Ram Mandir Ayodhya : देश के नेताओं को अपने मन के दैत्य को मार कर अपने मन में राम राज्य लाने की जरुरत

Ram Mandir Ayodhya : देश के नेताओं को अपने मन के दैत्य को मार कर अपने मन में राम राज्य लाने की जरुरत
Ram Mandir Ayodhya : देश के नेताओं को अपने मन के दैत्य को मार कर अपने मन में राम राज्य लाने की जरुरत

▪️प्रसेन मालवी, बैतूल

Ram Mandir Ayodhya : हर किसी के मन में प्रभु श्रीराम की अपनी छवि है। आज कोई अपने मन में प्रभु श्री राम को अपना आदर्श मानता है तो कोई अपना ईश मन कर पूजता है। आज देश में कम्युनिस्ट विचार धारा को मानने वाले लोग भी भगवान को आध्यात्मिक रूप से कहीं ना कहीं अपने विचारों में स्थान देते हैं। भगवान राम मन में ही नही कण कण में व्याप्त है। जीवन का सर्वस्व प्रभु श्री राम का है।

वर्तमान परिदृश्य में हमारे देश में राजनेता वोट बैंक की राजनीति के आगे इतने लाचार हो गए है कि रामकाज और उनकी आराधना में भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। जहाँ आजादी के अमृतकल में जगत के आराध्य प्रभु श्री राम जो ना जाने अपने ही घर में कितने वर्षों से तम्बू में रह रहे थे, उन्हें अपने राजमहल रूपी मंदिर में जाने का वक्त आ गया है तो कुछ राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के दिलों पर साँप लोटने लगे हैं। वो जन मानस की भावनाओं को राजनीतिक रूप से देख रही है।

आज देश का माहौल चंद नेताओं ने ऐसा कर दिया है कि वे भगवान और सनातन धर्म को ही नीचा दिखाने और बुरा बोलने में पीछे नहीं हट रहे हंै। आज देश में 500 वर्षों बाद सभी के आराध्य प्रभु श्री राम के भावी मंदिर की स्थापना होने जा रही है तो विपक्ष के नेता इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का आयोजन बता कर उसमें जाने से पल्ला झाड रहे हैं। (Ram Mandir Ayodhya)

आज राम मंदिर का निर्माण सिर्फ खुशी का उत्सव ही नहीं बल्कि अनेकों राम भक्तों और साधु संतों समेत कारसेवकों के बलिदानों को याद करने का दिन है। आजादी के बाद देशा में अनेक सरकारें आई और गई, पर वोटों के तुष्टीकरण के कारण प्रभु श्री राम को तम्बू में ही रहना पड़ा। ना जाने कितने ही साक्ष्य और प्रमाण रहने पर भी सरकार के दबाव में अदालत में फैसले को टाला गया।विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस आज से ही नहीं आजादी के बाद से अयोध्या से दूरी बनाए हुई है। देश के पहले प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा, सोनिया, राहुल सभी अयोध्या के निकट तो गए किन्तु अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन नहीं किए। (Ram Mandir Ayodhya)

जनसंघ के जमाने से भाजपा के पूर्ण रूप से सत्ता में आने तक नेताओं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं और रामभक्तों ने राम मंदिर निर्माण को अपने जीवन का लक्ष्य मान कर अपना जंवन यापन किया।अनेक रामभक्तों ने अपना सर्वस्व प्रभु श्री राम के मंदिर की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया। राम मंदिर केवल हिन्दुओं की जीत का ही नहीं बल्कि आस्था और निश्चय का भी उत्सव है। (Ram Mandir Ayodhya)

अनेक राम भक्तों ने राम मंदिर के लिए अनेक प्रण लिए और त्याग दिए। प्रभु श्री राम के परम भक्त जगतगुरु श्री राम भद्राचार्य जी, महंत श्री नृत्य गोपालदास जी, स्व. अशोक सिंघल, महान कोठारी बंधुओं, स्व. कल्याण सिंह समेत साध्वी ऋतंभरा देवी, प्रवीण तोगड़िया जी ने अनेक लड़ाइयां लड़ी। भाजपा के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में भाजपा ने रथ यात्रा निकाल कर राम मंदिर निर्माण के लिए आव्हान किया था, जिसे गोपाल गंज में तत्कालीन यूपीए समर्थित सरकार ने रोका था। अनेक कार सेवकों और प्रभु श्री राम के भक्तों, साधु संतों ने विवादित ढांचे को ढहा कर राम मंदिर की नींव रखी थी। (Ram Mandir Ayodhya)

समाजवादी पार्टी की सरकार के मुखिया मुलायम सिंह ने पुलिस को आदेश देकर तत्कालीन फैजाबाद जिले में राम भक्तों पर गोलियां चला कर निहत्थे राम भक्तों की हत्या कर दी थी। आज भी देश में कई नेता ऐसे हैं जो भगवान श्री राम की अवहेलना करने से पीछे नहीं हटते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामीप्रसाद मौर्य ने समय समय पर सनातन धर्म और रामचरित मानस का अपमान किया है। दक्षिण भारत और अनेकों वामपंथी विचारधारा के नेताओं ने भगवान का अपमान किया, वोट बैंक की राजनीति करनी चाही। (Ram Mandir Ayodhya)

देश में एक दौर था जब हिन्दू हृदय सम्राट और शिवसेना के पुरोधा स्व. बालासाहेब ठाकरे सदैव राम मंदिर और सनातन धर्म के समर्थन में खड़े थे, किन्तु सत्ता के मद में उनकी पार्टी के नेताओं ने आज भगवान राम को उल्टा कहना भी शुरू कर दिया है।विगत दिनों महाराष्ट्र के एक बड़े नेता ने भगवान को मांसाहारी तक बताया था। कॉग्रेस ने भगवान से हमेशा किनारा किया है वो चुनाव के वक्त स्वयं को हिन्दू साबित करने में लगे रहते हैं और उनके शहजादे ने मंदिर जाने को लड़की छेड़ने वाला तक कहा था। (Ram Mandir Ayodhya)

