▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
Shiv ji ka Prachin Mandir: भोलेनाथ का प्राकृतिक जलाभिषेक, मानसून की बिदाई के बाद अभी भी इस मंदिर में जलमग्न हैं भगवान शिव, 8 फीट भरा है पानीमध्यप्रदेश में है एक अतुलनीय शिव मन्दिर (Incredible Shiva Temple) जो भूमि तल के नीचे स्थित है। यह मन्दिर इतना विशिष्ट है कि भूमि-तल के नीचे होने के साथ शिवलिंग पर चढ़ाया जल और वर्तमान में गर्भ ग्रह में भरा जल अपने आप पुनः धरती में चला जाता है। हम बात कर रहे हैं बैतूल जिला मुख्यालय (Betul District) से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खेड़ला किला के हजारों वर्ष पुराने प्राचीन शिव मंदिर (Thousand Years Old Ancient Shiva Temple) में शिवालय की। इस मंदिर में वर्तमान में भी गर्भ ग्रह में जाने की सीढ़ियों सहित ऊपर लगी घंटियों तक लगभग आठ फीट पानी मानसून लौटने के बाद भी भरा है। भगवान भोलेनाथ यहां अभी भी जलमग्न हैं।
प्रकृति की गोद में बसे इस प्राचीन शिव मंदिर (ancient shiva temple) में प्राचीन काल से प्रति वर्ष सावन मास में प्रकृति स्वयं भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करती है। वर्ष 2012 की मूसलाधार बारिश में मंदिर की घंटियों तक गर्भगृह सावन मास से शिवरात्रि तक पूरी तरह जलमग्न था। इस साल 10 वर्ष बाद पुनः गर्भ गृह में जाने की सीढ़ियां जलमग्न हैं। प्रति सोमवार भोलेनाथ के दर्शन करने लोगों का यहां तांता लगा रहता है। वर्तमान में गर्भ गृह जलमग्न होने से भक्त श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की बाहर से पूजा अर्चना कर रहे हैं।
रावणबाड़ी तालाब से आता है पानी | Shiv ji ka Prachin Mandir
मंदिर के गर्भगृह (temple sanctum) में रावणवाड़ी के पास स्थित तालाब से पानी आता है। गोण्ड राजा इल ने यह तालाब खुदवाया था। राजा इल देवी के भक्त थे। वे तंत्र-मंत्र साधना के साथ-साथ सूर्य साधना के ज्ञाता थे। राजा इल ने साधु, संतों, महात्माओं के आदेश देने पर राज्य में सूखा और अकाल के निदान, सूर्य के ताप को कम करने तथा राज्य में कभी पानी की कमी नहीं आए, इन उद्देश्यों से किले के सामने (वर्तमान के रावणबाड़ी) में 22 हेक्टेयर में तालाब खुदवाया था।
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यज्ञ के बाद जल की अथाह आवक
परिश्रम के बाद भी जब पानी नहीं आया तो महात्मा के आदेश पर तालाब के बीचों बीच सोने का सूर्य मंदिर स्थापित करवाया। साथ ही सूर्य साधना एवं सूर्ययज्ञ किया। जिसमें राजा ने अपने ज्येष्ठ पुत्र एवं पुत्र वधु को यज्ञ की बेदी पर बैठाया। जब चारों ओर से जल का अथाह बहाव आया तब वहीं दोनों की बलि चढ़ गई। ऐसा कहा जाता है कि किले से तालाब तक एक सुरंग थी।
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