IAS Success Story: सेल्‍फ स्‍टडी कर किसान की बेटी बनीं IAS, दूसरे प्रयास में पाई 65वीं रैंक, जानें सफलता की कहानी

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IAS Success Story: सेल्‍फ स्‍टडी कर किसान की बेटी बनीं IAS, दूसरे प्रयास में पाई 65वीं रैंक, जानें सफलता की कहानी
IAS Success Story: सेल्‍फ स्‍टडी कर किसान की बेटी बनीं IAS, दूसरे प्रयास में पाई 65वीं रैंक, जानें सफलता की कहानी

IAS Success Story: यूपीएससी की ओर से हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा को देने के लिए लाखों उम्‍मीद्वार बैठते हैं, लेकिन कुछ ही लोग इस परीक्षा में पास हो पाते हैं।

यूपीएससी की परीक्षा तीन चरण में होती है- प्रारंभिक, मेंस और फिर इंटरव्यू। इन तीन चुनौतियों को जो पार कर लेता है, समझो उसका करियर सफल हो जाता है। यूपीएससी की सफलता की कहानियों में आज ऐसी एक युवती की बात करने जा रहे हैं जो कि एक कृषि परिवार से ताल्‍लुक रखती हैं।

इस युवती का नाम है एनीस कनमनी जॉय (Annies Kanmani Joy), जिन्‍होंने सेल्‍फ स्‍टडी के दम पर 65वी रैंक हासिल कर IAS ऑफिसर बनने में कामयाबी प्राप्त की। आइए जानते हैं एनीस की सफलता की कहानी के बारे में….

IAS Success Story: सेल्‍फ स्‍टडी कर किसान की बेटी बनीं IAS, दूसरे प्रयास में पाई 65वीं रैंक, जानें सफलता की कहानी
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एनीस का परिचय और शिक्षा (IAS Success Story)

एनीस का जन्म केरल के पिरवोम जिले के एक छोटे से गांव पंपाकुड़ा में हुआ। उनके पिता पंपाकुड़ा गाँव में ही धान की खेती करते हैं। श्रमिकों की कमी होने के कारण उनकी माँ भी उनके पिता के साथ खेती में हाथ बटाती हैं।

एनीस ने 10वीं की पढ़ाई पिरवोम जिले के एक स्कूल से पूरी की और हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वे एर्नाकुलम गईं। वह बचपन से पढ़ाई में अच्‍छी थीं।

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मेडिकल कॉलेज से की नर्सिंग की पढ़ाई (IAS Success Story)

एनीस बचपन से ही एक डॉक्टर बनना चाहती थीं और इसी के लिए उन्होंने 12वीं में खूब मेहनत की। परन्तु मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में ख़राब रैंक आने के कारण उन्हें MBBS में दाखिला नहीं मिला।

इसीलिए उन्होंने त्रिवेंद्रम गवरमेंट मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग में BSc. की पढ़ाई पूरी की। एनीस बताती हैं कि डॉक्टर ना बन पाने के कारण वह काफी निराश थी लेकिन उन्होंने वास्तविकता को स्वीकारा और मन लगाकर नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की।

रेल यात्रा के दौरान जाना आईएएस परीक्षा के बारे में

एक बार एनीस कहीं जा रहीं थी और ट्रेन में उन्हें दो लोग मिले जिनसे उनकी पढ़ाई के संबंध में बात हो रही थी। एनीस को इन दोनों ही लोगों ने बताया कि उन्हें आईएएस परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। ये परीक्षा कठिन जरूर है, लेकिन इसमें उनके जैसे मेहनती लोग ही सफल होते हैं।

तब तक एनीस को ये नहीं पता था कि आईएएस परीक्षा किसी भी सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन के बाद दी जा सकती है। इस जानकारी के बाद उन्होंने अपना फोकस यूपीएससी परीक्षा पर केंद्रित कर दिया।

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बिना कोचिंग के दूसरे अटेम्प्ट में बनी IAS अफसर

एनीस के परिवार के आर्थिक हालात इतने अच्छे नहीं थे कि वह IAS की कोचिंग के लिए लाखों रुपये खर्च कर सके। इसीलिए उन्होंने खुद से ही पढ़ने का निर्णय लिया। एनीस बताती हैं कि वह न्यूज पेपर्स के एडिट पेज और करेंट अफेयर की मदद से पेपर की तैयारी करती थी।

तमाम योजनाओं और सुविधाओं के साथ उन्हें कई और जानकारी भी मिलती रही। हालांकि पहले प्रयास में एनीस का यूपीएससी में 580 रैंक थी जबकि दूसरी बार में वे 65वीं रैंक पर आ कर आईएएस बनने का सपना पूरा कर लीं।

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