▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Shree Hanuman Janmotsav: जिले के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर केरपानी के संकट मोचन हनुमान बावनगड़ी हनुमान के नाम से भी जाने जाते हैं। जिले में हनुमान जी के अनेक मंदिर है। जिनकी अपनी अलग-अलग महिमा और महत्व भी है। जहां पवन पुत्र हनुमान के जन्मोत्सव पर दर्शन और पूजन करने में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इन मंदिरों को लेकर कई मान्यताएं और चमत्कारिक कहानियां भी प्रचलित हैं। इनमें से कई कहानियां तो इतनी आश्चर्यजनक हैं कि उन पर सहज विश्वास नहीं होता।
जिले के प्रसिद्ध अद्भुत चमत्कारी संकट मोचन हनुमान मंदिर केरपानी के गर्भगृह में जो प्रतिमा स्थापित है वह कहां से और कैसे आई, इसे लेकर भी बड़ी रोचक कहानी है। बड़े बुजुर्ग आज भी यह कहानी बड़े उत्साह और चाव से सुनाते हैं। इस प्रतिमा के विषय में बताया जाता है कि झल्लार ग्राम के भगवंराव कनाठे (पटेल) थे। प्रतिमा ने उन्हें में स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि केरपानी गांव के गडीझिरा में पीपल के वृक्ष के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा है। उसे खुदाई कर बाहर निकालकर लाओ। श्री कनाठे ने स्वप्न के बाद केरपानी स्थित अपने खेत में हनुमान जी की प्रतिमा होने की खबर केरपानी के ग्रामीणों को बताई और उन्होंने गडीझिरा स्थान पर जाकर खुदाई कर प्रतिमा को बाहर निकाला।
इसके बाद अपने निवास झल्लार ले जाने की तैयारी की। साथ में एक-दो नहीं बल्कि 52 बैलगाड़ी पर प्रतिमा को रखा गया। साथ में 10 बोरा नारियल, नींबू आदि सामग्री से हनुमान जी की प्रतिमा का पूजन कर परतवाड़ा मार्ग से ले जाया जा रहा था। इस बीच विश्राम के लिए मार्ग के किनारे पीपल के पेड़ से प्रतिमा को टिका कर रख दिया गया। कुछ देर बाद फिर दोबारा झल्लार ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रतिमा फिर उस स्थान से हिली भी नहीं। लाख प्रयास करने पर भी जब सफलता नहीं मिली तो फिर उसे केरपानी में ही स्थापित कर दिया गया।
बैतूल के हरिभाऊ जेधेे, सीताराम पुरोहित, खेड़ी के बिहारीलाल अग्रवाल और भगवंतराव पटेल और ग्रामीणों के सहयोग से केरपानी में विशाल मंदिर का निर्माण किया गया। कुछ ही समय में हनुमान जी बावनगड़ी हनुमान के नाम से प्रसिद्ध हो गए। हनुमान जी के इस मंदिर में अनेक चमत्कार होने लगे और दूर-दूर से लोग यहां पूजा अर्चना करने आने लगे। उनकी मनोकामना भी हनुमान जी पूर्ण करने लगे।
सूरदास की लाठी बने बावनगड़ी हनुमान (Shree Hanuman Janmotsav)
मंदिर परिसर में चिचोलाढाना गांव का एक आदिवासी नेत्रहीन युवक हनुमान जी की सेवा में निरंतर रहता था। इस सूरदास पर मारुतिनंदन की खूब कृपा हुई। वह केरपानी से 5 किलोमीटर दूर ताप्ती घाट से स्नान कर ताप्ती जल से हनुमान जी का प्रतिदिन अभिषेक करता था। वहीं मंदिर के समीप कुएं से भी अकेला ही पानी भर कर लाता था, हनुमान जी का स्नान कराता था। इसके चलते ही मंदिर परिसर में ही सूरदास की समाधि का निर्माण किया गया। श्रद्धालु, हनुमान जी के साथ सूरदास समाधि के भी दर्शन करते हैं। कहते हैं सूरदास समाधि के दर्शन किए बगैर हनुमान जी की पूजा अधूरी है।
जन्मोत्सव पर चल रहे यह आयोजन
हनुमान मंदिर केरपानी में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन भी चल रहा है। श्रीमद् भागवत कथा का समापन गुरुवार हनुमान जन्मोत्सव के साथ होगा। गुरुवार सुबह से हनुमान जी का जल अभिषेक रुद्राभिषेक होगा। साथ ही महा आरती होगी। आरती के बाद दोपहर 12 बजे से भंडारे प्रसादी का आयोजन होगा।