Mangi bai ka mandir : इस मंदिर में चढ़ाई जाती हैं झाड़ू और बैगन

Mangi bai ka mandir : भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है। यहां छोटे से छोटा गांव हो या बड़े से बड़ा शहर... हर जगह मंदिर स्थित है। इन मंदिरों में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिरों में श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं और उनका विश्वास रहता है कि उनकी मन्नत यहां जरुर पूरी होगी।

Mangi bai ka mandir : इस मंदिर में चढ़ाई जाती हैं झाड़ू और बैगन

Mangi bai ka mandir : भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है। यहां छोटे से छोटा गांव हो या बड़े से बड़ा शहर… हर जगह मंदिर स्थित है। इन मंदिरों में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिरों में श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर आते हैं और उनका विश्वास रहता है कि उनकी मन्नत यहां जरुर पूरी होगी।

इसी तरह कुछ मंदिर जहां देवी या देवता के प्रताप या शक्ति को लेकर प्रसिद्ध है तो कुछ मंदिर वहां के विशेष चढ़ावे या नियमों व परंपराओं को लेकर अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं। ऐसे विशेष पहचान वाले मंदिर दूर-दूर तक बेहद प्रसिद्ध हो जाते हैं।

ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के नागौर में भी है। यह मंदिर श्यामगढ़ के पास किसानों की ढाणी में है। इस मंदिर का नाम मांगी बाई का मंदिर है। यह मंदिर यहां चढ़ने वाले चढ़ावे को लेकर प्रसिद्ध है।

इसी चढ़ावे से माता होती प्रसन्न

अन्य मंदिरों में जहां नारियल, प्रसाद, लड्डू, पेड़े या सोना-चांदी का चढ़ावा चढ़ता है, वहीं इस मंदिर में यह सब नहीं बल्कि झाड़ू और बैंगन का चढ़ावा चढ़ता है। मान्यता है कि इसी चढ़ावे से माता प्रसन्न होती है और अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।

इन रोगों से मिलती है मुक्ति

यह विशाल मंदिर खेतों के बीच में स्थित है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां आकर 7 बैंगन और 7 झाड़ू चढ़ाने तथा 5 बार मंदिर की परिक्रमा की जाए तो शरीर पर होने वाली दाद, खाज, खुजली सहित चर्म रोग व मस्से ठीक हो जाते हैं।

बचपन से ही भक्ति में रूचि

बताया जाता है कि इस मंदिर की देवी मांगी बाई का मायका भैंसलाना में और ससुराल श्यामगढ़ में किसान परिवार में था। वे बचपन से ही भक्तिभाव में रूचि रखती थीं। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी वे धार्मिक सत्संग में विशेष रूचि रखती थीं। इसके बाद उनके पति की मौत हुई तो उन्होंने भी पति के साथ ही अपने भी प्राण त्याग दिए।

माता सती के रूप में पूजा

यही कारण है कि क्षेत्र में उनकी माता सती के रूप में पूजा की जाती है। दूर-दूर से यहां भक्त मन्नत लेकर आते हैं और उनकी मनोकामना भी पूरी होती है। हर साल चैत्र मास की तीज पर यहां विशाल मेला भी लगता है। इस मेले में भी बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

पुत्र रत्न की हुई थी प्राप्ति

माता सती के बारे में कहा जाता है कि जिस समय वे सती हो रही थी, उस समय श्यामगढ़ के रियासत के ठाकुर भी मौजूद थे। उनका पुत्र नहीं था। इस पर लोगों ने उनसे कहा कि माता से पुत्र मांग लो। उन्होंने पुत्र की मन्नत मांगी और उन्हें 2 पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में पानी की व्यवस्था करवाई।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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