Millet Mission Yojana: (भोपाल)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना (Millet Mission Yojana Launch) लागू करने का निर्णय लिया। योजना का क्रियान्वयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जायेगा। योजना की अवधि 2 वर्ष (2023-24 एवं वर्ष 2024-25) की होगी।
इन 2 वर्षों में योजना में 23 करोड़ 25 लाख रूपए व्यय किए जाएंगे। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी/शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
मिलेट मिशन योजना की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मिलेट फसलों के उत्पादन, प्र-संस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण होंगे। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमीनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि मिलेट अनाज की फसलें कभी प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्रायः कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की माँग बढ़ रही है।
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कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के दृष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है।
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मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। साथ ही मिलेट फसलों के बढ़ते बाजार के दृष्टिगत मूल्य संवर्धन (Value Addition) की संभावना भी काफी अधिक है। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहाँ भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जायेगी।
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गेहूँ निर्यात पर मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधी संशोधन की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद ने गेहूँ निर्यात पर मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधी विभागीय अधिसूचना 7 अप्रैल 2022 में संशोधन की स्वीकृति दी। संशोधन अनुसार प्रदेश के किसी भी कृषि उपज मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से क्रय की गई अधिसूचित कृषि उपज “गेहूँ” पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति का लाभ प्रदान करने पर विचार किया जायेगा। मंडी फीस की प्रतिपूर्ति, अधिसूचित कृषि उपज “गेहूँ” की भुगतान पत्रक से क्रय की गई मात्रा पर प्राप्त होगी।
देश के अन्य राज्यों से व्यापारियों द्वारा वाणिज्यिक प्रयोजन के अनुक्रम में क्रय एवं विक्रय की गई अधिसूचित कृषि जिन्स पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की जायेगी। मंडी फीस की प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य होगा। मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि का वहन मंडी बोर्ड के बजट प्रावधान के कृषि उपज निर्यात प्रोत्साहन मद से किया जावेगा।
विपणन संघ करेगा मूंग और उड़द की खरीदी (Millet Mission Yojana)
मंत्रि-परिषद ने भारत सरकार की प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में (PM-AASHA) प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) एवं मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) में ग्रीष्मकालीन वर्ष 2021-22 (विपणन वर्ष 2022-23) में मूंग एवं उड़द का पंजीकृत कृषकों से उपार्जन, राज्य उपार्जन एजेंसी म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा किए जाने का निर्णय लिया।
ट्रांसजेण्डर को पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद ने ट्रांसजेण्डर को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग की सूची के क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की।
उज्जैन में डुंगरिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा डुंगरिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना लागत राशि 104 करोड़ 74 लाख रूपये, सैंच्य क्षेत्र 3 हजार हेक्टेयर की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। परियोजना से सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से उज्जैन के महिदपुर विकासखण्ड के 8 ग्रामों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।
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टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति (Millet Mission Yojana)
मंत्रि-परिषद द्वारा टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी (हरसी उच्च स्तरीय मुख्य नहर से पोषित) परियोजना लागत 44 करोड़ 90 लाख रूपये, सैंच्य क्षेत्र 3 हजार 700 हेक्टेयर की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। परियोजना से ग्वालियर जिले के 27 ग्रामों के कृषकों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।