Makar Sankranti 2023: रविवार को मकर संक्रांति का पावन पर्व है। इस पर्व का सूर्यदेव से संबंध है। यदि सूर्यदेव की बात हो और उनके परिवार की चर्चा न हो, यह संभव नहीं। उनके परिवार में मां ताप्ती भी शामिल हैं, जिनका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाने का भी महत्व है। पतंग तो सभी उड़ाते हैं या उड़ाई होगी, पर यह शायद ही किसी ने सोचा होगा कि बिना किसी ईंधन के पतंग आसमान में उड़ती कैसे हैं। आज इन्हीं दोनों के बारे में कुछ रोचक जानकारी आप इस खबर में पाएंगे…
▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़ (बैतूल)
Makar Sankranti 2023: प्रातः स्मरणीय पुण्य सलिला सूर्य पुत्री माँ ताप्ती अपने उद्गम स्थल मुलताई से निकलकर जब आगे ऊँचे-ऊँचे पहाड़, कई छोटी नदियों और नालों को पार करते हुए बारालिंग के समीप पहुँचती है तो एक अद्भुत स्थिति बनती है। वैसे तो ताप्ती नदी दक्षिण दिशा में बहती हैं, लेकिन बारामहू गांव के पास पहाड़ी में ताप्ती जी पूर्व मुखी यानि सूर्यमुखी बन जाती है। ताप्ती नदी पर यह दृश्य ऐसे ही नहीं बना बल्कि इसके पीछे भी बड़ा रहस्य है।
बताते हैं कि मां ताप्ती की यह स्थिति मकर संक्रांति के दिन ही बनी थी। काफी पहले यह घटना घटी थी। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य नारायण जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवी ताप्ती ने अपने पिता सूर्यदेव को मुड़कर देखा। इसी के कारण यहां पर मां ताप्ती की दिशा अचानक बदल गई। यह स्थल बारालिंग से 5 किलोमीटर दूर अगिनतोड़ा नामक स्थान पर है। यहाँ आज भी माँ ताप्ती की जलधारा पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इसे ग्रामीण सूर्यमुखी ताप्ती कहते हैं।
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गंगा सागर में स्नान जैसा महत्व (Makar Sankranti 2023)
बताया जाता है कि यहाँ स्नान और तिलदान का बड़ा महत्व है। श्रद्धालु यहां पर बड़ी संख्या में स्नान करने जाते हैं। सूर्यमुखी ताप्ती में स्नान का वैसा ही महत्व है जैसे गंगा सागर में कपिल मुनि की तपोभूमि में स्नान का महत्व है। पंडित सुनील व्यास बताते हैं कि यहाँ स्नान दान के बाद खिचड़ी बनाकर घी और गुड़ डालकर ग्रहण किया जाता है। यहाँ स्नान दान से वर्ष भर शनि की दशा महादशा से मुक्ति मिलती है। अब आगे पढ़िए कि बिना ईंधन के पतंग आसमान में कैसे उड़ती है…
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बिना कैसे उड़ान भरती है पतंग, बताया सारिका ने (Makar Sankranti 2023)
उल्लास के पर्व सक्रांति का सबंध पतंग से जुड़ा भी रहा है। अनेक स्थानों पर इसे प्रतियोगिता के रूप मे भी मनाया जाता है। आसमान में उड़ती रंगबिरंगी पतंगें सबका मन मोह लेती हैं। पतंग बिना किसी ईंधन के उड़ान भरती है। पतंग उड़ते हुए तो हम सभी ने देखी होगी पर बिना किसी ईंधन के यह कैसे उड़ान भरती है, यह हम में से अधिकांश को पता नहीं होगा। तो आइए इसका वैज्ञानिक कारण नेशनल अवार्ड प्राप्त खगोलविद सारिका घारू से जानते हैं…
सारिका ने बताया कि पतंग आमतौर पर कागज की बनी होती है। इसमें बांस की पतली डंडिया लगी होती हैं। पतंग के निचले सिरे पर पूंछ होती है। यह पतले धागे से बंधी होती हैं। यह धागा उस व्यक्ति के हाथ तक गया होता है जो कि इसे उड़ा रहा होता है। पतंग की यह बनावट उसके उड़ने में मददगार होती है।
सारिका ने बताया कि पतंग के आकार और कोण के कारण बहती हवाओं के दबाब में अंतर आ जाता है। कारण यह है कि पतंग के उपर कम दाब रहता है तथा नीचे अधिक दाब रहता है। इस अधिक दाब के कारण पतंग ऊपर उठती है। यह लिफ्टिंग कहलाती है। पतंग का वेट या भार उसे नीचे लाना चाहता है। धागे के खींचने से थ्रस्ट उत्पन्न होता है जो पतंग को आगे ले जाना चाहता है। इसके विपरीत ड्रेग बल उत्पन्न होता है। जब लिफ्ट, वेट, थ्रस्ट और ड्रेग संतुलित हो जाते हैं तो पतंग आकाश में उड़ती रहती है। पूंछ लगाने से पतंग पर ओवर थ्रस्ट को रोका जाता हैं इससे धागा खींचने पर वह जमीन पर आकर नहीं गिरती।
यह सावधानी रखना जरूरी
पर ध्यान रखिये चाइनीज मांजा या अन्य धारदार मांजा गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है। इनसे पक्षियों को भी नुकसान पहुंच सकता है। तो मनाईये सक्रांति को सांइस की समझ को बढ़ाते हुये।