Surya Grahan: सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) और चंद्रग्रहण के बारे में तो आपने सुना ही होगा। ये ग्रहण तब लगते है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य तीनों एक सीधी लाइन से होकर गुजरते है। साल 2023 में 4 ग्रहण लगे थे जिनमें से 2 चंद्र ग्रहण थे और अन्य 2 सूर्य ग्रहण। वर्ष 2024 में पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा। बता दें कि साल 2024 में पूरे 5 ग्रहण लगने वाले हैं। पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण होगा और दूसरा ग्रहण सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) होने वाला है। इस साल पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह साल का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) होगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) तब लगता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। जानिए इस साल की सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) की तारीख से लेकर इसके लगने की प्रक्रिया और कहां-कहां से इसे देखा जा सकेगा।
साल 2024 का पूर्ण सूर्य ग्रहण (Surya Grahan)
साल 2024 में 8 अप्रैल, सोमवार के दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) लगेगा। यह सूर्य ग्रहण मुख्यतौर पर कनाडा, मेक्सिको, यूनाइट स्टेट्स में नजर आने वाला है। इसके अलावा, स्पेन, यूनाइटेड किंग्डम, रूस, नॉर्व, आइसलैंड, आयरलैंड और फ्रांस जैसे देशों में इसे आंशिंक रूप से देखा जा सकेगा।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण पांच पड़ावों में लगता है। सबसे पहले आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है जिसमें चंद्रमा (Moon) सूर्य को ढकना शुरू हो जाता है और सूरज पर चंद्रमा की परछाई नजर आने लगती है।
- दूसरे पड़ाव में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने लगता है जिसमें चंद्रमा का अंधकारमय हिस्सा दिखने लगता है और डायमंड रिंग जैसा इफेक्ट देखने को मिलता है।
- तीसरा चरण होता है जिसमें पूर्ण सूर्य ग्रहण लग जाता है। इसमें ग्रहण अपने चरम पर होता है। आसमान अंधकारमय हो जाता है और तापमान घटने लगता है।
- इसके बाद चंद्रमा खिसकने लगता है और सूर्य एकबार फिर नजर आना शुरू हो जाता है।
- आखिर में आंशिक ग्रहण दिखने लगता है और चंद्रमा सूर्य से हटकर बाहर जाता दिखाई पड़ता है। इसी के साथ ग्रहण हट जाता है।
ग्रहण लगने पर आंखों को ढकने की और सेफ्टी गियर्स पहनने की सलाह दी जाती है। सूरज की रेडिएशन ग्रहण के दौरान आंखों को डैमेज कर सकती है इसीलिए आंखों का ध्यान रखना जरूरी है।
साल 2024 में पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) होगा जो 25 मार्च को लगेगा। इसके बाद सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल के दिन दिखाई देगा और फिर सिंतबर और अक्टूबर के महीने में एकबार फिर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण नजर आएंगे।
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan)
ग्रहण एक खगोलीय घटना है, ठीक उसी प्रकार सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) भी एक विशेष खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी अपने परिक्रमा पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते समय एक ऐसी स्थिति में आ जाती है कि जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है और तीनों एक विशेष रेखा में होते हैं। इस विशेष स्थिति में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर कुछ समय के लिए नहीं पहुंच पाती हैं क्योंकि पृथ्वी तक पहुंचने से पहले ही चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश पहुंच जाता है और चंद्रमा की छाया पृथ्वी को ढक लेती है और कुछ समय के लिए धरती सूर्य के प्रकाश से हीन हो जाती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी से देखने पर सूर्य ग्रसित महसूस होता है यानी कि कुछ समय के लिए पूर्ण रूप से और कुछ समय के लिए आंशिक रूप से सूर्य के ऊपर काली छाया दिखाई देती है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। जब चंद्रमा के द्वारा सूर्य का लगभग संपूर्ण भाग ग्रसित महसूस होता है तो वह पूर्ण सूर्य ग्रहण अथवा खग्रास सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) कहलाता है और जब आंशिक रूप से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण की संज्ञा दी जाती है। कभी-कभी बीच की दूरी ज्यादा होने पर ऐसा भी महसूस होता है कि चंद्रमा की छाया सूर्य के बीचों-बीच दिखाई देती है और उसके चारों ओर सूर्य का प्रकाश दिखता है तो यह एक कंगन की भांति चमकता हुआ दिखाई देता है। इस स्थिति को कंकणाकृति अथवा वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan)
चलिए अब सूर्य ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण की बात करते हैं। जैसा कि आपको हमने पहले बताया कि ग्रहण एक खगोलीय घटना है तो इसी प्रकार चंद्र ग्रहण भी एक खगोलीय घटना ही है। यह एक विशेष स्थिति में निर्मित होता है, जब पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाते हुए और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए एक ऐसी स्थिति में आ जाते हैं कि चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है और तीनों एक रेखा में होते हैं। ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए चंद्रमा पर नहीं पड़ता है और इस अवस्था में चंद्रमा मद्धिम अवस्था में अथवा काला या ग्रसित हुआ प्रतीत होने लगता है। इस अवस्था को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक सीधा नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के अधिकांश भाग को ढक लेती है। यह चंद्र ग्रहण की स्थिति कहलाती है। जब पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया चंद्रमा को आच्छादित कर लेती है तो वह स्थिति पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाती है और जब ऐसा आंशिक रूप से होता है तो वह आंशिक चंद्रग्रहण कहलाता है।
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