Fasal kaise bachayen : इन दिनों मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज बुरी तरह से खराब चल रहा है। बेमौसम हुई बारिश और ठंडी हवाओं ने तापमान में खासी गिरावट लाई है। इधर कुछ जगह ओलावृष्टि भी हुई और कई जिलों में अभी भी इसके आसार बने हैं।
बदले मौसम के कारण आम लोग तो बुरी तरह प्रभावित हुए ही हैं, फसलों को भी इससे खासा खतरा है। ऐसे में मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि ऐसे मौसम में फसलों के बचाव के लिए वे क्या-क्या कदम उठाएं। (Fasal kaise bachayen)
मौसम विभाग ने सलाह दी है कि जो फसलें पक चुकी हैं, उनकी जल्द से जल्द कटाई करें और उन्हें सुरक्षित स्थान पर जमा करें। केले के गुच्छों को बांस की डंडियों या पॉलीप्रोवाइलीन की डंडियों से सहारा दें। (Fasal kaise bachayen)
नई रोपी गई सब्जियों या लता वाली सब्जियों को सहारा दें। बागवानी की फसलों में यांत्रिक क्षति को रोकने के लिए हैलनेट का उपयोग करें। सिंचाई और किसी भी प्रकार के रासायनिक छिड़काव से बचें। (Fasal kaise bachayen)
ओलावृष्टि के बाद फसलों की ऐसे करें सुरक्षा (Fasal kaise bachayen)
ओलावृष्टि होने पर पौधों को हुए नुकसान का आकलन करें और अनुमान लगाएं कि कितनी जल्दी बचाव के लिए प्रयास सकते हैं। साइट्स उत्पादकों को तुरंत निम्नलिखित कदम उठाने की सलाह दी जाती है।
पेड़ों को अच्छी तरह से भिगोने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड/ब्लू कॉपर (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) या बोर्डो मिश्रण (1 प्रतिशत) लनाएं। यह प्रति बड़े पेड़ लगभग 10-15 लीटर घोल लगाएं। यदि तने और शाखाओं पर चोट बड़ी है तो बोर्डो पेस्ट तैयार करें और चोटों पर लगाएं। हल्के या मध्यम नुकसान के मामले में स्प्रे और पोषक तत्वों के प्रयोग से कुछ सुधार किया जा सकता है। (Fasal kaise bachayen)
सब्जी की फसल में सभी प्रभावित पौधों को हटाकर उन्हें नष्ट कर दें। मान्यता प्राप्त सब्जी नर्सरी से नए पौधे लेकर रोपें। मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए अनुशंसित मात्रा में जैविक खाद डालें। (Fasal kaise bachayen)
इसके अलावा जहां भी संभव हो ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास के साथ जैविक खाद को एकीकृत करें ताकि अंकुरण चरण के दौरान बीमारियों पर काबू पाया जा सके। छिड़काव गतिविधियों केवल वर्षा होने वाले दिनों में ही की जानी चाहिए। (Fasal kaise bachayen)
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