Importance Of Estrogen Hormone : महिलाओं की फर्टिलिटी को स्वस्थ रखने के साथ-साथ उनके शरीर में बदलाव लाने और कंसीव करने में भी एक हार्मोन अहम भूमिका निभाता है। इस हार्मोन का नाम एस्ट्रोजन है। एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में पाया जाने वाला एक सेक्स हार्मोन है। महिलाओं के शरीर में इसका सही स्तर पर होना बहुत जरूरी है।
आशा आयुर्वेदा दिल्ली की डायरेक्टर और सिनियर फर्टिलिटी डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और निसंतानता का सीधा संबंध इस हार्मोन से होता है। इसके बढ़ने और घटने का असर महिलाओं की भावनाओं पर भी पड़ता है। इस हार्मोन के कम होने से महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कत आती है।
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि एस्ट्रोजन डोमिनेंस एक ऐसी स्थिति है जो प्रोजेस्टेरोन की तुलना में एस्ट्रोजेन का उच्च स्तर होना कहलाता है। एक महिला की प्रजनन प्रणाली समय के साथ-साथ प्रत्येक हार्मोन की क्षमता पर निर्भर करती है क्योंकि वे अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं।
जैसे ही पीरियड्स साइकिल शुरू होता है और इसके पहले भाग में एस्ट्रोजेन का स्तर उच्च होता है और ओव्यूलेशन होने पर अपने चरम पर पहुंच जाता है। इसके बाद, हार्मोन का स्तर कम होने लगता है जबकि उस दौरान प्रोजेस्टेरोन हावी हो जाता है और चक्र के अगले भाग के दौरान बढ़ता रहता है।
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यह लक्षण आते हैं नजर (Importance Of Estrogen Hormone)
जब एक महिला में एस्ट्रोजन डोमिनेंस की समस्या देखी जाती है, तो उसे मासिक धर्म चक्र की अनियमितता, अचानक से वजन का बढ़ना, पानी जमा होना, सिरदर्द, डिप्रेशन और चिंता जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं।
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कैंसर तक का रहता है डर (Importance Of Estrogen Hormone)
इसके अलावा महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ने के कारण कैंसर की समस्या होना, एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस, फाइब्रॉएड, एमेनोरिया (पीरियड्स का न होना), हाइपरमेनोरिया (पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव) जैसी की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण एक महिला निसंतानता की समस्या हो सकती है।
एस्ट्रोजन की यह होती भूमिका (Importance Of Estrogen Hormone)
डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि बहुत से लोगों के दिमाग में सवाल आता होगा कि आखिर महिला की प्रजनन प्रणाली और गर्भधारण में एस्ट्रोजन की भूमिका क्या है? मुख्य रूप से, गर्भधारण के समय एस्ट्रोजन भ्रूण को गर्भाशय की लाइनिंग में इम्प्लांट करने में मदद करता है।
कम-ज्यादा मात्रा से यह नुकसान (Importance Of Estrogen Hormone)
यह एंडोमेट्रियल टिश्यू को मोटा बनाता है ताकि यह गर्भावस्था के लिए भू्रण को सहारा दे सकें। लेकिन हार्मोन की बहुत अधिक या बहुत कम लेवल होने से नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है जिसके कारण मिसकैरेज की संभावना बढ़ सकती और इस प्रकार गर्भावस्था की संभावना कम हो सकती है।
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लेवल बढ़ने से यह समस्याएं (Importance Of Estrogen Hormone)
जैसे कि शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ने से पीरियड्स समय पर न आना, सेक्स ड्राइव में कमी आना, बालों का झड़ना और माइग्रेन की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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इनसे बढ़ता है असंतुलन का खतरा (Importance Of Estrogen Hormone)
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि एस्ट्रोजन डोमिनेंस के कारण की बात करें तो मोटापा और हाई फैट फूड के सेवन से एस्ट्रोजन असंतुलन का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा तनाव, कैफीन और चीनी युक्त खाद्य के कारण एस्ट्रोजन के स्तर बढ़ सकता है।
वात, पित्त और कफ की अहम भूमिका (Importance Of Estrogen Hormone)
इसके इलाज की बात करें तो आयुर्वेदिक ग्रंथ में सीधे तौर पर हार्मोन का उल्लेख नहीं करते हैं, लेकिन इन ग्रंथों में वर्णित विभिन्न स्त्री रोग संबंधी विकारों को एस्ट्रोजन डोमिनेंस के लक्षणों से जोड़ा जा सकता है। जिस तरह हार्मोन में अंगों और प्रणालियों की अन्य क्रिया शामिल होती है, उसी तरह तीन दोष-वात, पित्त और कफ-हार्मोनल स्वास्थ्य को बनाए रखने में अभिन्न भूमिका निभाते हैं।
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आयुर्वेद पद्धति पूरी तरह से प्रभावी (Importance Of Estrogen Hormone)
एस्ट्रोजन डोमिनेंस के लिए आयुर्वेद पद्धति पूरी तरह से प्रभावी है। आयुर्वेदिक डॉक्टर एस्ट्रोजन डोमिनेंस का इलाज बिना सर्जरी के स्वाभाविक रूप से दोषों को संतुलित करना, आहार में बदलाव करना, जीवन शैली में सुधार लाने आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और पंचकर्म उपचार थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। आयुर्वेदिक इलाज का का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है और एस्ट्रोजन डोमिनेंस पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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