Shani Jayanti 2024: भगवान सूर्यदेव और देवी छाया के पुत्र शनिदेव जयंती इस बार 8 मई को आ रही है। वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाने वाली शनि जयंती पर भक्त शनिदेव की विशेष पूजा-आराधना और अनुष्ठान करते हैं। लेकिन पूजा पाठ के दौरान होने वाली गलतियों से भगवान नाराज हो जाते है और इसका नुकसान भक्त को उठाना पड़ता है। शनिदेव की पूजा में कई सामग्री का उपयोग वर्जित माना गया है। हम आपको शनिदेव की पूजा विधि और पूजन में वर्जित सामग्री की जानकारी दे रहे हैं।
भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले और गहरे नीले रंग की वस्तुएं अधिक चढ़ाई जाती हैं, जैसे- काला तिल, उड़द की दाल, काले चने, लोहे की वस्तुएं आदि। लेकिन शनिदेव की पूजा में कुछ वस्तुओं का इस्तेमाल भूल से भी नहीं करना चाहिए। इससे शनिदेव नाराज हो जाते हैं। कुपित होकर शनिदेव साधक का अनिष्ट कर सकते हैं। शनि के कोप से राजा भी रंक हो जाता है। इसलिए उनकी पूजा बहुत सतर्कता से करनी चाहिए।
शनि जयंती 2024 पूजा विधि
शनि जयंती के दिन नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद नीले रंग के वस्त्र धारण करके शनि मंदिर जाएं। इसके साथ शनि को सरसों का तेल के अलावा शमी की पत्तियां, अपराजिता के नीले फूल आदि चढ़ा दें। इसके बाद विधिवत आरती कर लें।
Shani Jayanti 2024 शनिदेव की पूजा में ना करें इन वस्तुओं का उपयोग
1. तांबे की वस्तुएं: तांबा सूर्यदेव से संबंधित होने के कारण शनिदेव को तांबे की वस्तुएं नहीं चढ़ाई जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य और शनि एक-दूसरे के दुश्मन हैं।
2. तामसिक वस्तुएं: भगवान शनिदेव को तामसिक पदार्थों, जैसे- मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का भोग नहीं लगाया जाता है।
3. चमड़े की वस्तुएं: चमड़े की वस्तुएं पशुओं की खाल से बनती हैं। शनिदेव एक सात्विक देवता हैं। सात्विक देवों को चमड़े की वस्तुएं नहीं चढ़ाई जाती हैं।
4. मसूर की दाल: मसूर दाल में मंगलदेव का वास होता है। मंगल और शनि की आपसी शत्रुता के कारण शनिदेव को मसूर दाल अर्पित नहीं करना चाहिए।
5. सूखे फूल और टूटी हुई वस्तुएं: शनिदेव को सूखे फूल और टूटी हुई वस्तुएं अर्पित नहीं करनी चाहिए, इससे वे कुपित हो जाते हैं।
6. नारियल पानी: नारियल पानी में सूर्य का वास माना जाता है, इसलिइ यह भी नहीं चढ़ाया जाता है।
भगवान शनिदेव केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि देव, दानव, यक्ष, गंधर्व, मनुष्य आदि सभी को उनके कर्मों के अनुसार अनुसार फल या दंड देते हैं। वे कर्मफल के स्वामी और न्यायाधीश हैं। उनकी पूजा कभी भी जूते पहन कर नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि शनि की दृष्टि से बचकर रहना चाहिए, इसलिए उनकी प्रतिमा से आंखें नहीं मिलाई जाती हैं।
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