Modi govt’s big update: अब उपभोक्ताओं को विभिन्न वस्तुओं की मूल्य संबंधित शिकायतों को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। केंद्र सरकार की जल्द ही देश भर में हर जिले में 750 मूल्य निगरानी केंद्र स्थापित करने की योजना है। इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें और महंगाई पर काबू (control inflation) रह सकेगा।
इस सिलसिले में उपभोक्ता कार्य विभाग में सचिव रोहित कुमार सिंह ने गुवाहाटी, असम में शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान सभी राज्यों से अपने समस्त जिलों में मूल्य निगरानी केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि केंद्र 31 मार्च 2023 तक देश में 750 मूल्य निगरानी केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य हासिल करना चाहता है, जिसके लिए निश्चित वित्तीय सहायता दी जाएगी।
सचिव ने बताया कि मूल्य निगरानी प्रभाग के माध्यम से केंद्र आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के हर संभव प्रयास कर रहा है, ताकि महंगाई पर काबू रखा जा सके। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता कार्य विभाग नियमित रूप से कीमतों के बारे में आंकड़े तैयार करता है और उसके पास देश में 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें एकत्र करने की प्रणाली मौजूद है।
सचिव ने अपने उद्घाटन भाषण में सूचित किया कि किस प्रकार विभाग, राष्ट्रीय आयोग, राज्य आयोग और जिला आयोग तथा पूरे इकोसिस्टम द्वारा उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए बीआईएस, एनटीएच, कानूनी माप-विज्ञान और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के माध्यम से गुणवत्ता, मात्रा, मानकों, परीक्षण और बेंचमार्क की दिशा में एक साथ काम किया जा रहा है।
उन्होंने भारतीय मानकों को विकसित करने और गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों जैसे स्वैच्छिक और अनिवार्य मानकों का कार्यान्वयन करने में भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार कानूनी माप विज्ञान और बाट एवं माप के माध्यम से उपभोक्ताओं को भरोसा हो जाता है कि उन्हें जो उत्पाद प्रस्तुत किया जा रहा है, जितनी मात्रा में प्रस्तुत किया जा रहा है, वह ठीक वैसा ही है, जितने का उस उत्पाद पर दावा किया गया है।
कार्यशाला में इस बात का आश्वासन दिया गया कि उपभोक्ता आयोगों के प्रभावी कामकाज के लिए उनका आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए सभी राज्य और जिला आयोगों को निर्धारित नीति के अनुसार विभाग की ओर से पूरी सहायता मिलेगी। इस नीति के अंतर्गत इन आयोगों के बुनियादी ढांचे के लिए 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा और 50 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
साथ ही राज्य सरकार के सभी प्रतिनिधियों से पिछले वर्ष के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रदान करने का भी अनुरोध किया गया, जिनके लंबित होने की स्थिति में केंद्र बाद के वर्ष के लिए धन जारी नहीं कर सकता। उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति तथा रिक्तियों के मामले पर चर्चा करते हुए उन्होंने गर्व से कहा कि उपभोक्ता आयोगों में कम रिक्तियां होने के संदर्भ में पूर्वोत्तर की स्थिति देश में सबसे अच्छी है।
ऑनलाइन शिकायत की मिलेगी सुविधा
ई-दाखिल के माध्यम से उपभोक्ता शिकायते ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि विभाग ने हाल ही में उपभोक्ताओं के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए एक प्रारूप/टेम्पलेट को अंतिम रूप दिया है, जिसमें मानक क्षेत्र शामिल किए गए हैं और एक बार सभी अनिवार्य जानकारी प्रदान करने के बाद आयोग वास्तविक मामलों को आसानी से स्वीकार कर सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि टेम्प्लेट बहुत जल्द सिस्टम में लागू और प्रसारित किया जाएगा तथा इस तरह आयोग पूरे देश में ई-दाखिल के माध्यम से दायर होने वाले मामलों की संख्या में वृद्धि होने की अपेक्षा कर सकते हैं।
50 फीसद शिकायतें ई-कॉमर्स संबंधित
श्री सिंह ने ई-कॉमर्स के आरंभ के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण के आयाम में बदलाव लाने की बात को रेखांकित करते हुए कहा कि विशेष रूप से ई-कॉमर्स के माध्यम से, उपभोक्ता और आपूर्तिकर्ता के बीच बदलते समीकरण के साथ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर ई-कॉमर्स क्षेत्र में दर्ज होने वाली उपभोक्ता शिकायतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। यह जानकारी दी गई कि एनसीएच में हर महीने दर्ज होने वाली 90,000 शिकायतों में से 45-50 प्रतिशत शिकायतें ई-कॉमर्स से संबंधित होती हैं।
लंबित मामलों में एक तिहाई बीमा के
लंबित मामलों की संख्या में कमी लाने में उपभोक्ता आयोगों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि लंबित मामलों में से एक तिहाई मामले बीमा क्षेत्र से संबंधित हैं और इसलिए, लोक अदालतों में भाग लेने और बीमा कंपनियों, वित्तीय सेवा विभाग तथा आईआरडीएआई के साथ गहनता से जुड़ने के जरिए विभाग शिकायतों के आरंभ को लक्षित करने का प्रयास कर रहा है और उसने लंबित मामलों की संख्या में कमी लाने के लिए आयोगों से प्रभावी ढंग से कार्य करने का अनुरोध किया है।
तो राजा नहीं रह पाते हैं उपभोक्ता
असम सरकार के प्रधान सचिव पबन कुमार बोरठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए उपभोक्ता आयोगों का प्रभावी रूप से कामकाज करना अत्यंत आवश्यक है और यदि उपभोक्ता आयोग ठीक से काम नहीं कर रहे हों, तो उपभोक्ता राजा होने की बजाय, निर्वासित राजा बन जाते हैं। उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने इंगित किया कि जब तक उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं दी जाएगी, तब तक वे उनका पता नहीं लगा सकते, इसलिए जागरूकता महत्वपूर्ण है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के सभी उपभोक्ता आयोगों से कड़ी मेहनत करने, एक साथ आने और लंबित मामलों में कमी लाने संबंधी राष्ट्रीय अभियान में सक्रिय भाग लेने का आग्रह किया।