Soyabean new Variety : मध्यप्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है कि मार्केट में सोयाबीन का नया बीज आ गया है। जिससे किसान सोयाबीन की अधिक पैदावार कर पाएंगे और लाखों का मुनाफा होगा। सोयाबीन की ये सबसे अच्छी उन्नत किस्में हैं, जो छप्पर फाड़ उत्पादन देगी।
राजस्थान और महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती अधिक होती है। सोयाबीन की फसल से मुनाफा कमाने के लिए सोयाबीन की अच्छी किस्मों का चयन करना अति आवश्यक होता है। सोयाबीन की फसल से अधिक से अधिक मुनाफा लेने के लिए कृषि वैज्ञानिक नई-नई किस्मों की इजाद कर रहे हैं। यह नई किस्में रोग प्रतिरोधी, उच्च गुणवत्ता एवं उच्च उत्पादन देने वाली है। तो आइए जानते हैं सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारें में……
एक एकड़ में सोयाबीन कितना होनी चाहिए?
सोयाबीन की एक अच्छी किस्म से किसान साथी 1 एकड़ से 8-11 क्विंटल तक उत्पादन ले सकता है। एक सामान्य सोयाबीन की किस्म से 3-5 क्विंटल बीघा तक उत्पादन ले सकता है। बता दे कि फसल का उत्पादन 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 95 से 100 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है।
यहां देखे वीडियो (Soyabean New Variety)
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जे. एस. 2172 (Soyabean New Variety)
विगत कई वर्षों से किसान इस बात से परेशान है कि जे. एस. 9305, जे. एस. 2069 के बाद एडवांस जनरेशन की विपरीत मौसमी परिस्थितियों में भी अधिक उत्पादन देने वाली मध्यम अवधि की पानी के लिये सहनशील, मोटा (बोल्ड), उच्च गुणवत्ता वाला, चमकदार सुन्दर दाना, मजबूत जड़-तंत्र, उत्तम अंकुरण क्षमता फली चटकने की समस्या न हो कम बीज दर वाली कीट एवं व्याधि हेतु बहुरोधी सहनशील किस्म उन्हें कब प्राप्त होगी!
किसानों का यह इंतजार अब खत्म हो चुका है, क्योंकि वर्षों के गहन अनुसंधान एवं कड़े रिसर्च के बाद जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर (JNKVV) द्वारा किसानों की उक्त अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन की नवीनतम किस्म जे.एस. 21-72 Soybean variety JS 2172 हाल ही में जारी की गई है। जिसका नोटिफिकेशन क्रमांक एस.ओ. 1056 (E) दि. 6.3.2023 है।
सोयाबीन किस्म VS 6124 (Soyabean New Variety)
इस किस्म के पौधे 3 से 6 फीट ऊंचाई में होते हैं, जो अधिक फूल-फलियों के साथ अच्छी पैदावार के लिए जानी जाती है। फसल 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। उत्पादन की बात करें तो 20 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर ले सकते हैं। यह वैराईटी रोगों के प्रति प्रतिरोधक अधिक है। बुवाई का समय 15 जून के बाद में माना गया है।
MAUS – 612
देश की मध्यम और भारी मिट्टी वाली भूमि में इस किस्म को लगा सकते हैं, जिसका उत्पादन 30 से 35 क्विंटल/हेक्टेयर तक हो जाता है। 90 से 100 दिन में कटाई पर आ जाती है। पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में सर्वाधिक इसकी बुवाई देखी जा रही है।