IAS Divya Tanvar : मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, बेटी दिव्या तंवर पहले बनी आईपीएस और फिर आईएएस

IAS Divya Tanvar : निश्चित रूप से यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना बड़ा कठिन है। हर साल लाखों युवा अफसर बनने का अरमान लिए इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन गिनती के मेधावी युवाओं का अरमान ही पूरा हो पाता है।

IAS Divya Tanvar : मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, बेटी दिव्या तंवर पहले बनी आईपीएस और फिर आईएएस

IAS Divya Tanvar : निश्चित रूप से यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना बड़ा कठिन है। हर साल लाखों युवा अफसर बनने का अरमान लिए इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन गिनती के मेधावी युवाओं का अरमान ही पूरा हो पाता है।

यही एक कारण भी है कि अधिकांश लोग इस परीक्षा के लिए एक धारणा बना चुके हैं कि इस परीक्षा में संपन्न परिवारों के और बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों से प्रशिक्षित युवा ही सफल हो पाते हैं। हालांकि जो लोग ऐसा सोचते हैं उनकी गलतफहमी दूर करने के लिए आईएएस दिव्या तंवर एक आदर्श उदाहरण है।

हरियाणा के महेंद्रगढ़ के एक गांव निम्बी की निवासी दिव्या तंवर की न तो आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी और न ही उन्होंने कहीं से कोई कोचिंग हासिल की। यही नहीं उनके सिर से तो उनके पिता का साया भी काफी पहले ही उठ गया था। इसके बावजूद बुलंद हौसलों के साथ वे पहले आईपीएस बनीं और उसके बाद आईएएस।

इन स्कूलों से की पढ़ाई

आईएएस दिव्या तंवर ने प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय सरकारी स्कूलों से हासिल की। इसके बाद वे 9 वीं से 12 वीं तक की पढ़ाई महेंद्रगढ़ के ही नवोदय विद्यालय से हुई। ग्रेज्युएशन के लिए उन्होंने साइंस स्ट्रीम चुनी। कॉलेज की पढ़ाई महेंद्रगढ़ के राजकीय महिला कॉलेज से की। ग्रेज्युएशन के साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

IAS Divya Tanvar : मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, बेटी दिव्या तंवर पहले बनी आईपीएस और फिर आईएएस

ऐसी थी पारिवारिक स्थिति

आईएएस दिव्या की पारिवारिक आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इसी बीच एक वज्रपात उनके परिवार पर गिरा कि वर्ष 2011 में उनके पिता भरत सिंह का भी निधन हो गया। हालांकि मां बबीता तंवर ने उनका कभी हौसला नहीं टूटने दिया। कहा तो यहां तक जाता है कि उनकी मां ने मजदूरी कर तीनों बच्चों पालन-पोषण किया और उन्हें प्रोत्साहित करती रहीं।

बगैर कोचिंग क्रैक की यूपीएससी

इधर दिव्या लगन से तैयारी में जुटी रही। वे मेधावी तो थीं ही, लिहाजा बिना किसी कोचिंग के उन्होंने प्रीलिम्स परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद मुख्य परीक्षा के लिए उन्होंने ऑनलाइन रिसोर्सेज का उपयोग किया। आखिरकार 2021 में उन्होंने पहले प्रयास में ही 438 एआईआर हासिल की। उन्हें आईपीएस कैडर मिला। बतौर आईपीएस उनकी पोस्टिंग मणिपुर में हुई।

मंजिल तो आईएएस बनना था

महज 22 साल की उम्र में दिव्या आईपीएस बन गईं, लेकिन उनका असली लक्ष्य आईएएस बनना था। इसलिए उन्होंने तैयारी जारी रखी और अगले प्रयास में वर्ष 2022 में 23 साल की उम्र में आल इंडिया 105वीं रैंक हासिल की और वे आईएएस बन गईं। इस बार उनका लक्ष्य और सपना दोनों ही पूरे हो गए। वे सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हैं।

इस तरह मिली थी प्रेरणा

आईएएस दिव्या द्वारा विभिन्न मौकों पर दिए गए इंटरव्यू में बताया गया है कि एक बार स्कूल में एक कार्यक्रम था। वहां एसडीएम चीफ गेस्ट थे। उनका रूतबा देख कर और स्पीच सुनकर उन्होंने भी ठान लिया था कि उन्हें भी ऐसे ही बड़ा अफसर बनना है। उन्होंने यह सपना देखा और लगन से उसे पूरा भी किया।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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