया। वहीं शिशु को एसएनसीयू में भर्ती किया गया। अब शिशु और प्रसूता दोनों का उपचार चल रहा है। यह देखकर तो लगता है कि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं सुधरने वाली नहीं है। यह हालत भी तब है जब कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने सभी को सख्त निर्देश दिए हुए हैं।

नहीं रहता कोई भी स्टाफ (Manvata Sharmshar)

बताया जाता है कि जिले भर से आने वाली प्रसूता जब एंबुलेंस से आती हैं तो उन्हें ट्रामा सेंटर पर उतारने के लिए कोई प्रशिक्षित स्टाफ तक मौजूद नहीं रहता। मजबूरी में परिजनों को ही गर्भवती महिला को अपनी सुविधा के अनुसार दूसरे फ्लोर पर ले जाना पड़ता हैं। जबकि अस्पताल में इन कामों के लिए अच्छी खासी संख्या में वार्ड बॉय और आया रखी हैं। लेकिन वे सब केवल वेतन लेने तक ही सीमित हैं।

नींद की आगोश में गार्ड (Manvata Sharmshar)

इसी तरह अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर सिक्योरिटी गार्ड की व्यवस्था की गई है। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जैसे ही रात होती है, सिक्योरिटी गार्ड भी बिस्तर लगाकर सो जाते हैं। अस्पताल प्रांगण या परिसर के भीतर क्या हो रहा है, उन्हें उससे कोई मतलब नहीं रहता। इन सब बदहालियों को सुधारने के लिए अस्पताल के अधिकारियों को भी सख्त होना जरूरी है।

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश (Manvata Sharmshar)

इधर इस पूरे मामले को कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने मामले की जांच के लिए एसडीएम बैतूल को निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्यवाही की जाएगी।

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