Dada ji ka darbar khandva : दादाजी धूनीवाले दरबार में लगातार जलती रहती है धूनी, श्रद्धालुओं के लिए कदम-कदम पर भंडारे

▪️ लोकेश वर्मा (खंडवा से)
Dada ji ka darbar khandva : कोरोना काल के 2 साल बाद बिना बंदिशों के गुरुपूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। धूनीवाले दादा जी की नगरी खंडवा में भी पदयात्रा कर भजलो दादाजी का नाम, भजलो हरिहरजी का नाम का उद्घोष करते बच्चे, युवा और बुजुर्गों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। यहां गुरुपूर्णिमा पर्व पर लगभग 4 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। शहर में श्रद्धालुओं के लिए 2 दर्जन से अधिक धर्मशालाओं में नि:शुल्क रहने की व्यवस्था है। खंडवा शहर में हर दो कदम पर भंडारे चलते हैं।

दो दिन बंद रहते शहर के होटल

प्रदेश में खंडवा ही ऐसा शहर है जहां गुरु पूर्णिमा पर्व पर दो दिनों तक लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जलते। बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी भंडारे में प्रसादी ग्रहण करते हैं। खंडवा आने वाला कोई भी श्रद्धालु चाय-नाश्ता और भोजन पर खर्च नहीं करता। शहर में 100 से अधिक भंडारों में प्रसादी में सादा भोजन और पकवान वितरित किए जाते हैं। यहां तक कि शहर की धर्मशालाएं भी नि:शुल्क हो जाती हैं।

टिक्कड़ का किया जाता है वितरण

पटेल सेवा समिति द्वारा 1951 से प्रसाद के रूप में टिक्कड़ का वितरण प्रतिदिन किया जाता है। मोटे आकर के, आटे नमक व पानी से बने टिक्कड़ 1 महीने तक सुरक्षित रहते हैं। श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और प्रसाद अपने साथ ले जाते हैं। गुरुपूर्णिमा पर पटेल सेवा समिति 25 क्विंटल आटे के टिक्कड़ प्रसादी स्वरूप भक्तों को बांटेगी।

खंडवा में है दादाजी की समाधि

भारत के महान संतों में धूनीवाले दादा जी (दादाजी धूनीवाले) की गिनती की जाती है। उनका समाधि स्थल मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में है। इस शहर में मौजूद इनका मंदिर लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है। देश भर से लोग यहां पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। देश-विदेश में दादाजी के असंख्य भक्त हैं। दादाजी के नाम पर भारत और विदेशों में सत्ताईस धाम मौजूद हैं। इन स्थानों पर दादाजी के समय से अब तक निरंतर धूनी जल रही है। मार्गशीर्ष माह में (मार्गशीर्ष सुदी 13) के दिन सन् 1930 में दादाजी ने खंडवा शहर में समाधि ली। यह समाधि रेलवे स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर है।

मां नर्मदा के थे अनन्य भक्त

दादाजी धूनीवाले नर्मदा के अनन्य भक्त थे। वह नर्मदा के किनारे ही भ्रमण करते हुए साधना करते थे। अंतिम दिनों में वह खंडवा के इस स्थान पर पहुंचे थे और यहीं समाधिलीन हुए। गुरु पूर्णिमा पर्व पर न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। खंडवा में दादाजी धूनीवाले का दरबार है, जहां दादाजी ने समाधि ली थी। देखें वीडियो…

हमेशा जलाए रखते थे धूनी

यह संत हमेशा अपने पास एक धूनी जलाए रखते थे इसलिए इनका नाम दादाजी धूनीवाले हो गया। 1930 से इस आश्रम में एक धूनी लगातार जलती आ रही है। इस धूनी में हवन सामग्री के अलावा नारियल प्रसाद, सूखे मेवे सब कुछ स्वाहा कर दिया जाता है। माना जाता है संत की शक्ति इस धूनी में ही समाई हुई है इसलिए इस धूनी की भभूत लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

ऐसे पड़ा नाम धूनी वाले दादाजी

दादाजी (स्वामी केशवानंदजी महाराज) एक बहुत बड़े संत थे और लगातार घूमते रहते थे। प्रतिदिन दादाजी पवित्र अग्नि (धूनी) के समक्ष ध्यानमग्न होकर बैठे रहते थे, इसलिए लोग उन्हें दादाजी धूनीवाले के नाम से स्मरण करने लगे। दादाजी का जीवन वृत्तांत प्रामाणिक रूप से उपलब्ध नहीं है, परंतु उनकी महिमा का गुणगान करने वाली कई कथाएं प्रचलित हैं। दादाजी का दरबार उनके समाधि स्थल पर बनाया गया है।

दादाजी के चरणों में किया समर्पित

बताया जाता है कि राजस्थान के डिडवाना गांव में एक समृद्ध परिवार के सदस्य भंवरलाल दादाजी से मिलने आए। मुलाकात के बाद भंवरलाल ने अपने आपको धूनीवाले दादाजी के चरणों में समर्पित कर दिया। भंवरलाल शांत प्रवृत्ति के थे और दादाजी की सेवा में लगे रहते थे। दादाजी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम हरिहरानंद रखा। हरिहरानंदजी को भक्त छोटे दादाजी नाम से पुकारने लगे। दादाजी धूनीवाले की समाधि के बाद हरिहरानंदजी को उनका उत्तराधिकारी माना जाता था। हरिहरानंदजी ने बीमारी के बाद सन् 1942 में महानिर्वाण को प्राप्त किया। छोटे दादाजी की समाधि बड़े दादाजी की समाधि के पास स्थापित की गई।

पदयात्रा कर पहुंचते हैं खंडवा

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अनेक जिलों से लोग पैदल ही निशान लेकर यहां पहुंचते हैं। कई दिनों का सफर पैदल तय करते हुए यहां पहुंचने वाले लोग मानते हैं कि उनके लिए दादा जी महाराज का स्मरण करना ही पर्याप्त है, और ऐसा करके उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। दादाजी धूनीवाले के भक्त विदेशों तक फैले हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा पर्व पर यहां शीश नवाने आते हैं।

ऐसे पहुंच सकते हैं खंडवा

▪️  सड़क मार्ग : मध्यप्रदेश की राजधान भोपाल से 175 किमी दूर, जबकि इंदौर से 135 किमी, बैतूल से 190 किमी दूर मौजूद खंडवा के इस स्थान पर आप सड़क मार्ग से बसों के माध्यम से या स्वयं के वाहन से भी पहुंच सकते हैं।

▪️  रेल मार्ग : यहां पहुंचने के लिए खंडवा मध्य एवं पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख स्टेशन है और भारत के कई भागों से यहां पहुंचने के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं।

▪️  हवाई अड्डा : यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में मौजूद देवी अहिल्या एयरपोर्ट है, जो यहां से 140 किमी की दूरी पर मौजूद है।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Leave a Comment