Shitala Mandir Khedi : मन्नत पूरी होने पर भगत बन कर खींचा गाड़ा और जलते हुए खप्पर में चढ़ाया तेल

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Shitala Mandir Khedi : मन्नत पूरी होने पर भगत बन कर खींचा गाड़ा और जलते हुए खप्पर में चढ़ाया तेल

▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़

Shitala Mandir Khedi : चैत्र पूर्णिमा के पावन पर्व पर अपनी मन्नत पूरी होने पर गाड़ा खींचने की जिले में आज भी परंपरा कायम है। जिले में कई स्थानों पर चैत्र पूर्णिमा पर यह आयोजन किया जाता है। जिला मुख्यालय के समीप स्थित खेड़ी सांवलीगढ़ के माँ शीतला के दरबार में भी इस परंपरा का निर्वहन पूरी आस्था और उत्साह के साथ किया जाता है।

गुरुवार को भी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए माँ के भक्तों ने शीतला मंदिर पहुँचकर माँ शीतला की पूजाअर्चना कर जहाँ एक ओर गांव की समृद्धि और खुशहाली की कामना की वहीं मनोकामना पूर्ण होने पर कई भक्तों ने माँ शीतला के सम्मुख उपस्थित होकर विधिवत भगत भगवत सोनारे के मार्गदर्शन में गाड़ा खींचकर माँ शीतला रानी का धन्यवाद किया। उसी प्रकार सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने माँ शीतला रानी के दर्शन कर जलते खप्पर में तेल अर्पित किया। साथ ही माँ शीतला का आशीर्वाद ग्रहण किया।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग आस्था के चलते देर समय तक उपस्थित रहे। ग्राम के भगवत सोनारे बताते हैं कि यह गाड़ा खींचने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी परम्परा है। यह आज भी अपनी अनूठी शैली को लेकर भक्तिमय वातावरण बना देती है। उल्लेखनीय है कि जिले के अन्य स्थानों पर भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

यहां देखें वीडियो…

क्या है गाड़ा खींचने की परंपरा

इसमें विभिन्न धार्मिक स्थलों पर बैलगाड़ियों को प्रतीकात्मक रूप से खींचा जाता है। यह बैलगाड़ी वे श्रद्धालु खींचते हैं जिन्होंने मातारानी से कोई मन्नत मांगी थी और वह पूरी हो गई हो। इसी पर आभार व्यक्त करने के लिए श्रद्धालु गाड़ा खींचते हैं। इसमें बैलगाड़ियों की संख्या उतनी रहती हैं, जितनी मन्नत में कही गई हो। यह अलग-अलग श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग हो सकती है।

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