Mini Brazil : कहा जाता है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है। यदि अकेला चना भी चाह ले तो न केवल भाड़ फोड़ सकता है बल्कि बहुत कुछ कर सकता है। फुटबाल के पूर्व नेशनल प्लेयर और कोच रईस एहमद इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। उन्होंने अपने अकेले प्रयास से एक गांव की पहचान बदल दी।
उनके अथक प्रयासों से ही कुछ साल पहले तक नशे की गिरफ्त में उलझा यह गांव अब फुटबाल की नर्सरी के रूप में पहचान बना चुका है और मिनी ब्राजील के रूप में जाना जाता है। रविवार को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इस गांव का प्रमुखता से जिक्र किया। इससे यह गांव अचानक चर्चा में आ गया है।
पीएम श्री मोदी ने मन की बात के दौरान इस गांव का उल्लेख करते हुए कहा कि जब बात drugs और युवा-पीढ़ी की हो रही है, तो मैं आपको मध्य प्रदेश की एक Inspiring-journey के बारे में भी बताना चाहता हूँ। ये Inspiring Journey है Mini Brazil की। आप सोच रहे होंगे कि मध्य प्रदेश में Mini Brazil कहां से आ गया, यही तो twist है।
एमपी के शहडोल में एक गांव है बिचारपुर। बिचारपुर को Mini Brazil कहा जाता है। Mini Brazil इसलिए, क्योंकि ये गांव आज फुटबाल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है। जब कुछ हफ्ते पहले मैं शहडोल गया था, तो मेरी मुलाक़ात वहां ऐसे बहुत सारे Football खिलाड़ियों से हुई थी। मुझे लगा कि इस बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को ज़रूर जानना चाहिए।
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बिचारपुर गांव के Mini Brazil बनने की यात्रा दो-ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान, बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की गिरफ्त में था। इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था। एक पूर्व National Player और coach रईस एहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस जी के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने, पूरी लगन से, युवाओं को, Football सिखाना शुरू किया।
कुछ साल के भीतर ही यहाँ Football इतनी popular हो गयी, कि बिचारपुर गांव की पहचान ही Football से होने लगी। अब यहाँ Football क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें training दी जाती है।
ये प्रोग्राम इतना सफ़ल हुआ है कि बिचारपुर से National और state level के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। ये Football क्रांति अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है। शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा Football club बन चुके हैं।
यहाँ से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे है, जो, National level पर खेल रहे हैं। Football के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और coach, आज, यहाँ, युवाओं को, Training दे रहे हैं। आप सोचिये, एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था, नशे के लिए बदनाम था, वो अब देश की Football Nursery बन गया है।
इसीलिए तो कहते हैं – जहां चाह, वहां राह। हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ज़रूरत है तो उन्हें तलाशने की और तराशने की। इसके बाद यही युवा देश का नाम रौशन भी करते हैं और देश के विकास को दिशा भी देते हैं।