Influenza A virus subtype H3N2: रंगों का पर्व होली पर इस वर्ष मौसम का भी रंग बदल गया है। ठंडी हवा, आंधी, ओले, कुछ वर्षा, कुछ धूप जैसे अनुभव से लग रहा है कि प्रकृति भी होली खेल रही हो। सद्भाव बढ़ाने और आपसी बैर खत्म करने के उद्देश्य को लेकर मनाये जाने वाले इस त्यौहार पर गुलाल का तिलक एवं रंगों का प्रयोग तो किया ही जाता है, साथ ही यथायोग्य चरण स्पर्श, गले मिलना, प्रणाम करना भी इसमें शामिल होता है।
बदले मौसम में आज होली मनाने के बदले तरीके को बताते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कहा कि मौसम के साथ बीमारियों से जुड़े वायरस ने भी अपना रंग बदला है। मौसम परिवर्तन के साथ इन दिनों अपना रूप बदल कर H3N2 वायरस ने अपना प्रसार किया है। जिससे अनेक लोग सर्दी, गले में खराश, बदन दर्द, बहती नाक, जुकाम, खांसी, बुखार जैसे लक्षणों से पीड़ित देखे जा रहे हैं। आम बोल चाल में इसे फ्लू कहते हैं। वायरस के रूप बदलने को वैज्ञानिक भाषा एंटीजनिक ड्रिफ्ट कहते हैं।
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सारिका घारू ने कहा कि अगर फ्लू के लक्षण हैं तो आवश्यकतानुसार हाथ धोते रहें। मास्क पहने और होली सिर्फ सोशल मीडिया या मोबाईल से मनायें। त्यौहार पर बने भारी पकवान न खाकर पर्याप्त मात्रा में तरल चीजें लें। यह कोविड की तरह ड्रापलेट्स से फैलता है। इसलिये सावधानी के लिये मास्क लगाये रखें और दूर से ही प्यार और स्नेह बांटे। अन्य लोग भी पूर्ण उत्साह के साथ मनायें इस पर्व की भावना को, लेकिन वायरस का बदला रंग आपके रंग में भंग न करें, इसके लिये सर्तकता बरतें।