Farmer ID Full Detail : देश में हर नागरिक की पहचान के लिए आधार कार्ड बनाए गए हैं। इसी तर्ज पर अब किसानों को एक अलग पहचान देने के लिए उनकी फार्मर आईडी (किसान पहचान पत्र) बनाई जा रही है। इससे किसानों को कई लाभ प्राप्त हो सकेंगे। भविष्य में एक भरोसेमंद किसान के तौर पर पहचान के लिए इसी आईडी का उपयोग होगा।
सरकार द्वारा एग्रीस्टैक के अंतर्गत किसानों को आधार के जैसी ही एक डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी। ये ‘किसान आईडी’ राज्य के भूमि अभिलेखों, पशुधन स्वामित्व, बोई गई फसलों, जनसांख्यिकीय विवरण, पारिवारिक विवरण, योजनाओं और प्राप्त लाभों आदि से गतिशील ढंग से जुड़ी होगी। इसमें किसानों द्वारा बोई गई फसलों को मोबाइल आधारित जमीनी सर्वेक्षण यानी प्रत्येक मौसम में आयोजित किए जाने वाले डिजिटल फसल सर्वेक्षण के जरिए दर्ज किया जाएगा।
डिजिटल कृषि मिशन के तहत पहल
दरअसल केंद्र सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है। इस मिशन के तहत 3 डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) बनाई गई है। इनका महत्वपूर्ण हिस्सा एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली और मृदा प्रोफाइल मैपिंग है। इन तीनों का उद्देश्य डीपीआई किसान-केंद्रित डिजिटल सेवाओं को सक्षम करने के अलावा कृषि क्षेत्र के लिए समयबद्ध और विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराना है।
इसलिए बनाई जा रही फार्मर आईंडी
इनमें से एग्रीस्टैक के तहत यह किसान आईडी बनाई जा रही है। यह किसानों को कुशल, आसान, तेज सेवाएं और योजनाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएगा। इसमें कृषि क्षेत्र की तीन मूलभूत रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं। ये हैं – किसान रजिस्ट्री, भू-संदर्भित गांवों के नक्शे और बोई गई फसल की रजिस्ट्री। इन्हें राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाया और सहेजा जाता है।
इन राज्यों में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट
किसान पहचान-पत्र बनाने के लिए इन छह राज्यों के एक-एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट चलाए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश (फर्रुखाबाद), गुजरात (गांधीनगर), महाराष्ट्र (बीड), हरियाणा (यमुना नगर), पंजाब (फतेहगढ़ साहिब) और तमिलनाडु (विरुद्धनगर) शामिल हैं।
इतनी किसान आईडी बनाने का लक्ष्य
सरकार का देश भर में 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य है। इनमें वित्त वर्ष 2024-25 में छह करोड़ किसानों, वित्त वर्ष 2025-26 में तीन करोड़ किसानों और वित्त वर्ष 2026-27 में दो करोड़ किसानों के पहचान पत्र बनाना शामिल है।
बोई गई फसल की रजिस्ट्री बनाने के लिए 2023-24 में 11 राज्यों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण का एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया। इसके अलावा, दो साल में पूरे देश में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 400 जिले और वित्त वर्ष 2025-26 में सभी जिले शामिल किए जाएंगे।
डिजिटल कृषि मिशन से होंगे यह लाभ
⊗ डिजिटल आम फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए फसल-कटाई प्रयोगों के आधार पर उपज का अनुमान देगा। ये पहल कृषि उत्पादन का सटीक अनुमान लगाने में बहुत उपयोगी साबित होगी।
⊗ कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार पैदा करने में इस मिशन का उत्प्रेरक प्रभाव होगा। इसके अलावा, मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण, रिमोट सेंसिंग के लिए ज़मीनी आंकड़ों का संग्रह आदि से लगभग 2.5 लाख स्थानीय प्रशिक्षित युवाओं और कृषि सखियों को रोज़गार के अवसर मिलने की उम्मीद है।
⊗ विभिन्न लाभ और सेवाएं पाने के लिए किसान स्वयं को डिजिटल तौर पर पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम होगा। बोझिल कागजी कार्रवाई से छुटकारा पायेगा। विभिन्न कार्यालयों या सेवा प्रदाताओं के पास शारीरिक रूप से जाने की बहुत ही कम या कोई जरूरत न होगी। इसके कुछ उदाहरणों का जिक्र करें तो इसमें सरकारी योजनाओं और फसल ऋणों का लाभ उठाना, कृषि-इनपुट आपूर्तिकर्ताओं और कृषि उपज के खरीदारों से जुड़ना, रियल टाइम में व्यक्तिगत सलाह प्राप्त करना आदि शामिल हैं।
⊗ ये भरोसेमंद डेटा सरकारी एजेंसियों को योजनाओं और सेवाओं को ज्यादा कुशल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा, जैसे कि कागज रहित एमएसपी-आधारित खरीद, फसल बीमा, और क्रेडिट कार्ड से जुड़े फसल ऋण, और उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए सिस्टम विकसित करना आदि।
⊗ इसके अलावा, ‘डिजिटल रूप से प्राप्त फसल-बुवाई क्षेत्र के डेटा’, ‘डिजिटल आम फसल अनुमान सर्वेक्षण-आधारित उपज’ और रिमोट-सेंसिंग डेटा के साथ, सटीक फसल उत्पादन अनुमान लगाने में मदद करेंगे। ये फसल विविधीकरण को सुगम बनाने और फसल और मौसम के अनुसार सिंचाई की जरूरतों का मूल्यांकन करने में भी मदद करेगा।
⊗ कृषि-डीएसएस पर उपलब्ध जानकारी फसल बुवाई के पैटर्न की पहचान करने, सूखा/बाढ़ की निगरानी और किसानों द्वारा फसल बीमा दावों के निपटान के लिए प्रौद्योगिकी/मॉडल-आधारित उपज मूल्यांकन के लिए फसल मानचित्र निर्माण का समर्थन करेगी।
⊗ इस मिशन के तहत कृषि के लिए विकसित डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, कृषि इकोसिस्टम में हितधारकों को कृषि इनपुट और कटाई के बाद की प्रक्रियाओं के लिए कुशल मूल्य शृंखला स्थापित करने में सक्षम बनाएगी।
⊗ साथ ही फसल नियोजन, फसल स्वास्थ्य, कीट और रोग प्रबंधन और सिंचाई आवश्यकताओं से संबंधित किसानों को अनुकूलित सलाहकार सेवाओं के लिए समाधान विकसित करने में भी मदद करेगी। इससे सुनिश्चित होगा कि किसानों को सर्वोत्तम संभव और समयबद्द मार्गदर्शन और सेवाएं प्राप्त होंगी।
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