Lyrid Meteor Shower: शुक्रवार (17 नवम्बर) के रिकॉर्ड मतदान का आकाशीय स्वागत पूर्वी आकाश में चमकते उल्काओं की आतिशबाजी से हो सकता है। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने 17नवम्बर की खगोलीय घटना की जानकारी देते हुये बताया कि शुक्रवार (17 नवम्बर) की मध्य रात्रि 12 बजे से आरंभ होकर लियोनिड्स उल्का बौछार (Lyrid Meteor Shower) देखी जा सकेंगी।
सारिका ने बताया कि उल्काओं को टूटते तारे भी कहा जाता है, लेकिन वे वास्तव में तारे नहीं हैं। धूल और छोटी चट्टान जब पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में बहुत तेज़ गति से टकराती हैं तो जलने से उत्पन्न आकाश में प्रकाश की धारियाँ उल्का कहलाती हैं। उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा गिराए गए मलबे से होकर गुजरती है। वे हर साल लगभग उसी समय फिर से घटित होते हैं, जब पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमती है और फिर से मलबे से होकर गुजरती है।
सारिका ने बताया कि यह एक औसत बौछार (Lyrid Meteor Shower) है जो लगभग प्रतिघंटे 15 उल्का पैदा करती है। लियोनिड्स का निर्माण धूमकेतु टेम्पेल-टटल द्वारा छोड़े गए धूल के कणों से हुआ है, जिसे 1865 में खोजा गया था।
सारिका ने बताया कि उल्कापात देखने के लिये चंद्रमा अस्त होने के बाद मध्य रात्रि जितना हो सके शहर की रोशनी से दूर स्थान पर सिर्फ धैर्य रखकर आकाश में प्रतीक्षा करना होगी। इसके बाद आप देख पायेंगे प्रकृति की आतिशबाजी।
इस रात के गवाह अन्य खगोलीय पिंड (Lyrid Meteor Shower)
आकाशीय आतिशबाजी (Lyrid Meteor Shower) की इस शाम चंद्रमा 18 .4 प्रतिशत चमक के साथ रात लगभग 9 बजे अस्त होगा। इस समय आकाश में जुपिटर माईनस 2.88 मैग्नीटयूड से तथा सेटर्न 0.80 मैग्नीटयूड से चमक रहा होगा। देर रात लगभग 4 बजे पूर्वी आकाश में चमकता वीनस इस खगोलीय घटनाक्रम की चमक को बढा देगा। वीनस माईनस 4.31 मैग्नीटयूड से चमक रहा होगा।
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