Tapti Nadi Betul: महाभारत के योद्धा कर्ण का ताप्ती नदी के किनारे ही क्यों किया गया था अंतिम संस्कार, यह है उसकी वजह

Tapti Nadi Betul: Why Mahabharata's warrior Karna was cremated on the banks of Tapti river, this is the reason

Tapti Nadi Betul: महाभारत के योद्धा कर्ण का ताप्ती नदी के किनारे ही क्यों किया गया था अंतिम संस्कार, यह है उसकी वजह

▪️मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़

Tapti Nadi Betul: रामायण और महाभारत हिन्दू सभ्यता की नींव है। महाभारत हमें जीवन जीने के तरीकों को सिखाता है। महाभारत में एक से बढ़कर एक महारथी योद्धाओं का जिक्र है। लेकिन, यह बात बहुत कम लोगों को ही मालूम है कि महाभारत के योद्धा कर्ण का अंतिम संस्कार ताप्ती नदी के तट पर ही क्यों हुआ था। इस तथ्य को जानना बहुत जरूरी है।

दानवीर कर्ण पांडवों की माता कुंती के सबसे बड़े पुत्र थे। जब महाभारत का युद्ध अर्जुन और कर्ण के बीच चल रहा था। उस समय कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया था। यह देख कर अर्जुन रुक गए। उन्हें रुका हुआ देखकर श्री कृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन, तुम रुक क्यों गये? युद्ध करो…! इस पर अर्जुन ने कहा कि यह युद्ध के नियमों के विपरीत है। तब कृष्ण ने कहा कि अभिमन्यु भी अकेले योद्धा होकर भी युद्ध लड़ रहा था। याद करो…!

Tapti Nadi Betul: महाभारत के योद्धा कर्ण का ताप्ती नदी के किनारे ही क्यों किया गया था अंतिम संस्कार, यह है उसकी वजह

श्री कृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन ने कर्ण से युद्ध जारी रखा। श्री कृष्ण ने कवच कुंडल दान में ले लिए। वह अर्जुन के बाणों का शिकार हुआ और घायल हो गया। उसने कृष्ण से वरदान के रूप में यह माँगा कि उसका अंतिम संस्कार एक कुंवारी भूमि पर करना। जब कृष्ण ने कुंवारी भूमि की खोजबीन शुरू की तो गुजरात के सूरत जिले में ताप्ती नदी के किनारे कामरेज गांव में वह स्थान मिला। उस समय ताप्ती नदी कुंवारी थी। उनका विवाह बाद में हुआ। इस तरह कुंवारी ताप्ती नदी के तट पर सुई की नोक बराबर भूमि श्री कृष्ण को दिखलाई दी। उन्होंने दानवीर कर्ण का अंतिम संस्कार आज से 5000 वर्ष पहले कामरेज गांव में ताप्ती नदी के किनारे अपने हथेली पर रखकर किया था।(Tapti Nadi Betul)

उस स्थान पर आज भी कृष्ण की प्रतिमा है जिसमें हाथों से अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां वही खुशबू चलती है जो चिता जलते समय निकलती है। इस स्थल पर तीन पत्तों वाला वट वृक्ष मौजूद है जो कर्ण के अंतिम संस्कार के साक्ष्य के रूप में है। बैतूल जिले से गए ताप्ती दर्शन यात्रियों को इस स्थल के बारे में जानकारी मिलने पर उन्होंने श्रद्धा भाव के साथ इस स्थल का अवलोकन किया। इसके साथ ही अपने परिचितों को भी इस बारे में जानकारी प्रदान की।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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