आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र में BBSSL का होगा बहुत बड़ा योगदान
सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा BBSSL का मुनाफा
Smart Kheti : (नई दिल्ली)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) द्वारा “सहकारी क्षेत्र में उन्नत एवं पारंपरिक बीजोत्पादन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी” को संबोधित किया। इस मौके पर श्री शाह ने BBSSLके Logo, वेबसाइट और Brochure का अनावरण तथा BBSSLके सदस्यों को सदस्यता प्रमाणपत्र भी वितरित किए। (Smart Kheti)
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री शाह ने कहा कि आज का दिन देश के सहकारिता आंदोलन, किसानों और अन्न उत्पादन के क्षेत्र में नई शुरूआत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र मे BBSSL का बहुत बड़ा योगदान होगा। देश के हर किसान को आज वैज्ञानिक रूप से बनाया और तैयार किया गया बीज उपलब्ध नहीं है, इसीलिए ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस विशाल देश के हर किसान के पास प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज पहुंचे और ये काम भी यही सहकारी समिति करेगी। (Smart Kheti)
श्री शाह ने कहा कि भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में से एक है जहां कृषि की अधिकृत शुरूआत हुई और इसी कारण हमारे परंपरागत बीज गुण और शारीरिक पोषण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त (Smart Kheti) हैं। उन्होंने कहा कि भारत के परंपरागत बीजों का संरक्षण कर उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है, जिससे स्वास्थ्यपूर्ण अन्न, फल और सब्ज़ियों का उत्पादन निरंतर होता रहे और यह काम BBSSL करेगी। उन्होंने कहा कि हमारे यहां उत्पादित होने वाले बीज कमोबेश विदेशी तरीकों से R&D करके बनाए गए हैं, लेकिन हमारे कृषि वैज्ञानिकों को अगर एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिले तो वे विश्व में सबसे अधिक उत्पादन करने वाले बीज बना सकते हैं, और इस R&D का काम भी BBSSL करेगी। (Smart Kheti)
उन्होंने कहा कि ये समिति कृषि, बागवानी, डेयरी, मत्स्यपालन सहित हर प्रकार की समितियों की तरह PACS को बीज उत्पादन के साथ जोड़ने का काम करेगी। PACS के माध्यम से हर किसान अपने खेत में बीज उत्पादन कर सकेगा, इसका सर्टिफिकेशन भी होगा और ब्राडिंग के बाद ना सिर्फ पूरे देश बल्कि विश्व में इस बीज को पहुंचाने में ये समिति योगदान देगी। (Smart Kheti)
उन्होंने कहा कि इस बीज सहकारी समिति (Smart Kheti) का पूरा मुनाफा सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा और यही सहकारिता का मूल मंत्र है। इस सहकारी समिति के माध्यम से बीजों की उच्च आनुवांशिक शुद्धता और भौतिक शुद्धता से बिना कोई समझौता किए इन्हें बरकरार रखा जाएगा और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की भी चिंता की जाएगी, इन तीनों बातों का संयोजन करते हुए उत्पादन बढ़ाना ही हमारा लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि इस सहकारी समिति का लक्ष्य केवल मुनाफा कमाना नहीं है बल्कि इसके माध्यम से हम विश्व की औसत पैदावार के साथ भारत की पैदावार को मैच करना चाहते हैं। इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के अकुशल उत्पादन की जगह किसान को प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक तरीके से बीजों के उत्पादन के साथ हम जोड़ने का काम करेंगे। आज भारत में ही बीजों की आवश्यकता लगभग 465 लाख क्विंटल है, जिसमें से 165 लाख क्विंटल सरकारी व्यवस्था से उत्पादित होता है और कोऑपरेटिव व्यवस्था से ये उत्पादन 1 प्रतिशत से भी नीचे है, हमें इस अनुपात को बदलना होगा।
श्री शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव के माध्यम से बीज उत्पादन (Smart Kheti) के साथ जो किसान जुड़ेंगे, उन्हें बीज का मुनाफा सीधे मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत के घरेलू बीज बाजार का वैश्विक बाज़ार में हिस्सा सिर्फ 4.5 प्रतिशत है, इसे बढ़ाने की ज़रूरत है और इसके लिए बहुत काम करना होगा। श्री शाह ने कहा कि हमें इस भारतीय बीज सहकारी समिति के अगले 5 सालों के लक्ष्य तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में इस बीज सहकारी समिति की स्थापना केवल मुनाफे और उत्पादन के लक्ष्य तय करने के लिए नहीं हुई है, बल्कि ये R&D का काम भी करेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा।
श्री शाह ने कहा कि बीज नेटवर्क में ICAR, 3 केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, 48 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 726 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र और केन्द्र और राज्यों की 72 सरकारी एजेंसियां जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमारी किसी से कोई स्पर्धा नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य है कि मुनाफा किसान के पास पहुंचे, प्रमाणित बीजों का उत्पादन बढ़े और इनके निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़े। उन्होंने कहा कि इन सभी संस्थाओं को साथ लेकर हम इस बीज कोऑपरेटिव के काम को आगे बढ़ाएंगे और अपने लक्षित सीड रिप्लेसमेंट रेट के प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। (Smart Kheti)
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केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारा एक बहुत बड़ा उद्देश्य यह भी है कि पारंपरिक बीजों संरक्षण किया जाए, क्योंकि हमारे पास बीज की लाखों नस्ल हैं, लेकिन इनके बारे में पूरी जानकारी सरकारी विभागों को भी नहीं है। उन्होंने कहा कि लाखों गांव में हर किसान के पास परंपरागत बीज उपलब्ध हैं, इसका डेटा बनाना, संवर्धन करना, संवर्धित करना और इसका वैज्ञानिक एनालिसिस करके इसके सकारात्मक पहलुओं का एक डेटा बैंक तैयार करना बहुत बड़ा काम है, जिसे भारत सरकार करेगी।
उन्होंने कहा कि हमने इसमें क्लाइमेट चेंज की चिंता को भी सामने रखा है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इनीशिएटिव से श्री अन्न (मिलेट्स) का जो बड़ा मार्केट आज विश्व में खड़ा हुआ है, इसके बीज भारत के अलावा बहुत कम देशों के पास हैं। रागी, बाजरा, ज्वार और कई अन्य मिलेट्स पर हमारी मोनोपली हो सकती है, अगर हमारी यह बीज कोऑपरेटिव इस पर ध्यान दे।
गौरतलब है कि देश की तीन प्रमुख सहकारी समितियों- इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (KRIBHCO) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) तथा भारत सरकार के दो प्रमुख वैधानिक निकाय- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने संयुक्त रूप से BBSSL को प्रमोट किया है।
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