PM Poshan Yojana MP : केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री पोषण शाक्ति निर्माण (पीएम पोषण योजना) से प्रदेश के जनजातीय वर्ग के बच्चों को पके हुये पोषण आहार का भरपूर लाभ मिल रहा है। विशेष रूप से कमजोर व पिछड़े जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की बहुलता वाले मध्यप्रदेश के 24 जिलों के बच्चे पीएम पोषण योजना से अधिक लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया तीन जनजातियां पीवीटीजी में आती हैं। अनूपपुर, अशोकनगर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, दतिया, डिण्डोरी, गुना, ग्वालियर, कटनी, मंडला, मुरैना, नरसिंहपुर, सतना, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, विदिशा, भिण्ड, जबलपुर, रायसेन, उमरिया, सिंगरौली एवं सिवनी जिले में पीवीटीजी जनजातियां निवास करती हैं।
पीएम पोषण योजना में प्रदेश के 24 पीवीटीजी जिलों में सतत् रूप से खाद्यान्न (गेहूं एवं चावल) जारी किया जा रहा है। इस खाद्यान्न से बच्चों को पका हुआ गर्म पोषक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। गत वित्त वर्ष 2023-24 में इन 24 पीवीटीजी जिलों को 30184.01 मीट्रिक टन गेहूं एवं 26519.96 मीट्रिक टन चावल, कुल 56703.97 मीट्रिक टन खाद्यान्न जारी किया गया।
इस वित्त वर्ष में इतना खाद्यान्न
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में (30 सितम्बर 24 तक) इन्हीं पीवीटीजी जिलों को 13552.89 मीट्रिक टन गेहूं एवं 12941.77 मीट्रिक टन चावल, कुल 26494.66 मीट्रिक टन खाद्यान्न जारी किया जा चुका है। बच्चों के लिये खाना पकाने रखे गये रसोइयों के मानदेय एवं भोजन पकाने पर होने वाले अन्यान्य व्ययों के लिये भी इन 24 पीवीटीजी जिलों को समुचित राशि जारी की गई है।
इस योजना का यह है उद्देश्य
पीएम पोषण योजना का प्राथमिक उद्देश्य बच्चों में बौनेपन, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन और इससे उपजने वाली समस्याओं को कम करना है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में भी यह योजना अत्यंत सहायक है। कुपोषण भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो देश के लाखों बच्चों और महिलाओं को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
पीएम पोषण योजना का आधार
यह योजना जीवन चक्र के सार्वभौमिक दृष्टिकोण पर आधारित है, जो शिशु के जीवन के पहले 1,000 दिनों पर विशेष ध्यान केंद्रित करती है, जो गर्भाधान से लेकर शिशु की दो वर्ष की आयु तक होता है।
यह योजना राष्ट्र के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को आकार देने में मां की गर्भावस्था और शिशुवस्था के दौरान पर्याप्त पोषण व देखभाल के महत्व पर केन्द्रित है। इस योजना से देश की सभी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के बच्चों को सीधा लाभ मिलता है। इसमें पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं के बच्चे भी शामिल हैं।
इन जिलों को दी गई इतनी राशि
वित्त वर्ष 2024-25 में (31 अगस्त 24 तक) अनूपपुर जिले को 5 करोड़ 50 लाख 29 हजार 567 रूपये, अशोकनगर को 4 करोड़ 99 लाख 65 हजार 544 रूपये, बालाघाट को 8 करोड़ 91 लाख 93 हजार 618 रूपये, भिण्ड को 5 करोड़ 87 लाख 82 हजार 958 रूपये, छिंदवाड़ा को 10 करोड़ 44 लाख 3 हजार 7 रूपये, दतिया को 4 करोड़ 58 लाख 95 हजार 88 रूपये, डिण्डोरी को 7 करोड़ 9 लाख 69 हजार 783 रूपये, गुना को 4 करोड़ 73 लाख 70 हजार 935 रूपये मुहैया कराए गए।
इसी तरह ग्वालियर को 6 करोड़ 2 लाख 28 हजार 357 रूपये, जबलपुर को 8 करोड़ 86 लाख 50 हजार 669 रूपये, कटनी को 7 करोड़ 98 लाख 12 हजार 942 रूपये, मंडला को 9 करोड़ 5 लाख 65 हजार 39 रूपये, मुरैना को 11 करोड़ 39 लाख 79 हजार 640 रूपये, नरसिंहपुर को 5 करोड़ 47 लाख 76 हजार 99 रूपये, रायसेन को 7 करोड़ 40 लाख 18 हजार 55 रूपये, सतना (मैहर जिला शामिल) को 11 करोड़ 60 लाख 97 हजार 834 रूपये की राशि दी गई।
इसके अलावा सिवनी को 8 करोड़ 90 लाख 65 हजार 250 रूपये, शहडोल को 5 करोड़ 89 लाख 5 हजार 698 रूपये, श्योपुर को 4 करोड़ 90 लाख 15 हजार 447 रूपये, शिवपुरी को 9 करोड़ 87 लाख 24 हजार 589 रूपये, सीधी को 8 करोड़ 66 लाख 16 हजार 304 रूपये, सिंगरौली को 8 करोड़ 90 लाख 39 हजार 910 रूपये, उमरिया को 4 करोड़ 66 लाख 42 हजार 12 रूपये तथा विदिशा जिले को 9 करोड़ 36 लाख 34 हजार 41 रूपये का आवंटन जारी किया गया है।
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