Karni Sena News: बैतूल। क्षत्रिय करणी सेना ने मध्यप्रदेश में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि अब क्षत्रिय वर्ग की उपेक्षा सहन नहीं की जाएगी। प्रदेश में ऐसी 80 सीटें हैं जहां क्षत्रिय वर्ग का वर्चस्व है। इन सीटों पर क्षत्रिय वर्ग के उम्मीदवार बनाए जाने की सेना ने मांग की है। ऐसा नहीं होने पर निर्दलीय प्रत्याशी खड़े करने का ऐलान भी सेना ने कर दिया है।
यह ऐलान मंगलवार को क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने बैतूल में पत्रकारों से चर्चा के दौरान किया। दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टियों द्वारा क्षत्रियों की सत्ता में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी की मांग को लेकर क्षत्रिय करणी सेना परिवार आंदोलन की शुरुआत कर रही है। इसके पहले प्रदेश के सभी जिलों में पहुंचकर राजपूत समाज के सभी संगठन और साथियों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तारतम्य में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत मप्र के दौरे पर हैं। मंगलवार को वे एक दिवसीय दौरे पर बैतूल पहुंचे। इस बीच उन्होंने पत्रकारों से चर्चा कर अपनी रणनीति का खुलासा किया।
डॉ. राज शेखावत ने कहा कि राजनैतिक पार्टियां सालों से क्षत्रियों की उपेक्षा करती आई हैं, यह अब नहीं चलेगा। इसका बीड़ा क्षत्रिय करणी सेना परिवार ने उठाया है। परिवार के द्वारा समस्त क्षत्रियों की अध्यक्षता में भोपाल में क्षत्रिय एकता महापड़ाव की तैयारियां की जा रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखावत के अनुसार, इस महापड़ाव के द्वारा क्षत्रियों के हितों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया जाएगा।
महापड़ाव का मुख्य उद्देश्य आने वाले विधानसभा चुनावों में क्षत्रियों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही क्षत्रिय कल्याण बोर्ड और स्वर्ण आयोग के गठन की भी प्रमुख मांग हैं। वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड के गठन की मांग भी महापड़ाव में होगी। करणी सेना लव जिहाद, लैंड जिहाद के विरुद्ध कड़े कानून बनाने के साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग को रोकने, आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान-समीक्षा, महापुरुषों और वीरांगनाओं के इतिहास को संरक्षित करने की मांग उठाई जाएगी।
इन सभी को लेकर 27 अगस्त को भोपाल में स्थित एक गार्डन में आंदोलन के तहत धरना दिया जाएगा, जिसमें राजपूत समाज से जुड़े सभी संगठन एक मंच पर होंगे। साथ ही इन मांगों पर सहमति बनाकर ही महापड़ाव की पूर्णाहुति की जाएगी। सहमति नहीं बनने पर चुनावों में क्षत्रियों द्वारा करारा जवाब भी राजनैतिक पार्टियों को दिया जाएगा। उन्होंने मणिपुर की घटना को केंद्र और राज्य सरकार का फेलियर बताया है।