MP Election 2023 : बैतूल। विगत 17 नवंबर को बैतूल जिले की बैतूल की विधानसभा में बंपर मतदान के बाद अब जीत-हार को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। दोनों ही प्रत्याशी और उनके समर्थक जीत के दावें कर रहे हैं, लेकिन तटस्थ जानकार अभी कुछ कहने की स्थिति में खुद को नहीं पा रहे हैं।
इधर बैतूल विधानसभा के अब तक चुनावी इतिहास पर नजर दौड़ाए तो तीन निकायों में निर्णायक बढ़त लेने वाले उम्मीदवारों की ही जीत होती आई है। यानी बैतूल विधानसभा में बैतूल नगर पालिका, बैतूल बाजार और आठनेर नगर परिषद में बढ़त लेने वाले उम्मीदवार की जीत की संभावना ही काफी अधिक रहेगी।
बैतूल विधानसभा प्रदेश की हॉट सीटों में शामिल हैं। इसलिए यहां के परिणामों पर पूरे प्रदेश की नजर गढ़ी हुई है। दरअसल यहां से पूर्व सांसद-पूर्व विधायक हेमंत खंडेलवाल भाजपा से और वर्तमान विधायक निलय डागा कांग्रेस से उम्मीदवार हैं। दोनों ही प्रत्याशी काफी मजबूत और आर्थिक रूप से संपन्न हैं। इसलिए जीत-हार को लेकर सभी की नजर यहां पर टिकी हुई है। अभी यह कह पाना जल्दबाजी होगी कि ऊंट किस करवट बैठेगा, लेकिन बीते चुनाव के इतिहास पर नजर दौड़ाए तो स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है।
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पिछले चुनाव में कांग्रेस थी मजबूत (MP Election 2023)
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव पर नजर दौड़ाए तो बैतूल के तीन निकायों में से कांग्रेस उम्मीदवार निलय डागा बैतूल और आठनेर में बढ़त लिए थे। केवल बैतूल बाजार में भाजपा प्रत्याशी मामूली बढ़त ले पाए थे। यही वजह है कि तीनों निकायों से मिलाकर कांग्रेस प्रत्याशी को अच्छी लीड मिली थी।
हार-जीत के सूत्रधार निकाय के मतदाता होते आए हैं। इसलिए इस बार भी तीनों निकायों पर सब की नजर टिकी हुई है। कांग्रेस को भरोसा है कि पिछले चुनाव की लीड तीनों निकायों में बरकरार रखेंगे। इसके विपरित भाजपा के जिम्मेदार बता रहे हैं कि इस बार परिणाम विपरित और भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं।
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निकाय चुनाव में रहा भाजपा का दबदबा (MP Election 2023)
गत वर्ष हुए निकाय चुनाव में बैतूल विधानसभा की बैतूल नगर पालिका, आठनेर और बैतूल बाजार नगर परिषद में भाजपा को बढ़त मिली है। बैतूल के 33 में से 23 वार्ड पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। बैतूल बाजार नगर परिषद के 15 में से 12 और आठनेर के 15 में से 9 वार्डों पर भाजपा ने बाजी मारी थी। यानी बैतूल विधानसभा के तीनों निकायों के कुल 63 वार्डों में से 44 वार्डों में भाजपा का कब्जा था। शेष 19 वार्डों में कांग्रेस के पार्षद चुनाव जीते थे। इस लिहाज से भाजपा को तीनों निकायों में बढ़त कायम रखना किसी चुनौती से कम नहीं है।
अलग-अलग होती है चुनावों की प्रवृत्ति (MP Election 2023)
राजनैतिक प्रेक्षकों की माने तो विधानसभा और निकाय चुनाव में जमीन आसमान का फर्क होता है। लिहाजा दोनों के परिणाम विपरित रहते हैं। यदि भाजपा 44 वार्डों में बढ़त कायम रखती है तो जीत-हार का लंबा फासला देखने को मिलेगा। यदि कांग्रेस 2018 के चुनाव के परिणाम को दोहराती है तो उसे जीत का स्वाद चखने को मिल सकता है।
शहरी मतदाताओं पर इसलिए नजर (MP Election 2023)
राजनीतिज्ञ जानकारों की माने तो ग्रामीण क्षेत्र के वोट अक्सर प्रत्याशियों में बंट जाते हैं, लेकिन शहरी मतदाता जागरूक और शिक्षित होने के कारण परंपरागत ऐसी पार्टी को वोट देते हैं, जिन पर विश्वास कायम है। यह परिपाटी ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं रहती है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस शहरी मतदाताओं की तरफ अधिक ध्यान देते आए हैं।
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शहरों पर ही रहा था विशेष ध्यान (MP Election 2023)
हालिया चुनाव में भी देखा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा दोनों प्रत्याशियों ने निकायों में सबसे अधिक ध्यान देकर रैली से लेकर घर-घर तक पहुंचने का प्रयास किया है। शहरी मतदाताओं को साधने के लिए प्रत्याशियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लिहाजा अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीत-हार के पीछे शहरी मतदाताओं का फैक्टर इस चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करेगा।