Gudi Padwa 2022 : जीवन के हर पहलू का एहसास करवाती है गुड़ी में बांधी जाने वाली सामग्री

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गुड़ी पड़वा इस साल 2 अप्रैल 2022, शनिवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष आरंभ होता है। गुड़ी का अर्थ है विजय पताका। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है।

महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें जो चीजें मिलाई जाती हैं, वे हैं- गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम। गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती है।

दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था। जब भगवान श्री राम को पता चला कि लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई।

सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया।

मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है। एक अन्य कथा के मुताबिक शालिवाहन ने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है। इस दिन लोग आम के पत्तों से घर को सजाते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र में इसे लेकर काफी उल्लास होता है।

हिंदू कैलेंडर के सभी माह में चैत्र का महीना बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होता है। जिसमें लगातार 9 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना, उपवास और उपासना की जाती है।

नवरात्रि के पहले दिन घर-घर देवी दुर्गा विराजती हैं और पहले दिन कलश स्थापना और मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसके अलावा चैत्र प्रतिपदा तिथि पर ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होता है। जिसे नवसंवत्सर कहा जाता है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। चैत्र प्रतिपदा तिथि पर नवरात्रि आरंभ हो जाते हैं और इसी के साथ नया विक्रम संवत भी शुरू हो जाता है। इस बार नया विक्रम संवत 2079 होगा। जिसके राजा शनि और मंत्री गुरु है।

हिंदू नव संवत्सर को देश के अलग-अलग भागों में कई अलग नामों से जाना जाता है। जैसे असम में इसे रोंगली और बिहु, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, पंजाब में बैशाखी, जम्मू कश्मीर में नवरेह, आंध्र प्रदेश में उगादि, केरल में विशु और सिंधी समाज इसे चेतिचंद के रूप में मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी चैत्र प्रतिपदा तिथि पर भगवान ब्रह्राजी ने सष्टि की रचना की थी।

न्यूज सोर्स: हिंदुस्तान और अमर उजाला

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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