IAS Success Story : आईएएस-आईपीएस बनने का सपना हर साल ना जाने कितने लोग देखते होंगे। कुछ का सपना पूरा हो जाता है और कुछ का बस सपना बनकर रह जाता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते है जो कई बार फेल होने बाद भी पीछे नहीं हटते है। जब तक उन्हें सफलता नहीं मिलती है तब तक पूरी शिद्दत और मेहनत से पूरा करने में जुट जाते है। कुछ ऐसी ही कहानी है आईएएस अश्वथी की। यूपीएससी में तीन बार फेल होने के बावजूद भी नहीं टूटा हौसला, फिर चौथे प्रयास में 481वीं रैंक हासिल कर अपनी जिद को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया।
आईएएस अश्वथी का परिचय (IAS Success Story)
केरल के तिरुवनंतपुरम में रहने वालीं अश्वथी के लिए आईएएस बनने की राह आसान नहीं थी। अश्वथी एस कंस्ट्रक्शन मजदूर की बेटी हैं। मूलरूप से केरला की राजधानी तिरुवनंतपुरम की रहने वाली हैं। अश्वथी के परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। इनके पिता प्रेम कुमार कंस्ट्रक्शन मजदूर के रूप में कार्य कर रहे हैं।
8वीं कक्षा में देखा आईएएस बनने का सपना
आमतौर पर पढ़ाई-लिखाई में आर्थिक हालात ही सबसे बड़ी रुकावट बनते हैं। लेकिन, अश्वथी हर तरह के हालात से जंग लड़ने की ठान चुकी थी। आठवीं तक आते-आते अश्वथी ने तय कर लिया कि वो देश की सर्वोच्च सेवा, यूपीएससी में जाएंगी। शायद माता-पिता को भी एहसास हो चुका था कि अश्वथी अपने लक्ष्य के प्रति गंभीर है और इसीलिए परिवार भी उसके साथ खड़ा हो गया।
नौकरी के साथ-साथ की पढ़ाई (IAS Success Story)
इसके साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। नौकरी के साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। वह जानती थी कि इस परीक्षा के लिए पूरा समय चाहिए होगा। लेकिन घर की जिम्मेदारियों के कारण वह नौकर नहीं छोड़ सकती थी। साथ ही एक अच्छी सैलरी को छोड़ना काफी मुश्किल था लेकिन वह जानती थी कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता है। इसलिए उन्होंने आखिरी वक्त में नौकरी छोड़ दिया जमकर तैयारी करने लगी। इसके बाद उन्होंने राज्य सिविल सेवा एकैडमी में एडमिशन लिया।
चौथे प्रयास में मिली सफलता
एक इंटरव्यू में अश्वथी ने बताया कि साल 2020 का प्रयास उनका चौथा प्रयास था। चौथे प्रयास में उन्हें सफलता मिल गई रैंक 481 हासिल किया। पहले के तीनों प्रयास में वह असफल रहीं।हालांकि इस परीक्षा में असफल होने के बावजूद भी उन्होंने काफी कुछ सीखा। तीन प्रयास में पास न होने के बाद उन्होंने अपने राइटिंग स्किल और समझने पर पूरा ध्यान दिया। अश्वथी बताती हैं कि परीक्षा में सफल होने के बाद उनके पिता को बहुत गर्व और खुशी हुई। उनका छोटा भाई एक आईटी कंपनी में काम करता है और उनकी मां श्रीलता पी एक हाउस मेकर हैं।