Living Wage: केंद्र सरकार की तरफ से जल्द ही न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) को बंद कर दिया जाएगा और इसकी जगह जीवन यापन वेतन (Living Wage) लागू किया जाएगा। 2025 में केंद्र सरकार या निर्णय ले सकती है। अभी इसकी तैयारी की जा रही है। जीवन यापन वेतन (Living Wage) के आकलन और लागू करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से तकनीकी सहायता मांगी गयी है।
न्यूनतम वेतन से अधिक होगा जीवन यापन वेतन (Living Wage)
न्यूनतम वेतन के मुकाबले जीवन यापन वेतन अधिक होगा। इसके अंतर्गत सभी श्रमिकों को अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने जितना पैसा मिलेगा, जिनमें आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़े शामिल हैं। इस महीने की शुरुआत में आईएलओ ने भी लिविंग वेज का समर्थन किया है। भारत 1922 से ILO का संस्थापक सदस्य और इसकी गवर्निंग बॉडी का स्थायी सदस्य रहा है।
अभी ये हैं नियम (Living Wage)
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि हम 1 साल के अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी से आगे बढ़ सकते हैं। भारत में 50 करोड़ से अधिक श्रमिक हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जहां कई लोग दैनिक न्यूनतम वेतन (दिहाड़ी) 176 रु या अधिक पर काम करते हैं।
दैनिक न्यूनतम वेतन उस राज्य पर निर्भर करता है जहां वे काम करते हैं। हालाँकि यह राष्ट्रीय वेतन स्तर (जिसे 2017 से संशोधित नहीं किया गया है) राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है और इसलिए कुछ राज्य इससे भी कम भुगतान करते हैं।
2019 का नियम लागू ही नहीं हुआ (Living Wage)
वेतन संहिता, 2019 में पारित हुई लेकिन अभी तक लागू नहीं हुई है। इसमें एक ऐसी वेतन सीमा (Wage Floor) का प्रस्ताव किया गया है जो लागू होने के बाद सभी राज्यों पर बाध्यकारी होगी। सरकार 2030 तक सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर रही है और ऐसा विचार है कि न्यूनतम वेतन को जीवनयापन वेतन के साथ बदलने से भारत के लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के प्रयासों में तेजी आ सकती है।
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