आमतौर पर माना जाता है कि केवल कुत्तों के काटने से ही रेबीज रोग होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अन्य कई जानवरों के कारण भी यह गंभीर रोग हो सकता है। इस संबंध में बैतूल के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज हुरमाड़े ने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इसके साथ ही इस रोग के बचाव व उपचार को लेकर भी उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
डॉ. मनोज हुरमाड़े ने बताया कि देश में मुख्यत: कुत्तों के काटने से रेबीज होता है। इसके अलावा बिल्ली, नेवले, बंदर या अन्य गर्म खून वाले जानवर के काटने या खरोंच से भी यह रोग फैलता है। रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, परन्तु इसकी रोकथाम पूर्णतः संभव है।
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रेबीज का संक्रमण संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है। मनुष्यों को जानवर के काटने के बाद उपचार रूप में सबसे पहले घाव को साबुन और साफ बहते पाने से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धोना है। घाव पर उपलब्ध एन्टीसेप्टिक लगाकर घाव को खुला छोडऩा है और टांके नहीं लगाना है, तुरन्त अपने चिकित्सक की सलाह से एन्टीरेबीज और इम्युनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाना है।
उन्होंने बताया कि जानवर के काटने के बाद पहला टीका उसी दिन लगवाया जाना है। रेबीज से बचाव के लिये चिकित्सक की सलाह के अनुसार एन्टीरेबीज टीकाकरण का कोर्स पूरा करें। समय-समय पर पालतू जानवरों का टीकाकरण करवायें। घाव पर सरसों का तेल, मिर्च या अन्य पदार्थ न लगायें एवं अंधविश्वास से बचें।
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जानवरों को रेबीज से बचाव के लिये पालतू जानवरों में नियमित एन्टी रेबीज टीका लगवायें, उन्हें अपनी निगरानी में रखें, रेबीज जैसे लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय में एन्टी रेबीज का टीका लगवायें। पालतू जानवरों को आवारा जानवरों से दूर रखें। समुदाय में रेबीज की रोकथाम के लिये अपने घर के आस-पास और मोहल्ले के पालतू व अज्ञात कुत्तों को भी नियमित तौर से एन्टी रेबीज टीका लगवानें के लिये पहल करें।
डॉ. हुरमाड़े ने बताया अगर आस-पास मोहल्ले में जानवर द्वारा काटने की घटनाऐं हो रहीं हों तो तुरंत अपने नजदीकी पंचायत/नगर पालिका अधिकारी को सूचित करें। जानवरों में रेबीज होने के लक्षणों में- जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन, भौंकने के स्वर में बदलाव, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर), मुंह से अत्यधिक लार का निकलना, लकवा आना एवं बिना किसी कारण अत्याधिक उत्तेजित होकर काटना सम्मिलित है।
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मनुष्यों में रेबीज होने के लक्षणों में अज्ञात जानवर से काटने का इतिहास, पानी से डर लगना, वायुभीति शामिल है। रेबीज एक जान लेवा बीमारी है, परन्तु इस बीमारी के प्रति जागरूक होने से इसका प्रतिरोध पूर्णतः संभव है। टीकाकरण करवायें और सुरक्षित रहें।
एक सप्ताह तक किया जाएगा जागरूक
विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर डॉ. मनोज हुरमाड़े ने बताया कि रेबिज के घातक एवं जानलेवा परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से रेबिज पखवाड़ा 30 सितम्बर से 7 अक्टूबर 2023 तक मनाया जायेगा। रेबीज पखवाड़े के अंतर्गत समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में आईईसी के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। स्कूलों एवं पशु चिकित्सा विभाग में भी रेबीज अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।