IAS Success Story: यह कहानी है एक ऐसे लड़के की, जिसके पिता शराब के लती थे। मां और बहन खेतों में काम करके घर की गुजर-बसर के इंतजाम करती थीं। किसान परिवार में जन्मे इस लड़के ने बचपन से गरीबी देखी थी। लेकिन शायद मन में कुछ अलग करने की ललक रही होगी।। और उसके इसी जज्बे ने उसे देश का टॉप सरकारी अफसर यानी आईएएस अफसर बना दिया। हम बात कर रहे हैं आईएएस शिवगुरु प्रभाकरन की।
शिवगुरु प्रभाकरन तमिलनाडु के रहने वाले हैं। उन्होंने खुद को कभी हालातों के आगे मजबूर या कमजोर नहीं पड़ने दिया। जरूरत पड़ने पर उन्होंने अपने परिवार को पूरा सपोर्ट दिया। इसके लिए इस होशियार लड़के को अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी। लेकिन फिर उसने खूब मेहनत की, अपने भाई-बहनों को पढ़ाया, खुद आईआईटी जैसे टॉप इंजीनियरिंग संस्थान से पढ़ाई की और आखिरकार आईएएस अफसर बनकर दूसरों को सपने देखने का साहस दिया (UPSC Success Story)।
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आर्थिक तंगी के कारण छोड़ा इंजीनियरिंग का सपना
तमिलनाडु के तंजावुर जिले के रहने वाले एम शिवागुरू प्रभाकरन के परिवार की हालत अच्छी नहीं थी। उनके पिता शराबी थे और मां और बहन बांस की टोकरी बुनती। इन टोकरियों को बेचकर ही मां घर का खर्च चलाती थीं। बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था लेकिन शराबी पिता की वजह से घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई। घर की जिम्मेदारियों के चलते प्रभाकरन ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।
शिवागुरू प्रभाकरन का सफर 2004 से शुरू होता है जब उन्हें घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अपने सपनों को छोड़ना पड़ा। वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनकी फैमिली के लिए इतने महंगे कोर्स को कराना नामुमकिन था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई का उनका सपना टूटा नहीं बल्कि कुछ समय के लिए केवल रुक गया था। जब वे पैसों की तंगी की वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए तो उन्होंने अपनी फैमिली को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने का फैसला लिया।
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रेलवे स्टेशन पर गुजारे दिन
शिवगुरु ने यह सब ठान तो लिया था लेकिन उनके लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं था। कॉलेज फीस भरने के लिए उन्होंने खाली समय में छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए। वह हफ्ते भर कॉलेज में क्लासेस अटेंड करते थे और वीकेंड पर सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बैठकर अपनी पढ़ाई करते थे। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने आईआईटी मद्रास एंट्रेंस एग्जाम पास कर एमटेक में एडमिशन ले लिया। 2014 में उन्हें पोस्टग्रेजुएट डिग्री मिल गई थी।
चौथे प्रयास में बने IAS (IAS Success Story)
प्रभाकरन का हार्ड वर्क और उनका दृढ़-संकल्प काम आया। 2014 में प्रभाकरन ने एमटेक में टॉप रैंक के साथ परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने अपने सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने के सपने को साकार करने का निश्चय किया। उन्होंने परीक्षा के लिए जी-जान से मेहनत की लेकिन अपने पहले तीन प्रयासों में असफल होते रहे।
प्रभाकरन ने हार नहीं मानी और 2018 की यूपीएससी की परीक्षा में रैंक 101 प्राप्त कर आईएएस ऑफिसर बन गए। प्रभाकरन का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है जो हालातों के सामने घुटने टेक कर अपने सपनों को छोड़ देते हैं।
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