Horticulture in MP: एमपी के किसानों का अब इन फसलों पर आया दिल, हो रही बंपर पैदावार, छप्पर फाड़ कर बरस रहा पैसा

Horticulture in MP: कुछ साल पहले मध्यप्रदेश के किसान केवल परंपरागत फसलों पर ही निर्भर थे। लेकिन, समय के साथ अब उनकी सोच भी बदली है। अब वे कैश क्रॉप और उन्नत तकनीकों को भी खासी तवज्जो दे रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के रकबे के साथ ही उत्पादन में भी बेहद बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं मध्यप्रदेश उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन कर उभरा है।

मध्यप्रदेश में गत 5 वर्षों में उद्यानिकी के रकबे में 23.72 प्रतिशत वृद्धि हुई। वर्ष 2019-20 में उद्यानिकी फसलों का रकबा 21.75 लाख लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 26.91 लाख हैक्टेयर हो गया है। मध्यप्रदेश में गत 20 वर्षों में छोटे के साथ बड़ी कृषि-जोत रखने वाले किसान भाइयों ने कैश-क्रॉप के रूप में उद्यानिकी फसलों को लेना शुरू कर दिया है।

रकबे और उत्पादन की यह स्थिति (Horticulture in MP)

इस कारण उद्यानिकी फसलों (फल, सब्जी, मसाला पुष्प एवं औषधियों) का रकबा 4 लाख 67 हजार हैक्टेयर से 27 लाख 71 हजार हैक्टेयर यानि लगभग 500 प्रतिशत की तथा उत्पादन 35 लाख 40 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 417 लाख 89 हजार मीट्रिक टन हो गया। इस तरह उत्पादन में 1000 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन रहा है।

सिंचाई सुविधाओं से बढ़ी उत्पादकता (Horticulture in MP)

मध्यप्रदेश की जलवायु उद्यानिकी फसलों के लिये अनुकूल होने के साथ सिंचाई सुविधाएँ भी अन्य राज्यों से बेहतर है। प्रदेश का कुल उद्यानिकी रकबा का 5 लाख 54 हजार हैक्टेयर मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टयर है, जो देश की उद्यानिकी फसलों की औसत उत्पादकता 12.19 टन प्रति हैक्टेयर से 23.21 प्रतिशत अधिक है। खाद्यान फसलों की उत्पादकता 2.82 टन प्रति हैक्टेयर की तुलना में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टेयर है, जो 5 गुनी से अधिक है।

कई बड़ी सिंचाई परियोजनाएं प्रस्तावित (Horticulture in MP)

आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश में उद्यानिकी (बागवानी) प्रदेश के किसान भाइयों की आय का मुख्य घटक बनकर उभरेगा। मिले जल हमारा तुम्हारा के प्रयास पर मध्यप्रदेश में 24 हजार 293 करोड़ की अनुमानित लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना, 35 हजार करोड़ की लागत से पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अन्तर्राज्यीय नदी लिंक परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ हो चुका है। ताप्ती नदी बेसिन मेगा रिचार्ज योजना महाराष्ट्र सरकार के साथ प्रारंभ किया जा रहा है। साथ ही वर्ष 2025-26 में 19 वृहद एवं मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं।

बागवानी के लिए चल रहीं कई योजनाएं (Horticulture in MP)

इन परियोजनाओं से प्रदेश के सिंचित रकबे में आशातीत वृद्धि होगी। उद्यानिकी विभाग द्वारा भी किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रयासों के तहत ड्रिप/स्प्रिकंलर संयंत्र करने के लिये अनुदान देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 22 हजार 167 हितग्राहियों 130 करोड़ रूपये का अनुदान प्रदान कर 26 हजार 355 हैक्टेयर फसलों को बेहतर सिंचाई सुविधा मुहैया कराई गई है।

पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत वर्ष 2025-26 के लिये 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन सभी प्रयासों के परिणाम स्वरूप ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा आगामी 5 वर्षों में उद्यानिकी फसलों का रकबा 26.91 लाख हैक्टेयर से बढ़ाकर 33 लाख 91 हजार हैक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है।

जिला स्तर की 40 नर्सरियां हुई हाईटेक (Horticulture in MP)

इस लक्ष्य की पूर्ति में उद्यानिकी विभाग के प्रयास सराहनीय है। जिला स्तर की 40 नर्सरियों और ई-नर्सरी को हाईटेक बनाया गया है, पौधे के लिये ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त पड़ी सरकारी जमीनों पर नई नर्सरी पीपीपी मोड पर विकसित करने के निर्देश दिये है।

इजराइली तकनीकि के बनाएंगे 3 सेंटर (Horticulture in MP)

प्रदेश में इजराइली तकनीकि से 14.74 करोड़ की लागत से 3 सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस, मुरैना में हाई वैल्यू वेजिटेबल, छिंदवाड़ा में नीबू वर्गीय फसलों तथा हरदा में निर्यात उन्मुख (आम और सब्जी) के लिये स्थापित किये जाना है। इसी क्रम में मुरैना में पीपीपी मोड में आलू की समग्र खेती की परियोजना प्रारंभ की गई, इसमें किसानों ने गत 3 वर्षों में आलू की अनेक नई किस्म विकसित की है। ग्वालियर में 13 करोड़ रूपये की लागत से हाईटेक फ्लोरी कल्चर नर्सरी भी बनाई जा रही है।

इन फसलों के उत्पादन में देश में अव्वल (Horticulture in MP)

उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में प्रदेश की स्थिति की बात करें तो मध्यप्रदेश संतरा, मसाले लहसुन, अदरक और धनिया के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। मटर, प्याज, मिर्च, अदरक में दूसरे तथा फूल, औषधियों एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में फसलों का रकबा भागीदरी फल 4.61 लाख हैक्टेयर, सब्जी 12.40 लाख हैक्टेयर, मसालें 8.99 लाख हैक्टेयर, पुष्प 14 हजार हैक्टेयर तथा औषधी एवं सुंगधित पौधे 48 हजार हैक्टेयर में पैदा किये जा रहे है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को आर्थिक मदद (Horticulture in MP)

प्रदेश में सूक्ष्म खाद्य ईकाइयों और प्र-संस्करण उद्यागों संवर्धन नीति-2014 के क्रम में खाद्य प्र-संस्करण उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 25 करोड़ तक की परियोजना में 10 प्रतिशत 2.5 करोड़ रूपये अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2018 से 2024-25 तक 85 करोड़ से अधिक राशि की 242 इकाइयाँ स्थापित हुई है। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना योजना में 2021-22 से 2024-25 तक 11597 ईकाइयों की रिकार्ड स्थापना हुई है। इसमें निजी ईकाइयों को अधिकतम 35 प्रतिशत तक क्रेडिट लिंक अनुदान दिया जाता है।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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