success story : अपने बच्चों को कामयाबी के शिखर तक पहुंचाने माता-पिता भी कम त्याग और तपस्या नहीं करते हैं। वे अपने हर सुख-सुविधा को एक तरफ रख देते हैं। वे इसी उम्मीद में सुखी अनुभव करते हैं कि उनका बच्चा सफल हो जाएं। कुछ ऐसा ही त्याग बिहार की एक मां ने भी किया। वहीं उनकी बेटी ने भी माता-पिता के सपनों को पूरा करने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बेटी ने भी रात-दिन अथक परिश्रम किया। नतीजतन, बेटी ने ऐसी कामयाबी पाई कि उसकी गूंज न केवल जिले में बल्कि पूरे बिहार प्रदेश में है।
हम बात कर रहे हैं बिहार के हाजीपुर की रुचिला रानी (Ruchila Rani) की। ग्रामीण परिवेश और मध्यम वर्गीय परिवार की रूचिला ने ना सिर्फ अफसर बनने का सपना देखा, बल्कि उस सपने को साकार भी कर दिया। एक साल में चार सरकारी नौकरी की परीक्षा पास करने वाली रुचिला ने शादी का एक महीना पूरा होते ही बीपीएससी (BPSC) पास कर जिले का नाम रौशन कर दिया है।
मायके से ससुराल तक जश्न
अब उनके मायके से लेकर ससुराल तक जश्न का माहौल है। मायके में घरवलों के साथ गांव के लोग भी अपनी इलाके की बेटी की इस सफलता पर उत्साहित हैं। वहीं पति को भी अपनी नई नवेली दुल्हन पर गर्व हो रहा है। उनकी सफलता देख लोग कहने लगे हैं कि अफसर बिटिया चली ससुराल।
घर पर रहकर की सेल्फ स्टडी
बीपीएससी की परीक्षा में 215 वीं रैंक पाने वाली रुचिला ने घर पर ही रहकर सेल्फ स्टडी से यह मुकाम हासिल (Achieve this position through self study) किया है। इसके पीछे उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है। पेशे से सरकारी शिक्षक उनके पिता ने पाई-पाई जोड़कर अपनी बेटी को पढ़ाया। समाज की परवाह किये बगैर अपनी बेटी को इतना काबिल बनाया कि आज बेटी के मायके से लेकर ससुराल तक उत्साह है।
मां ने नहीं पहनी पैरों में पायल
रूचिला की मां ने अपनी बेटी को उन लोगो की नजरों से छिपाकर रखा जो लोग बेटियों को घर में बिठाने पर ताना मारने का काम करते हैं। यही नहीं मां ने तो आज तक अपने पैरों में पायल तक नहीं पहनी। वजह यह थी कि पायल की आवाज बेटी की पढ़ाई में खलल डाल सकता था। लेकिन, आज बेटी की सफलता की गूंज पूरे प्रदेश और देश में सुनाई दे रही है।
चार जगह चयन, पर लक्ष्य यह
बीपीएससी क्लियर कर प्रोबेशनरी ऑफिसर (probationary officer) बनने से पहले रूचिला ने मद्य निषेध विभाग, बिहार पुलिस के दरोगा, रेलवे के अलावा फरवरी महीने में हुए बिहार शिक्षक भर्ती में भी अपनी जगह बनाई थी। लेकिन उनका लक्ष्य केवल सिविल सर्विस में जाने का था। आखिरकार उनके जज्बे ने रूचिला को बीपीएससी की परीक्षा भी पास करवा दी। अब जाकर उन्हें अपने कॅरियर को लेकर संतुष्टि हुई है।
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