प्रभु श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने देश के सभी गजनीतिक दल को निमंत्रण दिया था किन्तु विपक्ष के नेताओं ने अपने वोटों को साधने के लिए बहाने बना कर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया। शायद देश की जनता समझ चुकी है कि भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावै।नेताओं और राजनीतिक दलों को समझना होगा कि प्रभु श्री राम सनातन धर्म के ही नहीं बल्कि दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति के पूजनीय हंै। भगवान जब आज इतने साल तिरपाल में रह कर अदालतों में लड़ाई लड़ने के बाद अपने मंदिर में आ रहे हैं तो सभी को इसका सम्मान करने की जरूरत है। हमें आज समझना होगा कि राम ने बहुत कुछ खोया था श्रीराम बनने के लिए। (Ram Mandir Ayodhya)

प्रभु श्रीराम सभी के आराध्य ही नहीं विचार और आध्यात्म का भी विषय है। आज अनेक विदेशी विचारक और लेखक भी वर्षों से भगवान राम के बारे में जानने में लगे हुए हैं। देश की जनता को विचार करने की जरूरत है कि जो प्रभु श्रीराम का नहीं वो किसी काम का नहीं। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना भी रामराज्य था और उनका पसंदीदा भजन रघुपति राघव राजा राम था। महात्मा गांधी सदैव राम जी को मानते थे और मर्यादित थे। विपक्ष के नेता भूल गए हैं कि देश में महात्मा गांधी भी राम राज्य लाना चाहते थे। (Ram Mandir Ayodhya)

मेरा मानना है कि देश में प्रभु श्रीराम का मंदिर बन जाने से देश में अनेकों बदलाव आएंगे, किन्तु समस्याओं को दूर करने के लिए जन-जन को मन में राम को बसा कर अपने दिल में राम के मंदिर का निर्माण करने की जरूरत है। मेरे अनुसार दशरथ केवल राजा ही नहीं थे बल्कि दसों इंद्रियों पर विजय पाने वाले थे, जिनके पुण्य कर्मों से ही उनके घर में प्रभु श्री राम ने जन्म लिया था। (Ram Mandir Ayodhya)

यदि हम भी अपने मन के विकारों को मिटा कर प्रभु के दिखाए मार्ग पर चलते हैं तो शायद हम भी कुछ अंश को प्राप्त कर सकते हैं। देश की आजादी के शताब्दी वर्ष तक पहुंचने तक हमें देश में राम राज्य लाने के लिए रामभक्त प्रभु श्री हनुमान जी के संवाद…

हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काज किन्हें बिनु मोही कहाँ विश्राम।।

इन चौपाइयों को सदैव अनुसारित करते हुए शिक्षा और साहित्य का सृजन करना होगा। देश में पुन: जन जागरण और जन चेतना के माध्यम से सबको जागृत करने की अवश्यकता है। राम राज्य लाने और रामकाज के लिए हमें तन मन से जुट जाने की जरूरत है। (Ram Mandir Ayodhya)

देश की आजादी के शताब्दी वर्ष तक हमे पंडित दीनदयाल जी के सपने को पूर्ण करना होगा, जो राम राज्य के निर्माण के लिए अति आवश्यक है। हमे विश्व गुरु बनने के लिए हर क्षेत्र में विकास के साथ मानसिक और बौद्धिक विकास की आवश्यकता है। हमें राम मंदिर के उत्सव मनाने के साथ राम जी को मन में उतारने की जरूरत है।आज नेताओं को त्याग की सब ख्वाहिशें, कुछ अलग करने के लिए… राम ने खोया बहुत कुछ श्रीराम बनने के लिए… इन पंक्तियों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। उन्हें कुर्सी और सत्ता के लालच को छोड़ कर जन हित और आस्था के विषय में सोचना चाहिए। (Ram Mandir Ayodhya) 

भगवान श्रीराम ने भी राज सिंहासन को त्याग कर वन में जाना स्वीकार किया था, किन्तु कुछ नेता सोच रहे हंै कि यदि वो राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाएंगे तो उनके समुदाय विशेष के बोट छिंटक जाएंगे, पर वो भूल गए हैं कि राम भगवान के प्रति देश के हर वर्ग की आस्था है। अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि ही नहीं बल्कि आस्था और समरसता की भूमि है। (Ram Mandir Ayodhya)

एक बार देश के नेताओं को भी मन के दैत्य को मार के मन में राम राज्य लाने का सोचना चाहिए। नेताओं को जनता को गुमराह करने से बचना होगा। आज अयोध्या के सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम वर्ग के लोग भी खुश हैं क्योकि आज प्रभु श्री राम के मंदिर बन जाने से अयोध्या का ही नहीं समूचे राष्ट्र का विकास होना है। अयोध्या राजनीति का नहीं बल्कि दर्शन का विषय है। जिसे हर किसी को समझना होगा। (Ram Mandir Ayodhya)

आइएं हम राजनीति और द्वेष से परे हट कर राम उत्सव मनाते हैं और राममय होकर राम को अपने मन में बसाते हैं। हम दीपक जलाकर अपने मन के अंधकार को मिटाते हैं। गीतों के माध्यम से राम जी को अपने मन में उकेर कर प्रभु की आराधना करते है। (Ram Mandir Ayodhya)

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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