Wheat Cultivation: अब किसानों को घर बैठे मिलेगा उन्‍नत किस्‍मों के गेहूं का बीज, शुरू हो चुकी बुकिंग, जाने कैसे करें ऑर्डर

Wheat Seeds Online Booking: अब केिसानों को घर बैठे मिलेगा उन्‍नत किस्‍मों के गेहूं का बीज| Genhu ke beej ki online booking -betulupdate

Wheat Cultivation: भारत में गेहूं का उत्‍पादन सबसे बड़े पैमाने पर होता है और गेहूं का निर्यात भी सबसे ज्‍यादा भारत ही करता है। बीते कई वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से परेशान किसानों को राहत देने के लिए नई किस्‍मों के गेहूं के बीज बनाए गए है, जो बेहतर उत्‍पादन देने के साथ किसानों को फायदा भी पहुंचाते है। अब तो देशभर में किसानों को घर बैठे ये उन्‍नत किस्‍म के बीज भी उपलब्‍ध (Online Booking of Wheat Seeds) कराए जा रहे है। देश के किसी भी कोने से किसान इन गेहूं के उन्‍नत बीज को अपनी आवश्‍यकता अनुसार ऑर्डर कर सकता है और यह उसके घर पर डिलीवर भी कर दिया जाएगा। चलिए बताते हैं किस तरह आप गेहूं के बीज की बुकिंग कर सकते है और इसके लिए आपकाे किन दस्‍तावेजों की आवश्‍यकता पड़ेगी।

गेहूं के उन्‍नत किस्‍म की हो रही बुकिंग (Online booking of wheat seeds)

जिस उन्‍नत किस्‍म के गेहूं के बीज की ऑनलाईन बुकिंग की जा रही है, उसका नाम है करण वंदना (Karan Vandana Wheat) और करन नरेंद्र (Karan Narendra Wheat) किस्म। अब इन किस्मों से खेती करना और भी आसान हो गया है।

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कहां हो रही बुकिंग

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Wheat and Barley Research) के पोर्टल पर गेहूं की करण वंदना और करण नरेंद्र किस्म के बीजों की ऑनलाइन बुकिंगकी जा रही है। करनाल, हरियाणा में स्थित इस संस्थान ने 17 सितंबर से पोर्टल पर ऑनलाइन बुकिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है। पढ़िए किसान कैसे रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और बुकिंग की क्या नियम और शर्ते हैं।

हरियाणा के करनाल में स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के पोर्टल पर 11 सितंबर से गेहूं की ऑनलाइन बुकिंग शुरू हो गई है, संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने 17 सितंबर सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों को बताया, “पोर्टल की शुरूआत 17 सितंबर से हो गई है, इस पर किसानों को जितना बीज चाहिए उसकी बुकिंग कर सकते हैं।”

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) डॉ. अनुज कुमार गाँव कनेक्शन से ऑनलाइन प्रकिया के बारे में बताते हैं, “हमने जितनी भी उन्नत किस्मों की बुकिंग शुरू की थी, उनमें से पहले दिन ही सब बुक हो गईं, अभी किस्मों DBW 222 (करण नरेंद्र) और DBW 187 (करण वंदना) की बुकिंग चल रही है।”

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उन्नत किस्मों की ऑनलाइन बुकिंग

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के पोर्टल https://iiwbrseed.in/ पर DBW 222 (करण नरेंद्र) और DBW 187 (करण वंदना) की बुकिंग प्रक्रिया शुरू की गई है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह बुकिंग के लिए जरूरी नियम और शर्तों के बारे में बताते हैं।

  • IIWBR Portal पर बीजों की ऑनलाइन बुकिंग के साथ-साथ किसानों को ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा भी दी गई है।
  • इस पोर्टल पर 18 वर्ष सा उससे अधिक उम्र वाले किसान ही गेहूं के उन्नत किस्मों की बीजों की बुकिंग करा सकते हैं
  • पोर्टल पर बीजों की बुकिंग के बाद अक्टूबर के पहले और दूसरे हफ्ते में किसानों से संपर्क किया जायेगा

किन दस्‍तावेजों की है आवश्‍यकता

  • आधार नंबर,
  • आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर,
  • गाँव, जिला और प्रदेश का नाम

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आवेदन की ये है प्रक्रिया

  • भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के सीड पोर्टल पर https://iiwbrseed.in/ क्लिक करें ।
  • होम पेज खुलने के बाद किसान आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर दर्ज करें, डेट ऑफ बर्थ, किसान का नाम, आधार नंबर, पता और बीज की मात्रा भरें।
  • एक किसान करण नरेंद्र डी बी डब्ल्यू-222- 10 किलो और करण वंदना डी बी डब्ल्यू -187 की 10 दस किलो मात्रा ही बुक कर सकते हैं।

करण वंदना (DBW 187) गेहूं की खासियतें (Karan Vandana (DBW 187) Wheat Specialties)

करन वंदना की पिछले वर्ष भी कई इलाकों में बुवाई हुई थी। इस किस्म का विमोचन एवं अधिसूचना वर्ष 2019 में हुई थी। करण वंदना (DBW 187) पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली नवीनतम गेहूं की किस्म है। यह पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करती है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद फसल तैयार होती है। इसका उत्पादन करीब 75 कुंटल प्रति हेक्टेयर है और औसत उत्पादन 63.1 कुंटल के आसपास है। सामान्यता गेहूं में प्रोटीन कंटेंट 10 से 12 प्रतिशत और आयरन कंटेंट 30 से 40 प्रतिशत होता है, लेकिन इस किस्म में 12 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन 42 प्रतिशत से ज्यादा आयरन कंटेंट पाया गया है।

सामान्य तौर पर धान में ‘ब्लास्ट’ नामक एक बीमारी देखी जाती थी, कुछ वर्ष पहले बांग्लादेश में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था और तभी से इस चुनौती के मद्देनजर विशेषकर उत्तर पूर्वी भारत की स्थितियों के अनुरूप गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ‘करन वन्दना’ अस्तित्व में आई। ये ज्यादातर बोई जा रही मौजूदा किस्मों HD-2967, K-0307, HD-2733, K-1006 और DBW-39 की तुलना में ज्यादा पैदावार देती है।

बुवाई का समय (Time of sowing)

बुवाई का समय: अगेती बुवाई- 25 अक्टूबर से 5 नवंबर

समय पर बुवाई- 5 नवंबर से 25 नवंबर

औसत उपज- 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेय़र है

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करण नरेंद्र (DBW 222) गेहूं की खासियतें (Karan Narendra (DBW 222) Wheat Specialties)

गेहूं कि इस उन्नत किस्म का विवोचन और अधिसूचना साल 2020 में हुई। पीला रतुआ, भूरा रतुआ के लिए प्रतिरोधी किस्म है। गेहूं की इस किस्म को 5-6 सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई 20-25 दिन उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती है। इसकी उत्पादन क्षमता 32.8 कुंटल प्रति एकड़ यानि करीब 82 कुंटल प्रति हेक्टेयर है और औसत उपज 61.3 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा-उदयपुर मंडलों को छोड़कर), पश्चिम यूपी (झांसी मंडल को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की एक खासियत ये है कि ये देरी से बुवाई करने पर भी बेहतर उत्पादन देती है।

बुवाई का समय (Time of sowing)

5 नवंबर से 25 नवंबर, औसत उपज

औसत उपज- 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

News Source:goanconnection

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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