Khad Par Bada Update: भारत सरकार का दावा, देश में रबी सीजन के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता, किसान भाई न करें कोई चिंता

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Khad Par Bada Update: भारत सरकार का दावा, देश में रबी सीजन के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता, किसान भाई न करें कोई चिंता

Khad Par Bada Update: देश में रबी सीजन 2022-23 की जरूरतों को पूरा करने के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। भारत सरकार सभी राज्यों को जरूरत के अनुरूप उर्वरक भेज रही है। इसके बाद संबंधित राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने राज्य में जिले के भीतर और अंतर-जिला वितरण के माध्यम से उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करें। भारत सरकार ने यह दावा मीडिया की कुछ खबरों में तमिलनाडु के त्रिची और राजस्थान में उर्वरकों की कमी की बात कहे जाने पर किया है। साथ ही ऐसी खबरों को तथ्यहीन बताया है। इसके साथ ही सरकार ने सभी तरह के उर्वरकों की स्थिति भी स्पष्ट की है।

यूरिया की स्थिति (Khad Par Bada Update)

रबी सीजन 2022-23 के दौरान पूरे भारत में यूरिया की अनुमानित जरूरत 180.18 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) है। 16.11.2022 तक इसकी अनुपातिक जरूरत 57.40 लाख मीट्रिक टन की है। इसके लिए उर्वरक विभाग (डीओएफ) ने 92.54 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इस दौरान यूरिया की बिक्री 38.43 लाख मीट्रिक टन हुई है। इसके अलावा राज्यों के पास 54.11 लाख मीट्रिक टन का क्लोजिंग स्टॉक (पहले से उपलब्ध) है। इसके अलावा यूरिया संयंत्रों में 1.05 लाख मीट्रिक टन और पत्तनों पर 5.03 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है, जिससे यूरिया की मांग को पूरा किया जा सके।

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डीएपी की स्थिति (DAP Khad)

रबी सीजन 2022-23 के दौरान पूरे देश में डीएपी की अनुमानित जरूरत 55.38 लाख मीट्रिक टन की है। 16.11.2022 तक इसकी अनुमानिक आवश्यकता 26.98 लाख मीट्रिक टन है। इसके लिए उर्वरक विभाग ने 36.90 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इस दौरान डीएपी की बिक्री 24.57 लाख मीट्रिक टन हुई है। इसके अलावा राज्यों के पास इसका 12.33 लाख मीट्रिक टन क्लोजिंग स्टॉक है। इसके अलावा डीएपी की मांग को पूरा करने के लिए डीएपी संयंत्रों में 0.51 लाख मीट्रिक टन और पत्तनों पर 4.51 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है।

एमओपी की स्थिति (MOP Khad)

रबी सीजन 2022-23 के दौरान पूरे देश में एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश या पोटैशियम क्लोराइड) की अनुमानित जरूरत 14.35 लाख मीट्रिक टन है। 16.11.2022 तक इसकी अनुमानित आवश्यकता 5.28 लाख मीट्रिक टन की है। इसके लिए उर्वरक विभाग ने 8.04 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इसके अलावा राज्यों के पास इसका 5.03 लाख मीट्रिक टन का क्लोजिंग स्टॉक है। इसके अलावा पत्तनों पर 1.17 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है, जिससे एमओपी की मांग को पूरा किया जा सके।

एनपीकेएस की स्थिति (NPKS Khad)

रबी सीजन 2022-23 के दौरान पूरे देश में एनपीकेएस की अनुमानित जरूरत 56.97 लाख मीट्रिक टन है। 16.11.2022 तक इसकी अनुमानित आवश्यकता 20.12 लाख मीट्रिक टन की है। इसके लिए उर्वरक विभाग ने 40.76 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इस दौरान एनपीकेएस की बिक्री 15.99 लाख मीट्रिक टन हुई है। राज्यों के पास इसका 24.77 लाख मीट्रिक टन का क्लोजिंग स्टॉक है। इसके अलावा एनपीकेएस की मांग को पूरा करने के लिए संयंत्रों में 1.24 लाख मीट्रिक टन और पत्तनों पर 2.93 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है।

एसएसपी की स्थिति  (SSP Khad)

रबी सीजन 2022-23 के दौरान पूरे देश में एसएसपी की अनुमानित जरूरत 33.64 लाख मीट्रिक टन है। 16.11.2022 तक इसकी अनुमानित आवश्यकता 14.05 लाख मीट्रिक टन की है। इसके लिए उर्वरक विभाग ने 24.79 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इस अवधि के दौरान एसएसपी की बिक्री 9.25 लाख मीट्रिक टन हुई है। राज्यों के पास इसका 15.54 लाख मीट्रिक टन का क्लोजिंग स्टॉक है। इसके अलावा संयंत्रों में 1.65 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है, जिससे एसएसपी की मांग को पूरा किया जा सके।\

इस तरह देश में रबी सीजन 2022-23 की जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीकेएस और एसएसपी उर्वरकों की उपलब्धता पर्याप्त है। इसलिए किसानों को खाद को लेकर किसी भी तरह की चिंता करने की जरा भी जरुरत नहीं है। (Khad Par Bada Update)

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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