Sabse Sasta Kaju Badam: कोई भी हलवा हो या खीर या फिर कोई सब्जी, थोड़े से काजू किसी भी व्यंजन की सजावट के साथ साथ स्वाद को भी दुगना कर देता है। हालांकि, इस काजू की कीमत काफी ज्यादा है, जिस वजह से मिडिल क्लास लोगों की जेबें इसे खरीदने पर हल्की हो जाती है। प्रति किलो काजू की कीमत 700 रूपये के नीचे शुरू ही नहीं होती।
हालांकि, हमारे देश भारत में एक ऐसी जगह है, जहां काजू आलू-प्याज के भाव में बिकता हैं। जी हां इस जगह पर काजू आपको आराम से तीस से चालीस रूपये किलो की दर पर मिल जायेंगे। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये जगह है कौन सी, तो हम आपको बता दें कि झारखंड वो जगह है, जहां काजू काफी सस्ते दामों में मिल जाते हैं।
- Also Read : KVIC Meeting Update : देशभर में इन श्रमिकों की बल्ले-बल्ले! बढ़ाया गया पारिश्रमिक, अब होगी इतनी आमदनी
झारखंड में होती है काजू की बंपर खेती (Sabse Sasta Kaju Badam)
भारत 2013 में 1.01 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में खेती और 0.75 मिलियन टन उत्पादन के साथ दुनिया में कच्चे काजू का सबसे बड़ा उत्पादक है। झारखंड में काजू के उत्पादन के लिए 12 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप 5 टन काजू का उत्पाद होता है। राज्य के पूर्व और पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, और देवघर में काजू की खेती जम कर की जाती है, जिस वजह से यहां काजू इतने सस्ते मिलते हैं।
- Also Read : Eye Care Tips: कम हो रही है आंखों की रोशनी, तो आजमाएं ये घरेलू उपाय, इन उपायोंं से आंखें रहेंगी स्वस्थ
सड़क किनारे आलू-प्याज की तरह बिकता है काजू
झारकंढ के जामताड़ा में लोग सड़कों के किनारे काजू ऐसे बेचते हैं, मानों आलू-प्याज बेच रहे हों। अकेले जामताड़ा में जामताड़ा के नाला गांव में करीब 50 एकड़ जमीन पर काजू की खेती की जाती है। यहां तक कि इस शहर का नाम काजू नगरी तक पड़ चुका है। जामताड़ा में काजू के बड़े-बड़े बागान हैं और यहां के किसान काफी कम कीमतों पर काजू बेचते हैं। झारखंड की जलवायु और मिट्टी काजू की खेती के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। साल 1990 से यहां काजू की खेती होती आ रही है।
- Also Read : Benefits of Millets: हजार बीमारियों का एक इलाज हैं ये मोटे अनाज, एक बार खाने से दूर हो जाती है हर तकलीफ !
यहां काजू सस्ता मिलने की वजह से आस-पास के राज्यों से भी व्यापारी थोक में यहां से काजू खरीद कर ले जाते हैं और अपने राज्य में दुगने दामों पर बेचते हैं। दरअसल, इस इलाके में कोई प्रोसेसिंग प्लांट नहीं था। इसलिए यहां के किसान फलों से काजू नहीं निकाल पाये। वहीं, आस-पास के राज्यों के लोगों को खबर मिली, तो वे यहां से काजू के फल खरीद कर ले जाने लगे।