Cold Storage Ke liye Yojna : सब्जी और फूलों की बागवानी उपज जल्द खराब हो जाती है। इसके चलते इनकी खेती करने वाले किसानों को उपज के आते ही जो दाम मिल जाए, उसी पर बेचना पड़ता है। इससे कई बार किसानों को तगड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है।
इन फसलों को सुरक्षित रखने के लिए शीत भंडारण केंद्रों (कोल्ड स्टोरेज) की जरुरत पड़ती है। हालांकि इसकी लागत काफी अधिक होने से हर किसान इसकी स्थापना नहीं कर सकता। यही कारण है कि अनुकूल जलवायु और मिट्टी होने के बावजूद कई किसान बागवानी की खेती ही नहीं करते हैं। (Cold Storage Ke liye Yojna)
इसी बात को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए आर्थिक सहायता भी देती है। सरकार द्वारा इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इसका लाभ उठाकर किसान शीत भंडारण केंद्र की स्थापना कर सकते हैं। (Cold Storage Ke liye Yojna)
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इसके साथ ही सरकार द्वारा कृषि या बागवानी उपज को नुकसान से बचाने के लिए शीत भंडारण केंद्र के अलावा, प्री-कूलिंग यूनिट, कोल्ड रूम, पैक हाउस, इंटीग्रेटेड पैक हाउस, प्रिजर्वेशन यूनिट, रीफर ट्रांसपोर्ट, राइपनिंग चैंबर आदि की स्थापना के लिए भी एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। (Cold Storage Ke liye Yojna)
चूंकि घटक मांग/उद्यमी द्वारा संचालित हैं, जिसके लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 प्रतिशत की दर पर और पहाड़ी एवं अनुसूचित इलाकों में संबंधित राज्य बागवानी मिशन (एसएचएम) के माध्यम से क्षेत्र आधारित परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर पर उपलब्ध है। (Cold Storage Ke liye Yojna)
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नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकॉन्स) द्वारा वर्ष 2015 में ऑल इंडिया कोल्ड-चेन इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेसिटी (एआईसीआईसी-2015) पर किए गए अध्ययन के अनुसार, उस समय शीत भंडारण केंद्र की आवश्यक क्षमता 2014 में 318.23 लाख मीट्रिक टन की मौजूदा सामर्थ्य की तुलना में 351.00 लाख मीट्रिक टन थी। (Cold Storage Ke liye Yojna)
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उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वर्तमान समय में देश के भीतर 394.17 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले 8653 शीत भंडारण केंद्र उपलब्ध हैं। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह जानकारी दी। (Cold Storage Ke liye Yojna)
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