New B.Ed Degree : अब अलग से बीएड करने की नहीं जरुरत, शुरु हुआ यह नया पाठ्यक्रम, एक साल भी बचेगा

New B.Ed Degree: Now there is no need to do B.Ed separately, this new course is done, one year will be saved

New B.Ed Degree : अब अलग से बीएड करने की नहीं जरुरत, हुआ यह नया पाठ्यक्रम, एक साल भी बचेगा

New B.Ed Degree : राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने पूरे देश में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से 57 अध्यापक शिक्षा संस्थानों (TIT) में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) शुरू किया है। यह एनईपी 2020 के तहत एनसीटीई का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इससे शिक्षक बनने के लिए अलग से बीएड करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। ग्रेज्युएशन के साथ ही बीएड की डिग्री भी कंपलीट हो जाएगी।

आईटीईपी को 26 अक्टूबर 2021 को अधिसूचित किया गया था। यह एक 4 साल की दोहरी-समग्र स्नातक डिग्री है, जो बीए बीएड/बीएससी बीएड और बीकॉम बीएड पाठ्यक्रम पेश करती है। यह पाठ्यक्रम नयी स्कूल संरचना के 4 चरणों यानि फाउंडेशनल, प्रिपरेटरी, मिडिल और सेकेंडरी (5+3+3+4) के लिए शिक्षकों को तैयार करेगा। यह कार्यक्रम शुरू में प्रतिष्ठित केंद्र/राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों/संस्थानों में पायलट मोड में चलाया जा रहा है।

चार साल में हो जाएगा यह पाठ्यक्रम (New B.Ed Degree)

आईटीईपी उन सभी छात्रों के लिए उपलब्ध होगा, जो सेकेंडरी के बाद अपनी पसंद से शिक्षण को अपने करियर के रूप में चुनते हैं। इस एकीकृत पाठ्यक्रम से छात्रों को एक वर्ष की बचत का लाभ होगा, क्योंकि वे वर्तमान बीएड योजना के लिए आवश्यक 5 वर्षों के बजाय पाठ्यक्रम को 4 वर्षों में पूरा करेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (एनसीईटी) के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा।

अत्याधुनिक शिक्षा की जाएगी प्रदान

आईटीईपी न केवल अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करेगा, बल्कि प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई), मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन), समावेशी शिक्षा और भारत तथा इसके मूल्यों/आचारों/कला/परंपराओं की समझ व अन्य विषयों का आधार भी स्थापित करेगा।

वैश्विक मानकों से हो सकेंगे परिचित (New B.Ed Degree)

पाठ्यक्रम पूरे अध्यापक शिक्षा क्षेत्र के पुनरोद्धार में महत्वपूर्ण योगदान देगा। भारतीय मूल्यों और परंपराओं पर आधारित एक बहु-विषयक वातावरण के माध्यम से इस पाठ्यक्रम से उत्तीर्ण होने वाले भावी शिक्षकों को 21वीं सदी के वैश्विक मानकों की आवश्यकताओं से परिचित कराया जाएगा और इस प्रकार, वे नए भारत के भविष्य को स्वरूप देने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

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