⇓ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Sarpagandha tree : मध्यप्रदेश का बैतूल जिला हरे-भरे वनों से आच्छादित है। यहां इस जिले के दक्षिण वन मंडल सामान्य के ताप्ती वन परिक्षेत्र अंतर्गत ताप्ती नदी के तट पर अनेक औषधीय पेड़-पौधे मौजूद है। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें चमत्कारी कहा जा सकता है।
यहां ऐसा ही एक पेड़ हैं जिसके करीब खतरनाक से खतरनाक और जहरीले सांप भी नहीं आते हैं। इस पेड़ की खोज आयुर्वेद के जानकार भोपाल के पास जंगलों में स्थित भीम वाटिका के तपस्वी संत वाटिका वाले बाबा ने की थी।
महाराज ने की थी पेड़ की खोज
करीब 25 वर्ष पूर्व खेड़ी आए भीम वाटिका वाले महाराज ने ताप्ती के वनों में दिव्य अलौकिक औषधियों का पता लगाया था। उन्होंने सबसे पहले इस गरुड़ पेड़ का पता लगाया था। इस पेड़ को आयुर्वेद में सर्पगंधा नाम से जाना जाता है।
पेड़ से निकलती है विशेष गंध
जानकार बताते हैं कि इस गरुड़ पेड़ की पत्तियों में विशेष प्रकार के रसायन पाए जाते हैं। जिसकी गंध सांपों के लिए असहनीय होती है। इसलिए कितना ही जहरीला सांप हो, इस पेड़ के नीचे नहीं आता। पेड़ के नीचे आना तो दूर बल्कि वे इसकी परछाई में भी नहीं आते।
सांप की तरह होती है फल्लियां
इस पेड़ में लंबी-लंबी फल्ली होती है। इन फल्लियों का आकार भी सांप की तरह होता है। कहते हैं कि यदि हम लाल कपड़े में बांधकर घर के पवित्र स्थल पर रखे तो उस घर में सांप कभी नहीं आएंगे। बताते हैं कि बुजुर्ग सांपों को घर से दूर रखने के लिए इसी नुस्खे का पालन करते थे।
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