Hare Sone Ki Kheti : हरे सोने की खेती बना रही किसानों को मालामाल, लाखों में होती है कमाई

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Hare Sone Ki Kheti : हरे सोने की खेती बना रही किसानों को मालामाल, लाखों में होती है कमाई
Hare Sone Ki Kheti : भारत में पारंपरिक खेती से किसानों को अधिक मुनाफा नहीं मिल पाता है, हालांकि किसानों द्वारा मेहनत बहुत की जाती है। बढ़ती जागरूकता के कारण अब किसान पुरानी फसलों को छोड़कर नई फसलों की उपज कर रहे हैं। आज आपको ऐसी खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको मात्र 3 महीने में लाखों की कमाई करा सकती हैं। हम बात कर रहे है हरे सोने (मेंथा) की खेती के बारे में। हरे सोने की खेती (Green Gold Farming) इस समय की सबसे मशहूर खेती है। इसे भारत के किसान हरा सोना भी कहते हैं, क्योंकि ये आम फसलों से तीन गुना ज्यादा मुनाफा देती है। तो आइए जानते है हरे सोने की खेती (Green Gold Farming) के बारे में…

हरे सोने की फसल 3 महीने में होती तैयार

यह फसल इस वक्त काफी ज्यादा लोकप्रिय है, जिसमें मात्र 3 महीने की मेहनत होती है। जिससे किसान आसानी से लाखों रूपए की आमदनी कर रहे है। मेंथा की खेती करने वाले किसान बताते है कि मेंथा की फसल बुआई से तीन महीने बाद पककर तैयार हो जाती है। किसान भाई ज्यादा क्षेत्र में यह फसल उगाकर अधिक मुनाफा कमा सकते है।

कहां-कहां होता है ग्रीन गोल्ड का उपयोग

ग्रीन गोल्ड का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएं, टूथपेस्ट, हर्बल उत्पाद तथा इत्र बनाने में किया जाता है। ग्रीन गोल्ड से उत्पादित मेंथा तेल (Peppermint Oil) का इस्तेमाल फार्मेसी उद्योग, खुशबू वाले उत्पाद जैसे शैंपू, तेल, बॉडी लोशन इत्यादि तथा खाद्य पदार्थों में जैसे मिठाई, चॉकलेट, इत्यादि में होता है। मेंथा तेल बहुत महंगे दामों पर बाजार में बिकता है।

कितना होगा मुनाफा (Hare Sone Ki Kheti)

एक किसान के अनुसार 1 एकड़ मेंथा की खेती (Peppermint Farming) में लगभग 20 से 25 हजार रुपए लागत आती है। वहीं फसल अच्छी होने पर इसके तेल को बाजार में आप 1000-1100 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेच सकते हैं। एक एकड़ से करीब 70 से 80 लीटर मेंथा आयल निकलता है। इस प्रकार आप 10 एकड़ में मेंथा करके लगभग 10 लाख रुपए 3 महीने में कमा सकते हैं। 10 एकड़ खेती में आपको लागत 2.50 लाख रुपए की आएगी।

भारत के इन देशों में होती है इसकी ज्यादातर खेती

बता दें कि इसकी ज्यादातर खेती भारत के राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात तथा पंजाब में मुख्य रूप से होती है। किसान बड़े पैमाने पर इन राज्यों में मेंथा की खेती को प्राथमिकता देते हैं और उम्मीद से बढ़कर इसका उत्पादन प्राप्त करते हैं और लाखों में खेलते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब सरकार भी इस मेंथा की खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि आम किसान भी मेंथा की खेती करें और अधिक कमाई कर सकें। आम जनता को जहर वाले उत्पादनों का सेवन करने से बचा सकें।

कब होती है मेंथा की खेती (Hare Sone Ki Kheti)

मेंथा की खेती करने वाले किसानों के अनुसार इसकी खेती के लिए सही समय फरवरी महीने में सबसे अच्छा माना जाता है। जून तक तो इसकी फसल की कटाई भी हो जाती है। अर्थात मात्र 3-4 माह में ही इसकी फसल मोटा मुनाफा देने के लिए तैयार हो जाती है। इस फसल की एक खास बात ये है कि इसकी फसल को पारंपरिक फसलों की तरह ज्यादा देखभाल की जरूरत भी नहीं पड़ती। इसके लिए ना ज्यादा खाद-पानी, न और किसी भी तरह की देखभाल की जरुरत होगी। इस फसल के इसी लाभ की वजह से उत्तर भारत के अधिकतर किसान मेंथा की खेती करना पसंद करते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं।

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