Shardiya Navratri Start Date 2022: नवरात्रि पर्व हिन्दू धर्म में बेहद महत्व रखता है। इस पर्व को लेकर लोग काफी उत्साहित (Excited) रहते हैं और मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना में नतमस्तक हो जाते हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की शुरूआत 26 सितंबर से हो रही है। पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजा होती है। इसके साथ ही नवरात्रि पर्व भी शुरू हो जाता है और सभी 9 दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा।
नवरात्र में पंचमी तिथि यानी 30 सितंबर को मां दुर्गा स्थापित की जाएंगी। आज हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि कब से और क्यों मनाई जाती है? इस बारे में कई पौराणिक कथाएं (Mythological Stories) प्रचलित हैं। जिनमें से दो के बारे में आज हम आपको बताते हैं। इसके साथ ही हम आपको इस वर्ष कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानकारी देंगे।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त | kalash Sthapna muhurt
उदय कालिक प्रतिपदा 26 सितंबर सोमवार को है। इस बार दिनभर कलश स्थापना शुभ है। अभिजीत मुहूर्त का समय सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 से 7.30 बजे, सुबह 9 बजे से 10.30 बजे और दोपहर 1.30 बजे से शाम 6 बजे तक है। पूर्वांचली के अनुसार माता के हाथी पर आगमन देश के लिए सामान्य फलदायक और वर्षा कारक होगा। अष्टमी की महानिशा पूजन दो अक्तूबर, महा अष्टमी व्रत पूजा तीन और महानवमी चार को है। नवरात्र का पारण पांच अक्तूबर को होगा।
नवरात्रि पर्व मनाये जाने की पौराणिक कथा
पहली पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्माजी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया था। जिसके तरह उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार नहीं सकता था। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनों लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा देवी को जन्म दिया। जिसके बाद मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। तब से इस नौ दिनों को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
ये भी पौराणिक कथा है प्रचलित
नवरात्रि मनाये जाने की एक और पौराणिक कथा है। इसके अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले, रावण से युद्ध में जीत की कामना के साथ शक्ति की देवी भगवती मां की आराधना की थी। उन्होंने रामेश्वरम में नौ दिनों तक माता की पूजा-अर्चना की। श्रीराम की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उनको लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था। जिसके बाद भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर दिया और लंका पर विजय प्राप्त की। तब से इन नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही लंका पर विजय प्राप्त करने के दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं।)
News Source: live Hindusatan/zeenews.india