बैतूल जिले के सारनी स्थित सतपुड़ा जलाशय को पूरी तरह से गिरफ्त में ले चुकी चायनीज झालर से मुक्ति का उपाय मध्यप्रदेश पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) को मिल गया है। पिछले दिनों कंपनी के सांइटिस्ट की सारनी विजिट हुई थी। जिसमें इस चायनील झालर को खाने वाला कीड़ा जलाशय में डाला जाना प्रस्तावित किया गया है।
सारनी में अपर रेस्ट हाउस में एमडी और मुख्य अभियंता ने आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे को इस विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी प्रबंधन इस चायनीज झालर बीड किलर इंसेक्ट का सफल प्रयोग कर चुका है। जिसमें संबंधित स्थान पर चायनीज झालर पूरी तरह से समाप्त हो गई है। बताया जाता है कि यह विशेष किस्म का कीड़ा केवल चायनीज झालर ही खाता है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के पूर्व गत माह विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे की चायनीज झालर के विषय पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी से लंबी चर्चा हुई थी। डॉ. पंडाग्रे ने चायनीज झालर से हो रहे नुकसान की उन्हें विस्तृत जानकारी देकर त्वरित निराकरण का आग्रह किया था।
श्री रस्तोगी ने विधायक द्वारा बताए गए विषय को गंभीरता से लेते हुए तुरंत ही उनके पत्र को स्कैन कर जल संसाधन एवं उर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को वाट्सएप कर तुरंत चर्चा भी की थी और इस समस्या के हल हेतु शीघ्र योजना बनाने के निर्देश दिए थे।
गौरतलब है कि सारनी में बुधवार को वर्ल्ड बैंक की टीम के साथ एमडी एवं अन्य उच्चाकारियों ने विजिट की थी। इस विजिट के बारे में बताया जाता है कि वे नई यूनिटों की स्थापना को लेकर आए थे। योजना यह है कि सारनी में सबसे पहले सोलर पॉवर प्लांट की यूनिटें लगेंगी।
इसके लिए सतपुडा़ जलाशय के उपर फ्लोटिंग पैनल और धसेड़ राख बांध के उपर सोलर पैनल स्थापित करने की योजना प्रस्तावित की गई है। इसके बाद के चरण में सतपड़ा जलाशय के नीचे की ओर 45-50 मेगावाट के हॉयड्रल प्लांट की स्थापना के बारे में भी विचार चल रहा है।
इसके अलावा थर्मल पॉवर प्लाटं की यूनिट भी चरणबद्ध क्रम में लगाई जाएगी। उक्त सभी परियोजनाएं चरणबद्ध ढंग से स्थापित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि उजड़ते सारनी शहर को बचाने के लिए नई यूनिटों की स्थापना की मांग लंबे समय से की जा रही है।