Nautapa 2024 : जिस तरह घड़ी का कांटा सुबह, दोपहर और शाम होने का अहसास कराता है, ठीक उसी प्रकार नक्षत्रों की आकाशीय घड़ी का भी क्रम होता है। जब सूर्य रोहिणी के सामने आता है तो वह मध्य भारत मे तीक्ष्ण गर्मी का समय होता है। रोहिणी नक्षत्र (नौतपा) का पूरी पृथ्वी के तापमान से कोई संबंध नहीं होता है।
यह बात नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कही। सारिका ने बताया कि सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है जब सूर्य के पीछे वृषभ तारा मंडल का स्टार रोहिणी आ जाता है। इससे पहले नौ दिन नौतपा कहलाते हैं।
सारिका ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी के लिए हर साल 25 मई को सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आ जाता है। सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की यह घटना सन 1000 में 11 मई को हुआ करती थी। संभवत: 1000 साल पहले इस अवधि में भारत के मध्य भारत में गर्मी होने से इसे नौतपा नाम दिया गया। वर्तमान में यह घटना 25 मई को आरंभ होने लगी।
रोहिणी तारा का गर्मी से संबंध
सारिका ने बताया कि पृथ्वी के किसी भाग पर गर्मी वहां पड़ रही सूरज की सीधी किरणों के कारण होती है। गर्मी में नक्षत्र की भूमिका रहती तो मकर रेखा में स्थित देशों में इस समय दिन का तापमान कम क्यों रहता।
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आस्ट्रेलिया में 18 डिग्री तापमान (Nautapa 2024)
इस समय आस्ट्रेलिया में दिन का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस है। वहीं मालदीप में 32 डिग्री के आसपास है। रोहिणी, पृथ्वी से 65 लाईट इयर दूर है। वो केवल किसी एक दो देश के तापमान बढ़ाने का काम क्यों करेगा।
घड़ी की तरह समय बताता (Nautapa 2024)
सूरज का रोहिणी में आना, केवल उस समय को एक घड़ी की तरह बताता है जब मध्य भारत में गर्मी पड़ती है। इसलिए रोहिणी को केवल घड़ी का कांटा भर समझें। पूरी पृथ्वी पर गर्मी से इसका कोई नहीं है।