Powerless Heating Technology: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसा कोई हीटिंग सिस्टम (heater) भी हो सकता है जिसे बिना लकड़ी, कोयला, गैस जलाए या फिर बिना बिजली के ही भोजन, चाय, कॉफी गर्म करने या फिर नूडल्स बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है…? आप शायद यकीन ना करेंगे पर ऐसा ही एक हीटिंग सिस्टम आईआईटी दिल्ली की टीम ने तैयार कर लिया है। खास बात यह है कि यह नई कम लागत वाली तापन प्रणाली (heating system) कहीं भी, कभी भी सादे पानी से सक्रिय किया जा सकता है। इसे गर्म करने के लिए किसी ईंधन या बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। यह किसी भी स्थान पर तापीय ऊष्मा देने (heating) के समाधान के रूप में कार्य कर सकती है।
दूरस्थ स्थानों, विशेषकर पूर्वोत्तर भारत में तापीय ऊर्जा (heating) स्रोतों की कमी अथवा बिजली स्रोतों तक अनिश्चित पहुंच के कारण कई लोगों को असुविधा होती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के दिल्ली डिजाइन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमेर सिंह ने अपनी शोध टीम के साथ रासायनिक ऊर्जा पर काम करने वाली तकनीक से इस समस्या का हल निकाला है। इसे “विद्युत रहित तापन प्रौद्योगिकी (Powerless Heating Technology) कहा जाता है।
मात्र 50 ग्राम है इसका वजन
इस प्रणाली के सक्रिय ताप तत्व (एक्टिव हीटिंग एलिमेंट्स) में पर्यावरण के अनुकूल खनिजों और लवणों का ऐसा मिश्रण होता है, जो ऊष्माक्षेपी (एक्ज़ोथिर्मिक) ऊर्जा उत्पन्न करता है जिसके परिणामस्वरूप पानी के संपर्क में आने पर अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है और यह किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ का तापमान 60 से 70 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है। इस हीटर का भार केवल 50 ग्राम है जिसे प्रत्येक हीटिंग के बाद हीटिंग पैड के अंदर बच गए उप-उत्पाद (प्राकृतिक खनिज) का सरलता से निपटान किया जा सकता है। यह खनिज मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने में सहायता करती है और 100% बायोडिग्रेडेबल है।
इन कामों में हो सकता है इस्तेमाल
इस तकनीक के साथ इसके उपयोगकर्ता अपने खाने के लिए तैयार भोजन को गर्म कर सकते हैं, तत्काल नूडल्स बना सकते हैं और चाय, कॉफी इत्यादि जैसे किसी भी पेय पदार्थ को गर्म कर सकते हैं। इसकी हीटिंग प्रक्रिया का उप-उत्पाद एक प्राकृतिक खनिज है जो बिना किसी विषाक्त प्रभाव के सरलता से मिट्टी में समाहित हो जाता है।
एनईसीटीएआर का मिला समर्थन
उत्तर पूर्वी प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं प्रसार केन्द्र (नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच–नेक्टर:एनईसीटीएआर), भारत सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय ने डॉ सिंह और उनकी टीम को एक ऐसे भोजन बॉक्स और एक तरल कंटेनर विकसित करने के लिए समर्थन दिया, जिसे विद्युत रहित ताप प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत किया जा सकता है। उन्होंने इसका उपयोग ऐसे कंटेनरों को विकसित करने के लिए किया है जो मांग पर भोजन या पेय पदार्थों को गर्म कर सकते हैं।
बाजार में उतारने की इच्छुक हैं कंपनियां
ये उत्पाद पूर्वोत्तर क्षेत्र में सैन्य कर्मियों, पर्यटकों और कार्यालय जाने वालों के लिए बहुत काम आएंगे। यह विद्युत रहित ताप प्रौद्योगिकी तापीय (हीटिंग) उद्देश्यों के लिए वनों की लकड़ी को जलाने की आवश्यकता को समाप्त करती है और इस प्रकार वनों में लगने वाली आग की घटनाओं भी कम करती है, जो देश के उत्तर पूर्वी भागों में एक बड़ी समस्या है। इस प्रोटोटाइप पर सफलतापूर्वक विकसित और परीक्षण किए गए थे। कई एफएमसीजी कंपनियां इसे बाजार में उतारने की इच्छुक हैं।
नौसेना और कुछ कंपनियों को आपूर्ति शुरू
गुड़गांव स्थित स्पिन-ऑफ स्टार्टअप एंचियल टेक्नोलॉजीज इस तकनीक को आगे बढ़ा रही है और उसने इसे भारतीय नौसेना और कुछ खाद्य निर्माण कंपनियों को आपूर्ति करना शुरू कर दिया है। इस प्रौद्योगिकी के लिए एक पेटेंट भी दायर किया गया है। भारतीय तंबाकू कंपनी (आईटीसी) के साथ उनके खाद्य उत्पादों में इस प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए एक गैर-प्रकटीकरण समझौते (नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट-एनडीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।