Mushroom ki Kheti: इस समय भारत में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मशरूम कम समय और कम लागत में तैयार किया जा सकता है। मशरूम एक उच्च मूल्य वाली कृषि फसल है। बाजारों में मशरूम बहुत महंगा बिकता है. और इसमें किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. पहले यह शहरी लोगों तक ही सीमित था, लेकिन अब यह मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है। वैसे तो मशरूम को क्षेत्रीय भाषाओं में खुंब, छत्रक, गर्जना और धरती के फूल आदि नामों से जाना जाता है। भारत में इसे सब्जियों की मल्लिका भी कहा जाता है।
बता दें कि कुछ समय पहले और अभी भी मशरूम की खेती के लिए गेहूं के भूसे को एक बोरी में भरकर रात भर साफ पानी में भिगोया जाता है। यदि आवश्यक हो तो प्रति 100 लीटर पानी में 7 ग्राम कार्बेन्डाजिम (50 प्रतिशत) और 115 मिली फॉर्मेलिन मिलाएं। इसके बाद भूसे को बाहर निकालकर अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है और जब भूसे में लगभग 70 प्रतिशत नमी रह जाती है तो वह बुआई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन अब मशरूम की खेती कई अलग-अलग तरीकों से भी की जाने लगी है। आपको बता दें अब मशरूम की खेती मटके में की जाती है। इस खास विधि में 35-40 दिनों का समय लगता है उपज मिलने में।
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ऐसे करें मटके में मशरूम की खेती
मशरूम उत्पादन के लिए मटकों के छिद्रों में से रुई और मुंह पर लगी पॉलीथीन हटा दी जाती है। दिन में दो से तीन बार मटकों पर पर पानी का छिड़काव किया जाता है, ताकि नमी (80-85 प्रतिशत) बनी रहे। कवक जाल फैलने के 7 से 10 दिनों बाद मटकों पर किए गए छोटे-छोटे छेदों में से मशरूम की कलियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। ढींगरी मशरूम की कलियों को बनने और विकास के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 4 से 5 घंटे ट्यूब लाइट या बल्ब का प्रकाश देना चाहिए। कमरे में नमी भी लगभग 75-80 प्रतिशत होनी चाहिए।
इन बातों का रखें खास ध्यान
- पानी छिड़कते समय इस बात का ध्यान रखें कि यदि मशरूम तोड़ने लायक हो रही हो तो मशरूम पर पानी का जमाव नहीं रहे।
- पानी का छिड़काव हमेशा मशरूम तोड़ने के बाद करना चाहिए।
- कमरे की खिड़कियां और दरवाजे प्रतिदिन दो घंटे खुले रखने चाहिए।
- जिससे कार्बनडाईऑक्साइड बाहर निकल जाए और ऑक्सीजन की उचित मात्रा कमरे में बनी रहे।
- ढींगरी मशरूम का फल अगर छोटा और डंठल बड़ा हो तो समझ लेना चाहिए कि ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं है।
- ऐसे समय में खिड़कियों को ज्यादा देर तक खुला रखना चाहिए।
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मशरूम की 3 किस्में
अगर आप मशरूम की खेती में अधिक उत्पादन लेना चाहते हैं तो इन किस्मों की खेती करें। जैसे कि बटन मशरूम किस्म, मिल्की मशरूम किस्म और पैडी स्ट्रॉ मशरूम किस्म, ये किस्में सबसे ज्यादा उत्पादन देती हैं। इसलिए अगर आप भी मशरूम की खेती करना चाहते हैं तो इन किस्मों की खेती करें, जिससे अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके।
35-40 दिनों में मिलने लगेगी उपज
ढींगरी मशरूम की पैदावार 35 से 40 दिनों तक आती रहती है और 1 कि.ग्रा। सूखे भूसे से लगभग 500 से 900 ग्राम तक मशरूम प्राप्त हो सकती है। पहली फसल के कुछ दिन (लगभग 10-15 दिनों) बाद दूसरी फसल आती है। पैदावार भूसे की गुणवत्ता और ढींगरी की प्रजाति पर निर्भर करती है। तुड़ाई के बाद डंठल के साथ लगी घास को काटकर हटा दिया जाता है। दो घंटे बाद छिद्रित पॉलीथीन में पैक कर बाजार में भेजना चाहिए। इस मशरूम को सुखाया भी जा सकता है। उसके लिए इसे साफ मलमल के कपड़े पर धूप में या हवादार कमरे में दो से तीन दिनों तक रखना चाहिए। सूखी ढींगरी को अच्छी तरह से सीलबन्द करके उपयोग में लाने से पहले गर्म पानी में 10 मिनट तक भिगो देना चाहिए। उसके बाद उसकी सब्जी और सूप बनाना चाहिए। जहां मशरूम की खेती कर रहे हैं उस कमरे में जाने से पहले नाक और मुंह पर पतला कपड़ा बांधकर खिड़कियां और दरवाजे खोलने के दो घंटे बाद कमरे में प्रवेश करना चाहिए।
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