Success Story: गांव का लड़का बना कलेक्‍टर, UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में मिली सफलता

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Success Story: गांव का लड़का बना कलेक्‍टर, UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में मिली सफलता
Success Story: गांव का लड़का बना कलेक्‍टर, UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में मिली सफलता

Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) की ओर से हर साल सिविल परीक्षा का आयोजन होता है। लाखों उम्‍मीदवार यूपीएससी की परीक्षा में बढ़-चढ़ कर हिस्‍सा लेते है। कई लोगों के सपने पूरे होते है, तो कई लोगों को सालों इंतजार करना पड़ता है। अगर जीवन में कुछ अच्‍छा करने के लिए हौसले बुलंद हो तो सपना पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता। इस बात को प्रमाणित किया है नेपाल सीमा से सटे एक छोटे से गांव बघवा के रहने वाले अविनाश कुमार (IAS Avinash Kumar) ने। अविनाश ने यूपीएससी परीक्षा 2022 में 17वीं रैंक हासिल की है। दो बार यूपीएससी (UPSC) में लगातार असफलता मिली, इसके बावजूद भी हार नहीं मानी और यूपीएससी (UPSC) के तीसरें प्रयास में 17वीं रैंक लाकर न केवल गांव बल्कि जिले का नाम रोशन किया है। आइए जानते है किसान के बेटे की आईएएस बनने की कहानी…

कौन है अविनाश कुमार? (Success Story)

अविनाश कुमार (IAS Avinash Kumar) मूल रूप से बिहार राज्य के अररिया जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने 17वां रैंक लाकर अररिया जिले के साथ-साथ बिहार का भी मान बढ़ाया है। उनका मूल गांव फारबिसगंज प्रखंड के बधुआ गांव में है। अविनाश के पिता अजय कुमार सिंह शिक्षक थे। रिटायर्ड होने के बाद गांव में खेती बाड़ी करते हैं। अविनाश की मां प्रतिमा देवी गृहिणि हैं।

Success Story: गांव का लड़का बना कलेक्‍टर, UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में मिली सफलता
Success Story: गांव का लड़का बना कलेक्‍टर, UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में मिली सफलता

अविनाश कुमार की पढ़ाई (Success Story)

अविनाश कुमार (IAS Avinash Kumar) ने 10वीं तक की पढ़ाई गांव से ही की। इसके बाद उन्होंने 12वीं की पढ़ाई झारखंड के बोकारो के चिन्मय विद्यालय से की। 12वीं में 93.2 फीसदी अंक मिले थे। 12वीं करने के बाद वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने पश्चिम बंगाल कोलकाता के स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय चले गया। अविनाश ने यादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता पश्चिम बंगाल से 9.6 सीजीपीए के साथ करने में सफलता हासिल की।

नौकरी छोड़कर शुरू की तैयारी (Success Story)

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद अविनाश की पश्चिम बंगाल में स्थित एक बिजली परियोजना के लिए नौकरी लग गई थी। उन्होंने कुछ समय तक काम किया, लेकिन उनके मन में सिविल सेवाओं में जाने की इच्छा थी, ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। अविनाश ने केवल 11 महीने की नौकरी की और इसे छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली आकर सिविल सेवाओं की तैयारी करने का निर्णय लिया। सिविल सेवाओं के लिए अविनाश ने रणनीति बनाकर पढ़ना शुरू किया।

पहले दो प्रयास में हो गए थे फेल (Success Story)

अविनाश ने UPSC की तैयारी करना शुरू किया और अपना पहला प्रयास किया, लेकिन वह अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स की परीक्षा में ही फेल हो गए। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास के लिए खुद को तैयार किया। इसके बाद उन्होंने दूसरा प्रयास किया इस बार भी उन्हें प्रीलिम्स की परीक्षा में ही असफलता का मुंह देखना पड़ा।

तीसरे प्रयास में हासिल की 17वी रैंक (Success Story)

सिविल सेवा परीक्षाओं में दो बार मिली असफलता के बाद अविनाश ने अपनी कमियों पर काम किया और रणनीति में बदलाव कर पढ़ना शुरू किया। उन्होंने अपना तीसरा प्रयास किया और इस बार उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस पास करते हुए इंटरव्यू में जगह बनाई। UPSC की ओर से जब सिविल सेवाओं का परिणाम जारी किया गया, तो अविनाश ने न सिर्फ इस परीक्षा को पास किया, बल्कि 17वीं रैंक के साथ देशभर में टॉप किया।

भावुक हुए पिता (Success Story)

अविनाश के पिता अजय कुमार सिंह काफी भावुक लहजे में कहा कि उन्हें पूर्व से भरोसा था कि उसका बेटा यूपीएससी में सफलता प्राप्त करेगा मगर 17वीं रैंक लाने की जानकारी से वे काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई और ईमानदारी से काम करने वाले को अच्छा ही परिणाम मिलता है। उनके पिता ने कहा कि बेटे ने बड़ी सफलता हासिल की है, इसका उन्हें नाज है मगर वह चाहते हैं कि अब मेरा बेटा भविष्य में ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करें।

अभ्यर्थियों को दिए ये टिप्स (Success Story)

उन्होंने कहा कि कोचिंग करने के बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपना हथियार बनाया। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को विषयवार सिलसिले ढंग से गंभीरतापूर्वक पढ़ने और सेल्फ स्टडी करनी चाहिए। क्योंकि बिना सेल्फ स्टडी के इस परीक्षा को क्लियर नहीं किया जा सकता है।

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