Space Suit : सिर्फ मोटा कपड़ा भर नहीं है स्पेस सूट, कई उपकरणों से होता है लैस, स्पेस में बचाता है जान

Space Suit : सिर्फ मोटा कपड़ा भर नहीं है स्पेस सूट, कई उपकरणों से होता है लैस, स्पेस में बचाता है जानSpace Suit : भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान, मंगलयान की सफलता के बाद अब गगनयान की तैयारियां जारी है। इन यानों में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री और वैज्ञानिक एक विशेष सूट पहनते हैं। इन्हें स्पेस सूट कहा जाता है। अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा पहने जाने वाले स्पेस सूट सिर्फ मोटे कपड़े भर नहीं होते हैं बल्कि ये मानव के आकार का लघुयान की तरह होता है।

नेशनल अवार्ड प्राप्त सारिका घारू ने नेशनल साइंस डे national science day (28 फरवरी) के उपलक्ष्य में स्पेस सूट का साइंस समझाया। सारिका ने बताया कि स्पेस सूट दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार के स्पेस सूट का उपयोग धरती से अंतरिक्ष में जाने और फिर लौटने के लिये किया जाता है। दूसरा स्पेस वॉक के लिये उपयोग किया जाता है।

सारिका ने बताया कि स्पेस सूट में कपड़े में लगभग 300 फीट पानी की नलियों को बुना जाता है। इनमें अंतरिक्ष यात्री की त्वचा के पास ठंडा पानी बहता है। स्पेस सूट में दस्ताने इस प्रकार होते हैं कि उंगलियां अच्छे से हिला सकें। इनमें हीटर लगे होते हैं जो उंगलियों को गर्म रखते हैं। स्पेस सूट के लचीले हिस्से 16 लेयर से बने होते हैं। अगली परतें थर्मस की तरह तापमान को बनाए रखती है। सबसे बाहरी सफेद परत जल तथा अग्नि प्रतिरोधी तथा बुलेट पू्रफ मटेरियल होता है।
स्पेस सूट के पीछे एक बैकपैक होता है, जिसमें उपकरण लगे होते हैं।

इसमें ऑक्सीजन देने और कार्बन डाईआक्साईड को हटाने के यंत्र, बिजली प्रदान करने का यंत्र, पानी ठंडा करने के लिये चिलर पंप होते हैं। हेलमेट के नीचे एक आडियो सिस्टम में इयरफोन और माइक्रोफोन होते हैं। हेलमेट मजबूत प्लास्टिक का बना होता है। इसमें सूरज की तेज किरणों से बचाने सुरक्षा फिल्टर लगा होता है।

Space Suit : सिर्फ मोटा कपड़ा भर नहीं है स्पेस सूट, कई उपकरणों से होता है लैस, स्पेस में बचाता है जान

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (Space Suit)

सारिका ने बताया कि सर चंद्रशेखर वैंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को अपनी महत्वपूर्ण खोज रमन प्रभाव को सार्वजनिक किया था। उनकी इस खोज के लिये 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी इस कामयाबी को याद रखने के लिये भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 2023 की थीम ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ है।

पहला साइंस डे 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था। इसको मनाने का उद्देश्य सर सीवी रमन को सम्मान देने के साथ आम लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना, विज्ञान का महत्व को समझाना, बच्चों को विज्ञान के कैरियर के रूप में चुनने के लिये प्रोत्साहित करना है।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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