Jangal Me Aag : बैतूल। जंगल में आग की वर्ष 2021 में 1299, वर्ष 2022 में 765, वर्ष 2023 में 55 और वर्ष 2024 में मात्र 12 घटनाएं…! आंकड़े देख कर शायद आपको यकीन न हो, लेकिन यह हकीकत है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल ने यह कर दिखाया है।
बैतूल के हरे-भरे जंगल यूं तो ‘सतपुड़ा के घने जंगल’ के रूप में विख्यात है। बारिश के दिनों में जंगल के रास्तों से गुजरने का एक अलग ही एहसास होता है। लेकिन, गर्मी का मौसम शुरू होते ही इन्हीं जंगलों का सफर बेहद तकलीफदेह बन जाता था।
वजह थी जगह-जगह सुलगते जंगल, कहीं धुएं का उठता गुबार तो कहीं आग की चिंगारी..! यही आग बड़े क्षेत्र के जंगल को तबाह कर देती है। केवल हरियाली ही नहीं बल्कि कई जीव-जंतुओं को भी यह आग असमय ही काल के गाल में समाने को मजबूर कर देती है।
इस बीच बैतूल के पश्चिम वन मंडल में आग पर काबू पाने में बड़ी सफलता हासिल की गई है। इसी सफलता ने इस वन मंडल को प्रदेश में अव्वल ला खड़ा किया है। इस उपलब्धि के लिए पश्चिम वन मंडल को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। अब देखते हैं कि यह उपलब्धि आखिर हुई कैसे हासिल..?
इस तरह हासिल हुई सफलता
पश्चिम वन मंडल में 5 रेंजों की 123 बीटों में से 88 बीट सेंसिटिव मानी जाती थीं। 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले इस वन मंडल का 72 प्रतिशत वन क्षेत्र आगजनी के लिए संवेदनशील था। डीएफओ वरुण यादव ने जमीनी स्तर पर पहुंचकर आगजनी के कारणों का विश्लेषण किया।
जंगल के चरवाहों, वन सुरक्षा समिति के सदस्यों, बीट गार्ड्स, डिप्टी रेंजरों, और रेंजरों से सुझाव मांगे गए। इन तथ्यों के आधार पर संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम तैयार किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जागरूक करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया गया।
ग्रामीणों से सतत किया संपर्क
नुक्कड़ सभाएं, ऑडियो-वीडियो माध्यमों से आग रोकने के उपायों को फैलाया गया। महुआ के सीजन में जंगल में आग नहीं लगाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। पिछले चार महीनों में वन मंडल की 166 वन समितियों और ग्रामीणों ने अग्नि सुरक्षा को लेकर 748 बैठके कीं।
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जंगल में आग के आंकड़े (Jangal Me Aag)
इन्हीं सब प्रयासों से संयुक्त वन प्रबंधन के माध्यम से लगभग 99 प्रतिशत आग पर वन मंडल में काबू पाया गया है। वर्ष 2021 में 1299 आगजनी की घटनाएं हुई थी, जिसमें 478 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान हुआ। वर्ष 2022 में 765 आगजनी की घटनाएं हुईं जिनमें 338 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान हुआ।
इसी तरह वर्ष 2023 में 55 आगजनी की घटनाएं हुईं जिनमें 45 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान हुआ। वहीं वर्ष 2024 में मात्र 12 आगजनी की घटनाएं हुईं जिनमें केवल 9 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान पहुंचा।
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इन पहलों से हुई आग काबू (Jangal Me Aag)
डीएफओ के इस कार्यक्रम में सबसे पहले लापरवाही से लगने वाली आग को रोकने के लिए आम जनता को जागरूक किया गया। ग्रामीणों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा कर जंगल के प्रति लगाव बढ़ाया गया। ग्रामीण युवाओं को वनों से जोड़ने के लिए विभिन्न खेलों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
वन अधिकारियों, कर्मचारियों और वन सुरक्षा समितियों को सक्रिय किया गया। वनों की सुरक्षा में लगे अग्नि प्रहरियों और सुरक्षा श्रमिकों को आग की घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया गया।
हर रेंज में एक स्पेशल फायर फाइटर फोर्स तैयार की गई। आग बुझाने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग किया गया, जिसमें फायर ब्लोवर, लाइन जलाई, लाइन कटाई, फायर वाचर, और वॉच टॉवर शामिल थे।
जंगली जीवों के बचाएं गए प्राण (Jangal Me Aag)
जंगल में आग लगने की घटनाओं से वनों की जैव विविधता, वन्य जीवों, और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। आगजनी से पौधे, दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ, और वनस्पतियां नष्ट हो जाती हैं। डीएफओ वरुण यादव के संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम ने इस नुकसान को काफी हद तक कम किया है।
राज्य स्तर पर होगा सम्मान (Jangal Me Aag)
इस सराहनीय कार्य के लिए पश्चिम वन मंडल को जल्द ही राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। डीएफओ वरुण यादव और उनकी टीम के प्रयासों ने प्रदेश में वन संरक्षण की दिशा में एक मिसाल कायम की है।
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