Pest Control In Crops, Keet Niyantran: फसल की बुआई से लेकर उसे पालना पोसना और अच्छा उत्पादन हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होता। बुआई से लेकर कटाई तक कई अड़चनें लगातार आती रहती हैं। कभी प्राकृतिक आपदा कहर बरपाती हैं तो कभी कीट पतंगें फसल को परेशानी में डाल देते हैं।
किसान के लिए उसका सब कुछ खेत में पल रही फसल ही होती है। इस फसल की बिक्री करके ही वह अपनी जरूरतों से लेकर सपने तक पूरे कर सकता है। यही कारण है कि वह अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कोशिश करता है।
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प्राकृतिक आपदा विपदा पर तो किसी का भी नियंत्रण संभव नहीं है। हालांकि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से फसलों को काफी हद तक बचाया जा सकता है। इसके लिए कई कीटनाशक दवाइयां उपलब्ध हैं वहीं नए-नए तरीके भी तलाश किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के बालाघाट में बड़ी आसानी से किसान अपनी फसल सुरक्षित रख पा रहे हैं। खास बात यह है कि इसके लिए किसानों को न तो रतजगा करना पड़ रहा है और न ही कोई शारीरिक श्रम करना पड़ रहा है। यही नहीं, बहुत ज्यादा पैसे भी इसके लिए खर्च नहीं करने पड़ रहे हैं।
बालाघाट में ऐसे हो रहा कीट नियंत्रण
दरअसल, बालाघाट जिले में धान की पैदावार काफी अच्छी होती है। यहां किसानों को धान एवं अन्य फसलों में कीट नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में सौर ऊर्जा आधारित सोलर लाइट ट्रेप उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले के ग्राम कटंगझरी के किसान वीरेन्द्र धान्द्रे एवं अन्य किसान सफलतापूर्वक सोलर लाइट ट्रेप का उपयोग कर रहे हैं।
क्या है सोलर लाइट ट्रेप (Pest Control In Crops)
सोलर लाइट ट्रेप खेत में एक स्थान पर रखा जाता है। इस यंत्र में अल्ट्रावायलेट लाइट लगी रहती है। दिन में सूर्य के प्रकाश में पेनल द्वारा ऊर्जा एकत्रित होती है और अंधेरा होने पर सेंसर के कारण यंत्र में लाइट चालू हो जाती है। यह कीटों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ट्रेप में कीटों के आने के बाद कीट नीचे लगी जाली में फँस जाते हैं।
कीटनाशक की नहीं होती जरूरत
इस प्रकार खेत में किसानों को तना छेदक तितली और अन्य कीटों से फसलों को बचाने में मदद मिलती है। किसान बगैर कीटनाशक दवाओं के उपयोग से फसल को बचाने में सफल हो जाते हैं। किसान खेतों में इस यंत्र को बाँस के सहारे खड़ा करते हैं।
इतनी है कीमत, फिर नहीं कोई खर्च
एक कृषि यंत्र 3 से 5 एकड़ के लिये पर्याप्त होता है। दिन में सोलर पेनल द्वारा बेट्री चार्ज होती है। किसानों को यह यंत्र 2500 से 3500 हजार रूपये तक बाजार में उपलब्ध रहता है। किसानों को प्रति हेक्टेयर 500 रूपये अनुदान राशि उपलब्ध कराई जा रही है।